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लिंगायत संत ने बोम्मई सरकार को दी धमकी, आरक्षण जारी करने को लेकर दिया 12 जनवरी तक समय

लिंगायत समुदाय के संत ने सरकार को 12 जनवरी तक का समय दिया है कि वे आरक्षण को लेकर आदेश जारी करें. लिंगायत संत ने धमकी दी है कि अगर आरक्षण का आदेश जारी नहीं हुआ तो 13 जनवरी को शिग्गांव में CM आवास के सामने प्रदर्शन की धमकी दी है. 

बसवराज बोम्मई (फाइल फोटो) बसवराज बोम्मई (फाइल फोटो)
नागार्जुन
  • बेंगलुरू,
  • 09 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 10:52 PM IST

कर्नाटक में पंचमशाली लिंगायत समुदाय के एक संत ने आरक्षण जारी करने के लिए सरकार को समय सीमा दे दी है. लिंगायत समुदाय के संत ने सरकार को 12 जनवरी तक का समय दिया है कि वे आरक्षण को लेकर आदेश जारी करें.

संत ने धमकी दी है कि अगर आरक्षण का आदेश जारी नहीं हुआ तो 13 जनवरी को शिग्गांव में CM आवास के सामने प्रदर्शन की धमकी दी है. 

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बता दें कि राज्य में अप्रैल-मई में विधानसभा चुनाव होने हैं. इससे पहले यह प्रदर्शन बड़ा खेल कर सकता है. दरअसल, पंचमसाली लिंगायत समुदाय प्रमुख वीरशैव-लिंगायत समुदाय का एक उप-संप्रदाय है. इसे BJP के वोटर्स का आधार माना जाता है. पंचमसाली समुदाय OBC आरक्षण मैट्रिक्स की श्रेणी 2A (15 प्रतिशत) में शामिल होना चाहता है. वर्तमान में वे 3B (5 प्रतिशत) की श्रेणी में शामिल हैं. 

लंबे समय से आरक्षण की मांग

लिंगायत समुदाय लंबे समय से आरक्षण की मांग कर रहा है. दिसंबर 2022 में भी भाजपा के बीजापुर शहर के विधायक बासनगौड़ा पाटिल यतनाल ने कहा था कि आरक्षण को लेकर ऐतिहासिक शक्ति प्रदर्शन होगा. उन्होंने तब कहा था कि इस  मामले को लेकर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई एक ऐतिहासिक फैसला लेंगे. बता दें कि पंचमसाली लिंगायतों ने बेलगावी में शक्ति प्रदर्शन के रूप में एक विशाल सम्मेलन की योजना भी बनाई थी.

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आरक्षण के फैसले का होगा स्वागत

आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कुदालसंगम पंचमसाली पीठ के संत बसवा जया मृत्युंजय स्वामी ने कहा था कि अगर मुख्यमंत्री आरक्षण का न्याय देते हैं तो उनका सम्मान किया जाएगा, लेकिन अगर वे फैसला करने में देरी करते हैं तो विधानसभा के सामने बैठकर आंदोलन किया जाएगा.

गौरतलब है कि 2ए श्रेणी के तहत पहले से ही 15 प्रतिशत आरक्षण साझा करने वाली 102 व्यावसायिक उप-जातियां शामिल हैं. ऐसे में अगर सरकार राजनीतिक समीकरणों में बदलाव किए बिना कैसे आरक्षण का फैसला लेती है, क्योंकि पंचमसाली लिंगायत समुदाय को मौजूदा श्रेणी के तहत आरक्षण देने पर दूसरी जातियों में नाराजगी होने की संभावना है.

 

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