
गुजरात दंगों पर BBC डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर रोक का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. अब इस मामले में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट किया है. उन्होंने पूछा- झूठा प्रचार कब तक चल सकता है? इस मामले में देश के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया और अलग कर दिया गया है. लेकिन, ऐसे लोगों का मकसद क्या है? उनका उद्देश्य क्या है? देश का सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च है या बीबीसी? भारत इस औपनिवेशिक मानसिकता से बहुत आगे निकल चुका है. इससे पहले एक अन्य ट्वीट में रिजिजू ने कहा था कि इस तरह वे सुप्रीम कोर्ट का कीमती समय बर्बाद करते हैं, जहां हजारों आम नागरिक न्याय के लिए तारीखों की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
बता दें कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर रोक लगाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में तीन याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इन याचिकाओं में केंद्र द्वारा बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने के फैसले को चुनौती दी गई है. एमएल शर्मा द्वारा दाखिल याचिका में सरकार के फैसले को मनमाना, दुर्भाग्यपूर्ण और असंवैधानिक बताया गया है. कोर्ट से डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट की जांच की मांग की गई है. साथ ही 'दंगों के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों' के खिलाफ भी जांच की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इस मामले में 6 फरवरी को सुनवाई होगी.
'आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग कर रही है सरकार'
बताया जा रहा है कि कोर्ट में एक याचिका एमएल शर्मा द्वारा, दूसरी याचिका जर्नलिस्ट एन राम और वकील प्रशांत भूषण द्वारा, जबकि तीसरी याचिका टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा द्वारा दाखिल की गई है. याचिका में कहा गया है कि सरकार अपनी आपातकालीन शक्तियां का इस्तेमाल कर ट्वीट और क्लिप को ब्लॉक कर रही है. जर्नलिस्ट एन राम और वकील प्रशांत भूषण के ट्वीट डिलीट कर दिए गए.
वकील सी यू सिंह ने अजमेर यूनिवर्सिटी के छात्रों को सस्पेंड करने का भी मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग करने के मामले में छात्रों को सस्पेंड कर दिया गया. न सिर्फ क्लास से सस्पेंड किया गया, बल्कि यूनिवर्सिटी से छात्रों को सस्पेंड कर दिया. वकील सी यू सिंह ने कहा कि लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है.