Advertisement

चारा घोटाला: 26 साल पहले के 53 केस, जानें कैसे हुई थी बिहार भर के कोषागारों से लूट?

Lalu Yadav Fodder Scam: जनवरी 1996 में चारा घोटाला सामने आया था. मार्च 1996 में सीबीआई ने इसकी जांच की. सीबीआई ने इस मामले में 53 अलग-अलग केस दर्ज किए, जिनमें 170 आरोपी बनाए गए थे. इनमें से 55 आरोपी की मौत हो चुकी है, जबकि कई अपनी सजा काट चुके हैं.

चारा घोटाले से जुड़े 5 मामलों में लालू यादव दोषी साबित हो चुके हैं. (फाइल फोटो-PTI) चारा घोटाले से जुड़े 5 मामलों में लालू यादव दोषी साबित हो चुके हैं. (फाइल फोटो-PTI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:45 PM IST
  • 1996 में सामने आया था चारा घोटाला
  • कोषागारों से हुई थी करोड़ों की लूट

Lalu Yadav Fodder Scam: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले से जुड़े पांचवें मामले में भी सजा हो गई है. उन्हें सीबीआई कोर्ट ने 5 साल की कैद और 60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. उन्हें ये सजा डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपये की अवैध निकासी के मामले में सुनाई गई है. इससे पहले उन्हें चारा घोटाले से जुड़े चार और मामलों में सजा हो चुकी है. 

Advertisement

चारा घोटाले का खुलासा जनवरी 1996 में हुआ था. उस समय बिहार और झारखंड एक ही थे और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे. मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई ने उस समय 53 मामले दर्ज किए थे और 170 से ज्यादा लोगों को आरोपी बनाया गया था. 

ऐसे हुआ था चारा घोटाले का खुलासा

- दिसंबर 1995 में बिहार के तब के फाइनेंस कमिश्नर वीएस दुबे अलग-अलग सरकारी विभागों की परफॉर्मेंस चेक कर रहे थे. इसी दौरान उन्होंने पाया कि पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपयों की हेराफेरी हुई है. उन्होंने देखा कि पशुपालन विभाग में सालों से फर्जी बिल के जरिए करोड़ों रुपये निकाले जा रहे हैं.

- उदाहरण के लिए, 1993 से 1996 के बीच सरकार ने 5,664 सूअर, 40,500 मुर्गियां, 1,577 बकरियां और 995 भेड़ की खरीद के लिए 10 करोड़ रुपये मंजूर किए, लेकिन पशुपालन विभाग ने इसके लिए 255.33 करोड़ रुपये निकाल लिए.

Advertisement

- शुरुआत में दुबे ने 410 करोड़ रुपये की हेराफेरी का अनुमान लगाया, लेकिन बाद में जब जांच हुई तो रकम इससे कहीं ज्यादा बड़ी थी. जांच में सामने आया कि ये घोटाला 950 करोड़ रुपये से ज्यादा का है.

- 1996 में सीबीआई ने इस घोटाले के मामले 53 अलग-अलग केस दर्ज किए. कुल 170 आरोपी बनाए गए थे. 55 आरोपियों की मौत हो चुकी है, 24 बरी हो चुके हैं, 34 अपनी 3 साल की सजा काटकर रिहा हो चुके हैं और 41 अब भी जेल में हैं.

- सीबीआई ने जिन लोगों को आरोपी बनाया था, उनमें लालू प्रसाद यादव के साथ-साथ पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, पब्लिक अकाउंट्स कमेटी के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन विभाग के तत्कालीन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. केएम प्रसाद का नाम भी शामिल था.

ये भी पढ़ें-- चारा घोटाला: अगर ऐसा हुआ तो लालू को मिल सकती है बेल, काट चुके हैं 5 साल से ज्यादा की सजा

लालू यादव को मम पड़ी कुर्सी

- जून 1997 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की. ये पहली बार था जब लालू प्रसाद यादव का नाम घोटाले में आरोपी के तौर पर लिखा था. नाम सामने आने के बाद लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री बनीं.

Advertisement

- 2000 में बिहार और झारखंड दो अलग-अलग राज्य बन गए. मामला झारखंड हाईकोर्ट के पास चला गया. बिहार के बांका कोषागार से अवैध निकासी का मामला पटना हाई कोर्ट चला गया. 

- लालू यादव को इस घोटाले में पहली सजा सितंबर 2013 में सुनाई गई. उन्हें ये सजा चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ की अवैध निकासी के मामले में मिली. उन्हें 5 साल कैद की सजा सुनाई और 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया. लालू यादव पर 11 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा दी गई.

- उसके बाद लालू यादव देवघर ट्रेजरी केस (89.27 लाख), चाईबासा ट्रेजरी केस (33.13 करोड़) और दुमका ट्रेजरी केस (3.76 करोड़) में सजा हुई. सोमवार को अदालत ने उन्हें डोरंडा ट्रेजरी मामले में भी सजा सुना दी.

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement