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लीलावती हॉस्पिटल विवाद: संघर्ष और अदालती मामलों में उलझा हुआ है संस्थापक का परिवार

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और अब लीलावती अस्पताल के कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह ने बुधवार को दावा किया कि पूर्व ट्रस्टियों ने LKMMTके स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता के कार्यालय में 'काला जादू' किया था.

मुंबई की लीलावती हॉस्पिटल (तस्वीर: विकीपीडिया कॉमन्स) मुंबई की लीलावती हॉस्पिटल (तस्वीर: विकीपीडिया कॉमन्स)
बिदिशा साहा/दिव्येश सिंह/दीपेश त्रिपाठी
  • नई दिल्ली,
  • 14 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 2:26 AM IST

महाराष्ट्र (Maharashtraa) के मुंबई का लीलावती हॉस्पिटल हाल ही में 1,250 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी के आरोपों के बाद विवादों में आ गया है. यह वह जगह है, जो बॉलीवुड के लोगों के लिए पसंदीदा मेडिकल सेंटर है. धोखाधड़ी के आरोप लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMMT) द्वारा 17 लोगों के खिलाफ दर्ज कराई गई FIR से सामने आए हैं, जिसमें सात पूर्व ट्रस्टी, उपकरण आपूर्तिकर्ता और विक्रेता शामिल हैं, जिन पर पिछले दो दशकों में 1,250 करोड़ रुपये से ज्यादा का गबन करने का आरोप है.

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लेकिन फाइनेंशियल मिस मैनेजमेंट ही एकमात्र ऐसी चीज नहीं है, जो इस प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान को परेशान कर रही है. 

काला जादू का आरोप

मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त और अब लीलावती अस्पताल के कार्यकारी निदेशक परमबीर सिंह ने बुधवार को दावा किया कि पूर्व ट्रस्टियों ने LKMMTके स्थायी ट्रस्टी प्रशांत मेहता के कार्यालय में 'काला जादू' किया था.

India Today TV ने FIR में शामिल ट्रस्टियों के पिछले रिकॉर्ड खंगाले, जिसमें कथित सोना चोरी, HSBC स्विस बैंक में विदेशी खाते और भाइयों के बीच लंबे वक्त से चल रहे पारिवारिक झगड़े का दिलचस्प इतिहास सामने आया.

लीलावती हॉस्पिटल के फाउंडर का परिवार 

हॉस्पिटल का नाम दिग्गज हीरा व्यापारी कीर्तिलाल मेहता के नाम पर है, जिनके बेटे किशोर ने 1964 में अपने पिता और माता लीलावती के नाम पर इसकी स्थापना की थी.

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कीर्तिलाल ने तेल अवीव में हीरा व्यापारी के रूप में अपनी पहचान बनाई और भारत की डायमंड इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम बन गए. वे उन कई भारतीय हीरा व्यापारी परिवारों में से एक थे, जो 1960 और 1970 के दशक में बेल्जियम चले गए थे.

उनका हीरा साम्राज्य, गेम्बेल ग्रुप, तीन महाद्वीपों में फैला हुआ था और अब इसका मैनेजमेंट उनके बेटे रश्मि मेहता द्वारा किया जाता है, जो तब से प्रशांत के कट्टर प्रतिद्वंद्वी बन गए हैं.

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स्विस बैंक और अदालती मामले

2015 में स्विस HSBC बैंक खाताधारकों की लीक हुई लिस्ट में 1,195 भारतीयों के नाम सामने आए थे. इनमें रश्मि मेहता और उनके बेटे भाविन मेहता, प्रबोध मेहता और उनके बेटे चेतन मेहता शामिल थे, जिनके पास 6.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर (42.16 करोड़ रुपये) थे और इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) के अनुसार स्विट्जरलैंड में रजिस्टर्ड चार कंपनियों के लाभार्थी धारकों के रूप में लिस्टेड थे.

प्रबोध और रश्मि मेहता मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल और बेल्जियम स्थित गेम्बेल ग्रुप के संस्थापक कीर्तिलाल मेहता के बेटे हैं.

मेहता परिवार बेल्जियम चला गया, जहां उन्हें डायमंड सर्किल में गेम्बेल परिवार के नाम से जाना जाता है. उनके योगदान के सम्मान में, प्रबोध मेहता को 1993 में बेल्जियम के राजा द्वारा ऑर्डर ऑफ़ लियोपोल्ड II और 2004 में ऑफ़िसर इन डी क्रूनोर्डे की उपाधि से सम्मानित किया गया.

