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लेट, लापरवाही और कवरअप... कोलकाता कांड पर CJI ने ममता सरकार, पुलिस और अस्पताल पर क्या उठाए सवाल

CJI ने पूछा, प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में क्यों जॉइन कराया गया? कोर्ट ने कहा कि हम पीड़िता की पहचान उजागर होने को लेकर भी चिंतित हैं. पीड़िता की फोटो और पोस्टमार्टम के बाद उसकी बॉडी को दिखाना चिंताजनक है. पीड़िता की तस्वीरें और नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से बहुत चिंतित हैं.

कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की.
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 20 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 2:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कोलकाता रेप और मर्डर केस में सुनवाई की और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से लेकर पुलिस और अस्पताल प्रशासन तक को सीधे कठघरे में खड़ा किया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने सुनवाई की लाइव स्ट्रीमिंग की और मामले में लेट, लापरवाही और कवरअप पर जमकर फटकार लगाई. SC ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई से गुरुवार तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि कार्यस्थल पर डॉक्टरों की सुरक्षा पर विचार करने के लिए नेशनल टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा. टास्क फोर्स में डॉक्टर शामिल होंगे, जो सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरे देश में अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों से हमें अवगत कराएंगे.

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कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त की रात 31 साल की ट्रेनी महिला डॉक्टर का शव बरामद किया गया था. घटना सेमिनार हॉल की है. शरीर पर चोट के निशान थे और खून बह रहा था. जांच में पता चला कि डॉक्टर से रेप किया गया, उसके बाद हत्या कर दी गई. पुलिस ने आरोपी संजय रॉय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. हालांकि इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया गया है कि इस घटना में कई लोग शामिल हैं. कोलकाता हाईकोर्ट ने मामले की जांच पुलिस से सीबीआई को ट्रांसफर कर दी. जांच एजेंसी लगातार अस्तपाल के पूर्व प्रिंसिपल से पूछताछ कर रही है.

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से क्या सवाल किए...

CJI ने पूछा, प्रिंसिपल को दूसरे कॉलेज में क्यों जॉइन कराया गया? कोर्ट ने कहा कि हम पीड़िता की पहचान उजागर होने को लेकर भी चिंतित हैं. पीड़िता की फोटो और पोस्टमार्टम के बाद उसकी बॉडी को दिखाना चिंताजनक है. पीड़िता की तस्वीरें और नाम सोशल मीडिया पर प्रसारित होने से बहुत चिंतित हैं. CJI ने कहा हर जगह पीड़िता की पहचान उजागर हुई. जबकि ऐसा नही होना चाहिए था. CJI ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि क्या प्रिंसिपल ने हत्या को आत्महत्या बताया था? क्या पीड़िता के माता-पिता को सूचना देर से दी गई. क्या उन्हें मिलने नहीं दिया गया?SC ने पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा कि हॉस्पिटल में काम करने वाले डॉक्टरों को सुरक्षा कौन देगा? सरकार ने कहा- पुलिस. इस पर केंद्र की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, नहीं. सीआईएसएफ देगी. SC ने कहा ठीक है. सीआईएसएफ सुरक्षा देगा. CJI का कहना था कि RG कर अस्पताल की सुरक्षा बंगाल पुलिस करने में असमर्थ है. ऐसे में हम चाहते हैं कि CISF को इसकी सुरक्षा सौंपनी चाहिए.

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अस्पताल से क्या सवाल? 

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार और हॉस्पिटल प्रशासन को फटकार लगाई. CJI ने कहा कि जब हत्या की घटना हुई, उस समय पीड़िता के माता-पिता वहां मौजूद नहीं थे. ये हॉस्पिटल प्रबंधन की जिम्मेदारी थी कि वो एफआईआर दर्ज कराए. सीजेआई ने सवाल किया कि एफआइआर देर से क्यों दर्ज हुई? हॉस्पिटल प्रशासन आखिर क्या कर रहा था? CJI ने पूछा- उस समय प्रिंसिपल क्या कर रहे थे? माता-पिता को पीड़िता का शव भी देर से सौंपा गया. SC ने पूछा, सबसे पहले एफआईआर किसने और कब दर्ज कराई. इस पर जानकारी दी गई कि मामले में उस रात 11.45 PM पर पहली एफआईआर दर्ज की गई. CJI ने कहा की अभिभावकों को बॉडी देने के 3 घंटे 30 मिनट के बाद एफआईआर दर्ज की गई?

