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बिहार: NDA में सीट शेयरिंग पर फंसा पेच? PM मोदी की सभाओं में चिराग-कुशवाह की गैरमौजूदगी से उठे सवाल

बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर खींचतान जैसे हालात बन रहे हैं. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा के प्रधानमंत्री मोदी की रैलियों में नजर नहीं आने के बाद गठबंधन की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं. आइए एक नजर डालते हैं बिहार में एनडीए गठबंधन, उसके सहयोगी दलों और उनकी सीटों की मांगों पर, जिससे बीजेपी हाई कमान की परेशानी बढ़ना तय है.

उपेंद्र कुशवाहा, नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान उपेंद्र कुशवाहा, नरेंद्र मोदी, चिराग पासवान
शशि भूषण कुमार
  • पटना,
  • 06 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 8:01 PM IST

बिहार में लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर एनडीए खेमे में उठापटक की स्थिति बन रही है. बीजेपी ने अपने कोटे से 195 उम्मीदवारों की एक लिस्ट तो जारी कर दी है लेकिन बिहार में सहयोगी दलों की सीटों की मांग से पार्टी हाई कमान की परेशानी बढ़ना तय है. सीट शेयरिंग में देरी को एनडीए में खींचतान के तौर पर देखा जा रहा है.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच दिनों में बुधवार को दूसरी बार बिहार पहुंचे थे. बेतिया में उन्होंने एक सभा को संबोधित किया. इससे पहले 2 मार्च को वह औरंगाबाद और बेगूसराय में थे. हालांकि, इन दोनों ही कार्यक्रमों में नीतीश कुमार तो मंच पर मौजूद रहे और पीएम ने उन्हें स्पेशल ट्रीटमेंट भी दिया लेकिन चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा रैली में नहीं पहुंचे. दोनों नेताओं की तरफ से फिलहाल कोई बयान तो नहीं आया है लेकिन राजद कह रही है कि एनडी में 'सिर फुटौवल' वाली स्थिति है.

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कुशवाहा और चिराग ने पीएम की रैली से बनाई दूरी

चिराग और कुशवाहा के पीएम मोदी की रैलियों में नजर नहीं आने को लेकर उठ रहे सवालों पर बीजेपी ने सफाई में कहा कि ये कार्यक्रम सरकारी रहे हैं और प्रोटोकॉल की वजह से उन्हें कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया. सूत्रों की मानें तो उपेंद्र कुशवाहा को औरंगाबाद के कार्यक्रम में शामिल होने का न्यौता दिया गया था लेकिन कुशवाहा ना तो विधायक हैं और ना ही सांसद - इस लिहाज से उन्हें मंच पर सरकारी कार्यक्रम में जगह नहीं दी जा सकती थी. शायद यही वजह रही कि बाद में कुशवाहा ने कार्यक्रम से दूरी बना ली. 

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बेगूसराय के कार्यक्रम में चिराग पासवान को शामिल होने का न्योता दिया गया था और वह सांसद भी हैं लेकिन सरकारी कार्यक्रम होने की वजह से उन्हें बैक सीट पर बैठना पड़ सकता था. यही वजह हो सकती है कि वह कार्यक्रम में नहीं आए. हालांकि, एनडीए का हिस्सा होने के चलते इन दो नेताओं का पीएम मोदी की रैली में नजर नहीं आने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. विपक्षी गठबंधन इसे एनडीए में उठापटक मान रही है.

6 पार्टियां बिहार में एनडीए का हिस्सा

बिहार एनडीए में सीट बंटवारे पर जल्द फैसला हो पाएगा, इसकी उम्मीद भी कम ही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 7-13 मार्च तक विदेश दौरे पर जा रहे हैं. हालांकि, वह विदेश जाने से पहले दिल्ली में बीजेपी हाई कमान के साथ मीटिंग भी कर सकते हैं. बिहार में जनता दल यूनाइटेड, चिराग पासवान और पशुपति पारस के खेमों में बंटी एलजेपी, उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा एनडीए का हिस्सा हैं. मसलन, बिहार एनडीए में छह दल हैं जिन्हें लोकसभा चुनाव में कुछ सीटें मिलने की उम्मीद है.

अब अगर 2019 के सीट शेयरिंग का फॉर्मूला देखें तो पता चलता है कि 40 लोकसभा सीटों में अकेले बीजेपी के पास 17 सीटें हैं. वहीं जदयू के 16 सिटिंग सांसद हैं और ऐसे में देखना होगा कि जदयू कहां तक गठबंधन धर्म निभाएगी.

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चाचा-भतीजे की आठ सीटों की डिमांड

बीते चुनाव में लोजपा ने 6 सीटें जीती थी लेकिन बाद में पार्टी का बंटवारा हो गया. यहां मामला चिराग पासवान और चाचा पशुपति पारस के बीच फंसा है, जहां चाचा दो सीटों की डिमांड कर रहे हैं तो भतीजे की डिमांड छह सीटों की है. मसलन, बीजेपी-जदयू के कुल सांसद 33 हैं और 40 लोकसभा सीटों में बाकी सात सीटें बचती है. अब देखना होगा कि बीजेपी किस तरह अन्य चार सहयोगी दलों की डिमांड पूरी करती है.

एनडीए की 6 सहयोगी दलों को चाहिए 11 सीटें

उपेंद्र कुशवाहा अपनी पार्टी के लिए कम से कम दो सीटें जरूर चाहते हैं. वहीं जीतन राम मांझी की पार्टी एचएएम के पाले में भी एक सीट पक्की मानी जा रही है. मसलन, एनडीए की चार सहयोगी पार्टियां 11 सीटें मांग रही है, जहां 40 सीटों में 33 सीटों पर पहले से ही बीजेपी-जदयू काबिज है. कहा यह भी जा रहा है कि बीजेपी जदयू से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में नहीं है. चुनाव में सहयोगी दलों के सहयोग के लिए बीजेपी जदयू को अपने खाते से उन्हें सीटें बांटनी पड़ सकती है.

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'सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय, जल्द होगा ऐलान'

एनडीए में उठापटक के दावों पर बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि सीट बंटवारे का फार्मूला तय है और सही समय पर बैठकों के बाद इसकी घोषणा कर दी जाएगी. वहीं जेडीयू ने भी कहा है कि स्वाभाविक मॉडल के तहत सीट बंटवारा समय पर हो जाएगा. आरजेडी को एनडीए की चिंता नहीं करनी चाहिए, बल्कि अपनी फिक्र करनी चाहिए. जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा है कि एनडीए पूरी तरह एकजुट है और नीतीश कुमार अगर बेतिया की सभा में शामिल नहीं हुए तो इसकी वजह उनका विदेश दौरा है.

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