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भारत में, जहां कच्चे हीरे का आयात टैक्स-फ्री है, व्यापारी अक्सर आयात पर प्रति कैरेट उच्च मूल्य घोषित करते हैं, जबकि लगभग समान मात्रा में काफी कम कीमतों पर निर्यात करते हैं. रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कुछ पूर्व ट्रस्टी आयकर विभाग द्वारा 500 करोड़ रुपये के कर दावों के लिए जांच के दायरे में हैं.

पिछले साल मार्च में, बॉम्बे हाई कोर्ट ने लीलावती के फाउंडर किशोर मेहता और उनके बेटे राजेश के खिलाफ अदालत को दिए गए वचन का कथित उल्लंघन करने और HDFC बैंक द्वारा दायर कार्यवाही में ऋण राशि का 25 फीसदी जमा करने में कथित रूप से फेल रहने के लिए अवमानना ​​नोटिस जारी किया था.

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सोने की चोरी

यह पहली बार नहीं है, जब प्रशांत मेहता अपने रिश्तेदारों और भाइयों को अदालत में ले गए हैं. चार साल पहले, उन्हें पता चला कि गुजरात के बनासकांठा के पालनपुर में उनके पैतृक घर मणि भुवन से 45 करोड़ रुपये के कीमती प्राचीन सोने के गहने गायब थे.

आभूषणों को दीवारों में बनी एक सुरक्षित तिजोरी में रखा गया था. यह एक ऐसी जगह है, जहां उनके दादा कीर्तिलाल मेहता ने प्राचीन सोने और चांदी के आभूषणों के साथ-साथ ऐतिहासिक बर्तनों को सुरक्षित रखा था, जो कभी बड़ौदा के राजा के थे.

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सितंबर 2021 में जब प्रशांत ने तिजोरी खुली और कीमती सामान गायब पाया, तो उसने अपने भाई और अस्पताल के साथी ट्रस्टियों पर तिजोरी तोड़कर कलाकृतियां चुराने का आरोप लगाया.

जब पुलिस ने FIR दर्ज करने से इनकार कर दिया, तो प्रशांत ने चोरी के लिए ट्रस्टियों के खिलाफ पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाते हुए मामला गुजरात हाई कोर्ट में गया. जबकि कोर्ट ने उनकी याचिका का निपटारा कर दिया, उसने निचली अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए मौखिक निर्देश जारी किए.

इसके बाद, प्रशांत के चाचा रश्मि मेहता और उनके बेटे भाविन, चचेरे भाई चेतन मेहता और निकेत मेहता, चाची सुशीला मेहता, भतीजे आयुष्मान मेहता और नानिक रूपानी, लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टी, चाची रेखा शेठ, चाचा प्रबोध मेहता और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए.

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परिवार में झगड़ा?

पारिवारिक झगड़ा 2006 से शुरू हुआ, जब लीलावती अस्पताल विवाद में विजय मेहता के खिलाफ हस्ताक्षर जालसाजी के आरोप लगाए गए थे. उस साल, लीलावती अस्पताल के संस्थापक और विजय के भाई किशोर मेहता ने आरोप लगाया कि विजय को स्थायी ट्रस्टी के रूप में नियुक्त करने वाले 1995 के बोर्ड के प्रस्ताव में जाली हस्ताक्षर थे, उन्होंने दावा किया कि यह प्रस्ताव उनकी और उनकी पत्नी चारु मेहता की अनुपस्थिति में पारित किया गया था.

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विजय के बेटे निकेत का अपने चचेरे भाइयों- राजेश मेहता, प्रशांत मेहता और राजीव मेहता से भी टकराव हुआ है, जो सुप्रीम कोर्ट से मान्यता का हवाला देते हुए ट्रस्टी के रूप में अपना दावा पेश करते रहते हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने हस्तक्षेप करते हुए विवादित दस्तावेजों और 1993 से 1997 तक की बोर्ड मीटिंग के मिनटों की जांच पुणे में दस्तावेजों के मुख्य परीक्षक द्वारा फोरेंसिक एनालिसिस के लिए करने का आदेश दिया.

कानूनी लड़ाई 2016 में खत्म हुई, जब किशोर मेहता ने सफलतापूर्वक स्थायी ट्रस्टी के रूप में अपना स्थान फिर से हासिल कर लिया. किशोर की मौत के बाद, उनके बेटे प्रशांत मेहता ने स्थायी ट्रस्टी का पद संभाला. प्रशांत के नेतृत्व में, एक फॉरेंसिक ऑडिट ने महत्वपूर्ण वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया, जिसके कारण पूर्व ट्रस्टियों के खिलाफ कई शिकायतें और जांच चल रही हैं.

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