
जमीन के बदले नौकरी घोटाला में लालू परिवार फंसता जा रहा है. इस मामले में सीबीआई की टीम आज लालू यादव से पूछताछ करेगी. ये पूछताछ दिल्ली में उनकी बेटी मीसा भारती के घर पर होगी. इससे पहले सोमवार को सीबीआई ने लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से भी घंटों पूछताछ की थी.
वहीं, लैंड फॉर जॉब स्कैम के सिलसिले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने लालू यादव, राबड़ी देवी और उनकी बेटी मीसा भारती को समन जारी किया था. उन्हें 15 मार्च को अदालत में पेश होना है.
ये घोटाला उस समय का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थी. दावा है कि लालू यादव ने रेल मंत्री रहने के दौरान रेलवे में लोगों को नौकरी देने के बदले उनसे जमीन ली थी. लालू यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे.
इस मामले में पिछले साल 10 अक्टूबर को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी, जिसमें 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था. पिछले साल ही जुलाई में सीबीआई ने भोला यादव को गिरफ्तार किया गया था, जो लालू यादव के रेल मंत्री रहते उनके ओएसडी थे.
ये पहला घोटाला नहीं है जिसमें लालू परिवार फंसा है. लालू यादव चारा घोटाला से जुड़े पांच मामलों में दोषी करार दिए जा चुके हैं. कुल मिलाकर पांचों मामलों में लालू यादव को 32.5 साल कैद की सजा मिली है और उन पर 1.55 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. जानते हैं उन घोटालों की कहानी जिनमें फंसा है लालू परिवार...
मुख्यमंत्री रहते चारा घोटाला
- जनवरी 1996 में चारा घोटाले का खुलासा हुआ था, तब बिहार सरकार के पशुपालन विभाग में करोड़ों रुपये की हेराफेरी सामने आई थी. उस समय बिहार और झारखंड एक राज्य था और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे. ये पूरा घोटाला 950 करोड़ रुपये का बताया जाता है.
- मार्च 1996 में पटना हाईकोर्ट ने इस घोटाले की जांच सीबीआई को सौंप दी. जून 1997 में सीबीआई ने अपनी चार्जशीट दाखिल की. ये पहली बार था जब लालू प्रसाद यादव का नाम घोटाले में आरोपी के तौर पर चार्जशीट में लिखा गया था.
- चार्जशीट में नाम सामने आने के बाद लालू यादव ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उनके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी (Rabri Devi) जुलाई 1997 में बिहार की मुख्यमंत्री बनीं.
- 2000 में बिहार और झारखंड दो अलग-अलग राज्य बन गए. ये मामला झारखंड हाईकोर्ट के पास चला गया. फरवरी 2002 में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में इस मामले का ट्रायल शुरू हुआ. इस घोटाले से जुड़े मामले में लालू यादव को पहली सजा सितंबर 2013 को सुनाई गई थी.
लालू यादव को किस मामले में कितनी सजा?
1. चाईबासा ट्रेजरी केसः ये पूरा मामला 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. सितंबर 2013 में कोर्ट ने लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई और 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया. इस मामले में लालू यादव जमानत पर रिहा हैं. लालू यादव पर 11 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक भी लगा दी गई.
2. देवघर ट्रेजरी केसः ये मामला 89 लाख 27 हजार रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. दिसंबर 2017 में स्पेशल कोर्ट ने लालू यादव को साढ़े तीन साल की कैद की सजा सुनाई. 5 लाख का जुर्माना भी लगाया. इस मामले में भी लालू यादव को जमानत मिल चुकी है.
3. चाईबासा ट्रेजरी केसः चाईबासा ट्रेजरी से जुड़ा ये दूसरा केस है जिसमें 33 करोड़ 13 लाख रुपये की अवैध निकासी हुई थी. इस मामले में जनवरी 2018 में लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई गई थी. 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था.
4. दुमका ट्रेजरी केसः ये मामला 3 करोड़ 76 लाख रुपये की अवैध निकासी से जुड़ा है. मार्च 2018 में सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को सजा सुनाई थी. उन्हें 14 साल की कैद के साथ 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा दी गई थी. अप्रैल 2021 में झारखंड हाईकोर्ट ने इस मामले में लालू यादव को जमानत दे दी थी.
5. डोरंडा ट्रेजरी केसः ये मामला 139 करोड़ 50 लाख रुपये की अवैध निकासी का है. 15 फरवरी को कोर्ट ने लालू यादव को इसमें दोषी करार दिया था. इस मामले में अदालत ने लालू यादव को 5 साल कैद की सजा सुनाई है. साथ ही 60 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
रेल मंत्री रहते लैंड फॉर जॉब स्कैम
- लैंड फॉर जॉब स्कैम 14 साल पुराना है. तब केंद्र में यूपीए सरकार थी और लालू यादव रेल मंत्री थे. इस मामले में पिछली साल 18 मई को सीबीआई ने केस दर्ज किया था. सीबीआई के मुताबिक, लोगों को पहले रेलवे में ग्रुप डी के पदों पर सब्स्टीट्यूट के तौर पर भर्ती किया गया और जब उनके परिवार ने जमीन का सौदा किया, तब उन्हें रेगुलर कर दिया गया.
- सीबीआई का कहना है कि पटना में लालू यादव के परिवार ने 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन पर कथित तौर पर कब्जा कर रखा है. इन जमीनों का सौदा नकद में हुआ था. यानी, लालू परिवार ने नकद देकर इन जमीनों को खरीदा था. सीबीआई के मुताबिक, ये जमीनें बेहद कम दामों में बेच दी गई थीं.
