
देशभर में H3N2 वायरस के केस तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. इसे लेकर केंद्र सरकार अलर्ट मोड में आ गई है. इस वायरस से दम तोड़ने वाले मरीजों का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है. आज एक महिला ने गुजरात के वडोदरा में दम तोड़ दिया. महिला की उम्र 58 साल थी और वह वडोदरा के SSG अस्पताल में भर्ती थीं. बताया जा रहा है कि अबतक इस संक्रमण से देशभर में 7 लोगों की मौत हो चुकी है. उधर, कोरोना वायरस से लंबी लड़ाई लड़ने वाले देश के सबसे बड़े कोरोना अस्पताल LNJP ने H3N2 वायरस से निपटने के लिए इंतजाम कर लिए हैं. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. सुरेश कुमार ने 'आजतक' से खास बातचीत में बताया कि H3N2 वायरस की चपेट में आए मरीज़ों के इलाज के लिए LNJP में आइसोलेशन वार्ड का सेटअप किया गया है. इस वार्ड में ICU बेड्स, बाईपैप्स, ऑक्सीजन बेड्स और वेंटिलेटर रिजर्व किए गए हैं.
LNJP अस्पताल ने H3N2 वायरस के मरीज़ों का इलाज करने के लिए 15 डॉक्टर्स की टीम भी तैनात की गई है. इसमें अलग-अलग विभाग के विशेषज्ञ भी शामिल हैं. डॉ सुरेश कुमार ने बताया कि एलएनजेपी अस्पताल में जनवरी में लगभग 1200 मरीज़ OPD में रोजाना आ रहे थे. लेकिन अब लगभग 1600 मरीज़ रोजाना OPD में इलाज के लिए आ रहे हैं. वहीं, बच्चों की OPD में जनवरी में ये आंकड़ा लगभग 400 था, जो अब बढ़कर लगभग 700 तक पहुंच गया है.
डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि H3N2 वायरस की पहचान के लिए RT-PCR टेस्ट किया जाता है. मरीज में लक्षण पाए जाने पर LNJP अस्पताल ने NCDC और निर्धारित लैब में सैंपल भेजने की तैयारी की है.
H3N2 वायरस में क्या महसूस होता है?
डॉ. सुरेश कुमार ने मार्च 2023 में आई एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि वायरस से 90 से 92% लोगों में बुखार और 80 से 86% मरीजों में खांसी की समस्या होती है. जो 2 हफ़्ते तक रहती है. उन्होंने कहा कि 27% लोगों की सांस फूलती हैं, 10% मरीजों में ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है, जबकि सिर्फ 5% मरीज़ को भर्ती करने की जरूरत पड़ती है. 90 से 95% सामान्य रूप से ठीक हो जाते हैं.
H3N2 का इलाज
डॉ. सुरेश कुमार का कहना है कि H3N2 वायरस की पहचान के लिए RT-PCR टेस्ट करवा सकते हैं. इस वायरस से निपटने के लिए एंटी बायोटिक दवाइयों को कोई रोल नहीं हैं. इनका इस्तेमाल न करें और वायरस की चपेट में आने पर घर पर ख़ुद को आइसोलेट कर लें. अगर सांस फूल रही हैं, बुखार अगर 5 दिन से ज़्यादा है, नाक से पानी बह रहा है, छाती में दर्द है और लगातार कफ हैं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं. गंभीर लक्षण होने की स्थिति में चेस्ट का एक्स-रे जरूर कराएं.
H3N2 वायरस से बचाव
डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर, शुगर, हार्ट, बीपी की बीमारी वाले मरीज़ अगर H3N2 वायरस की चपेट में आएं तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं और घर में इलाज न करें. वायरस से संक्रमित मरीज़ भीड़ में न जाएं और मास्क पहने. वायरस से संक्रमित मरीज़ से मुलाक़ात के बाद बचाव के लिए साबुन और सेनेटाइज़र से हाथ साफ कर लें.
इन बातों का रखें ध्यान
डॉ. सुरेश कुमार ने कहा कि जैसे कोरोना फैलता था, उसी तरह से इसका संक्रमण भी रेस्पिरेटरी रूट से होता है. इसलिए हमें सावधानी बरतनी चाहिए. मास्क का प्रयोग करना चाहिए, हाथ मिलाने और ग्रुप में खाना खाने से परहेज करना चाहिए. अगर किसी को नाक से पानी आ रहा है, खांसी है तो खुद को आइसोलेट करें, अगर कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो वह सार्वजनिक जगह पर थूकने से बचें. इस वायरस में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है, इसकी प्रभावी दवाई सभी अस्पतालों में उपलब्ध है, इसलिए बिना डॉक्टर की सलाह के किसी को भी एंटीबायोटिक लेने से बचना चाहिए.
देशभर में H3N2 से कितनी मौतें?
H3N2 वायरस से देश में अब तक 7 लोगों की मौत हो गई है. सूत्रों के मुताबिक गुजरात, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा में H3N2 वायरस से मौत की पुष्टि हुई है. सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है. हालांकि, H3N2 से मौत की वजह का पता लगाने के लिए और जांच की जरूरत है. आज एक महिला ने गुजरात के वडोदरा में दम तोड़ दिया. महिला की उम्र 58 साल थी और वह वडोदरा के SSG अस्पताल में भर्ती थीं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि H3N2 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसके मरीज हर साल इस समय सामने आते हैं. यह ऐसा वायरस है, जो समय के साथ उत्परिवर्तित होता है. डॉ. गुलेरिया का कहना है कि यह इन्फ्लुएंजा वायरस ड्रॉपलेट्स के जरिए कोविड की तरह ही फैलता है. केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें पहले से ये बीमारी है. एहतियात के तौर पर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें. हालांकि इससे बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है.
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