पुलिस से क्या सवाल

कोर्ट ने एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करने में देरी के लिए पश्चिम बंगाल सरकार और पुलिस को फटकारा. कोर्ट ने कहा, शुरुआत में मामले में FIR दर्ज नहीं की गई. पुलिस क्या कर रही थी? एक गंभीर अपराध हुआ है. उपद्रवियों को अस्पताल में घुसने दिया गया?  CJI ने कहा कि पुलिस ने क्राइम सीन को प्रोटेक्ट क्यों नहीं किया? हजारों लोगों को अंदर क्यों आने दिया?  पुलिस को सबसे पहला काम अपराध स्थल की सुरक्षा करना है. बेंच ने पूछा, जब हजारों की भीड़ ने अस्पताल पर हमला किया तो पुलिस बल क्या कर रहा था? CJI ने कहा कि पुलिस कर क्या रही थी? सरकार ने कहा कि आप वीडियो देखें. 150 पुलिस वाले तोड़फोड़ के समय वहां मौजूद थे. कोई पुलिस वाला जगह छोड़कर नहीं गया. सीजेआई ने कहा, पश्चिम बंगाल पुलिस को खुद पर उठ रहे सवालों को गंभीरता से लेना चाहिए.

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हड़ताली डॉक्टर्स को क्या संदेश?

CJI ने कहा कि हम एक नेशनल टास्क फोर्स बनाना चाहते हैं, जिसमें सभी डॉक्टरों की भागीदार हो. CJI ने डॉक्टरों को कहा कि आप हम पर भरोसा करें. जो डॉक्टर हड़ताल पर है. इस बात को समझें कि पूरे देश का हेल्थ केयर सिस्टम उनके पास है. हम डॉक्टरों से आग्रह करते हैं कि काम पर लौटें. हम डॉक्टरों से अपील करते हैं. हम उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए यहां हैं. हम इसे हाईकोर्ट के लिए नहीं छोड़ेंगे. ये बड़ा राष्ट्रहित का मामला है.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, इसे हल्का मामला नहीं समझना चाहिए. हम एक युवा डॉक्टर के साथ एक यौन विकृत व्यक्ति द्वारा बलात्कार की घटना से निपट रहे हैं, लेकिन इसमें एक पशु जैसी प्रवृत्ति भी थी. मैं इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहता. माता-पिता को 3 घंटे तक बेटी का शव देखने के लिए इंतजार करना पड़ा. पश्चिम बंगाल की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए.

नेशनल टास्क फोर्स का गठन भी कर दिया गया है. तीन हफ्ते में रिपोर्ट मांगी है. ये टास्क फोर्स चिकित्सा पेशे से जुड़े लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपनाए जाने वाले तौर-तरीकों से अदालत को अवगत कराएगी. 

SG ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाए कि वो सीबीआई के साथ कुछ भी साझा नहीं कर रही है. सरकार ने कहा कि हमने CBI को केस डायरी दी है. सीजेआई ने कहा कि माता-पिता द्वारा महिला डॉक्टरों को घर वापस बुलाना एक गंभीर मुद्दा है और कोलकाता पुलिस की निष्क्रियता को दोषी ठहराया.

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टास्क फोर्स में कौन-कौन?

- सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन, महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (नौसेना).
- डॉ. डी नागेश्वर रेड्डी.
- डॉ. एम श्रीनिवास, एम्स दिल्ली निदेशक
- डॉ. प्रतिमा मूर्ति, NIMHANS बेंगलुरु
- डॉ. गोवर्धन दत्त पुरी, एम्स जोधपुर
- डॉ. सौमित्र रावत, सदस्य गंगाराम हॉस्पिटल, दिल्ली
- प्रोफेसर अनीता सक्सेना, कुलपति
- डॉ. पल्लवी सैपले, जेजे ग्रुप अस्पताल
- डॉ. पद्मा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन न्यूरोलॉजी, पारस हॉस्पिटल गुरुग्राम

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