- सीबीआई ने ये भी पाया कि जोनल रेलवे में सब्स्टीट्यूट की भर्ती का कोई विज्ञापन या पब्लिक नोटिस जारी नहीं किया गया था. लेकिन, जिन परिवारों ने यादव परिवार को अपनी जमीन दी, उनके सदस्यों को रेलवे में मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में नियुक्ति दी गई.
- ED के मुताबिक, कुछ उम्मीदवारों के आवेदनों को अप्रूव करने में जल्दबाजी दिखाई गई. कुछ आवेदनों को तीन दिनों में ही अप्रूव कर दिया गया. पश्चिम मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे ने उम्मीदवारों के आवेदनों को बिना पूरे पते के भी अप्रूव कर दिया और नियुक्त कर दिया.
- कुल मिलाकर लालू यादव एंड फैमिली ने कथित तौर पर 7 उम्मीदवारों को जमीन के बदले नौकरी दी थी. इनमें से पांच जमीनों की बिक्री हुई थी, जबकि दो गिफ्ट के तौर पर दे दी गई थी.
- सीबीआई ने इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटी मीसा यादव और हेमा यादव समेत कुछ उम्मीदवारों को आरोपी बनाया है.
रेलवे टेंडर स्कैम
- 2005 में सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की थी. ये मामला भी तब का है जब लालू यादव रेल मंत्री थे. आरोप है कि रेलवे टेंडर देने के बदले जमीन ली गई. ये जमीन लालू यादव और उनके परिवार के नाम की गई.
- ये सारा खेल शेल कंपनियों के जरिए किया गया. जैसे, राबड़ी देवी, मीसा भारती, तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव को डिलाइट मार्केटिंग नाम की शेल कंपनी से सगुना मोर मॉल प्रॉपर्टी मिली. इसकी कीमत लगभग 45 करोड़ रुपये थी.
- इसी तरह एबी एक्सपोर्ट ने 40 करोड़ रुपये की संपत्ति महज 4 लाख रुपये में तेजस्वी यादव, उनकी बहन रागिनी और चंदा के नाम कर दी.
डिलाइट प्रॉपर्टी केस
- 2017 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और मीसा भारती के खिलाफ जांच शुरू की. ये जांच 2005 के रेलवे टेंडर स्कैम से ही जुड़ी थी. मामला बेनामी संपत्ति का था.
- इस मामले में जून 2017 में ईडी ने मीसा भारत को एक हजार करोड़ रुपये की बेनामी संपत्ति के मामले में पूछताछ के लिए समन भी जारी किया था.
- बेनामी संपत्तियों में 45 करोड़ की सगुना मोर मॉल प्रॉपर्टी भी है, जिसे शेल कंपनी डिलाइट मार्केटिंग के जरिए लालू परिवार को ट्रांसफर किया गया था. बाद में डिलाइट मार्केटिंग का नाम बदलकर लारा प्रॉपर्टीज रख दिया गया था.
होटल घोटाला
- ये घोटाला भी तब का है, जब लालू यादव रेल मंत्री थे. उस समय रेलवे के पुरी और रांची स्थित बीएनआर होटल को IRCTC को ट्रांसफर किया था. इन्हें रख-रखाव और इम्प्रूव करने के लिए लीज पर देने की प्लानिंग थी.
- इसके लिए टेंडर विनय कोचर की कंपनी मेसर्स सुजाता होटल्स को दिए गए. टेंडर प्रक्रिया में हेर-फेर करने के आरोप हैं. टेंडर के बदले कोचर ने पटना के बेली रोड पर स्थित 3 एकड़ जमीन सरला गुप्ता की कंपनी डिलाइट मार्केटिंग को 1.47 करोड़ में बेच दी.
- बाद में यही जमीन लालू परिवार की कंपनी लारा प्रोजेक्ट को सिर्फ 65 लाख में ट्रांसफर कर दी गई, जबकि सर्कल रेट के तहत इसकी कीमत करीब 32 करोड़ थी और मार्केट रेट 94 करोड़ रुपए था.
- सीबीआई ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, बेटे तेजस्वी और पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी सरला गुप्ता को आरोपी बनाया है.
मिट्टी घोटाला
- ये घोटाला 2017 में सामने आया था. तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव इस मामले में आरोपी है. आरोप है कि सगुना मोर मॉल के बेसमेंट बनाने के लिए जमीन खोदी गई और इस मिट्टी को वन विभाग को 90 लाख रुपये में बेच दिया गया.
- आरोपों के मुताबिक, 90 लाख रुपये की ये मिट्टी बेचने में अनियमितताएं बरती गईं. ये सब खेल तब हुआ जब महागठबंधन की सरकार में तेजप्रताप यादव पर्यावरण और वन मंत्री थे.
- अप्रैल 2017 में पटना हाईकोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, जिसमें इस घोटाले की जांच कराने के आदेश देने की मांग की गई थी. अक्टूबर 2017 में हाईकोर्ट ने सरकार को इसकी जांच के आदेश दिए.
फिलहाल जमानत पर हैं लालू यादव
चारा घोटाला से जुड़े पांचों मामले में लालू यादव दोषी करार दिए जा चुके हैं. लालू यादव को 17 अप्रैल 2021 को झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. तब से ही लालू जमानत पर हैं.