
बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को विपक्षी दलों की महाबैठक हुई थी जिसमें तमाम पार्टियों ने 2024 लोकसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ने पर शुरुआती सहमति जताई. मीटिंग के बाद जब सभी दलों के शीर्ष नेता साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे, उसी दौरान माहौल को हल्का-फुल्का करने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) अध्यक्ष लालू यादव ने कांग्रेस नेता और पूर्व पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी को शादी करने की सलाह दे दी.
लालू यादव ने इस दौरान कहा, 'राहुल जी आप शादी कर लीजिए, हमलोग बारात जाना चाहते हैं, आपकी मम्मी भी यही चाहती है.' लालू यादव की इस बात पर राहुल गांधी समेत तमाम नेताओं की हंसी छूट गई. आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव राहुल के बाराती बनना चाहते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि खुद लालू अपनी शादी के बाद भी पत्नी राबड़ी देवी को काफी समय तक देख नहीं पाए थे.
ये देश में आपातकाल लगने से ठीक दो साल पहले की बात है. 1973 में वसंत पंचमी यानी की सरस्वती पूजा के दिन लालू यादव की शादी राबड़ी देवी से हुई. उस वक्त तक लालू छात्र नेता के तौर पर अपनी पहचान बना चुके थे लेकिन वो शादी से पहले राबड़ी देवी की एक झलक तक नहीं देख सके थे. शादी होने के बाद भी वो अपनी पत्नी से ना तो मिल सकते थे और ना ही साथ रह सकते थे क्योंकि उस वक्त गौना (उत्तर भारत में दुल्हन के ससुराल जाने की रस्म) हुए बिना उन्हें पत्नी से मिलने की इजाजत तक नहीं थी.
राबड़ी से शादी को लेकर लालू यादव ने अपनी बायोग्राफी 'गोपालगंज से रायसीना' में बताया है कि वो शादी के एक साल बाद यानी की साल 1974 के मार्च महीने में पहली बार अपनी पत्नी से मिले थे. शादी से पहले उन्होंने राबड़ी देवी को देखा तक नहीं था और वो अपनी होने वाली पत्नी से मिलने के लिए बेचैन थे.
अपनी जगह दोस्त को भेजा था राबड़ी के घर
बायोग्राफी 'गोपालगंज से रायसीना' में लालू यादव ने खुद बताया है कि राबड़ी देवी के बारे में जानने के लिए उन्होंने एक तरकीब निकाली. उन्होंने किताब में बताया है, उस वक्त लड़की से बातचीत तो छोड़िए, दूल्हे को लड़की दिखाने का चलन तक नहीं था. राबड़ी कैसी दिखती हैं और उनका व्यवहार कैसा है ये जानने को वो उत्सुक थे. लालू यादव ने अपनी जीवनी में आगे बताया कि उन्होंने इसका एक उपाय निकाला.
लालू ने कहा कि उन्होंने एक बेहद करीबी दोस्त को चुपके से राबड़ी के घर भेजा ताकि वो उसे देखकर आ सके और उन्हें बता सके. किताब में लालू यादव की तरफ से आगे बताया गया है कि उनके विश्वसनीय दोस्त ने आकर उन्हें जो जानकारी दी उसके बाद वो अपनी होने वाली पत्नी को लेकर आश्वस्त थे.
पहली बार राबड़ी ने नहीं की थी लालू से बात
लालू यादव ने अपनी जीवनी में ये भी बताया है कि जब उन्होंने राबड़ी देवी को पहली बार देखा तो वो एक साधारण साड़ी पहनी हुई थीं और शर्म और भय से भरी हुई चुपचाप खड़ी थीं. बायोग्राफ़ी के मुताबिक उन्होंने राबड़ी देवी को बताया कि बिहार में जो विराट आंदोलन चल रहा है, मैं उसका नेता हूं और जय प्रकाश नारायण हमारा नेतृत्व कर रहे हैं. इस पर राबड़ी देवी ने उन्हें कोई जवाब नहीं दिया और वो चुपचाप उनकी (लालू यादव की) बात सुनती रहीं.
राबड़ी का परिवार लालू से ज़्यादा संपन्न था
लालू यादव ने अपनी जीवनी में ये भी बताया कि जिस वक्त उनकी शादी तय हुई थी उस वक़्त राबड़ी देवी का परिवार उनके मुकाबले ज्यादा संपन्न था. जिस वक़्त राबड़ी देवी के परिजन उन्हें देखने आए थे उस समय वो लुंगी और बनियान में थे जो ससुरालवालों को प्रभावित करने के नजरिए से बिल्कुल भी अच्छा पहनावा नहीं था. बाद में लालू यादव राबड़ी देवी की सादगी और सरलता से बेहद प्रभावित हुए. देश में जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया था उसी दौरान उनकी बड़ी बेटी 'मीसा भारती' का जन्म हुआ था.
कानून के विरोध में रख दिया बेटी का नाम
जिस वक्त लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी का जन्म हुआ था उस वक्त वो आंदोलन की वजह से जेल में थे और मीसा कानून (आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act (MISA)) के तहत उनकी गिरफ्तारी हुई थी. इसी कानून के विरोध में उन्होंने अपनी बेटी का नाम भी मीसा रख दिया था.