
Loudspeaker Rules: देश भर में मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर विवाद शुरू हो गया है. इस विवाद की शुरुआत महाराष्ट्र से हुई. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख राज ठाकरे ने धमकी दी कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद हो, नहीं तो मस्जिदों के बाहर तेज आवाज में हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.
बात यहीं तक नहीं रुकी, अब राज ठाकरे ने धमकी दे दी है कि अगर 3 मई तक सभी मस्जिदों से लाउडस्पीकर नहीं हटाए गए तो उनके कार्यकर्ता मस्जिदों के बाहर लाउडस्पीकर से हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे.
महाराष्ट्र से उठी ये आग धीरे-धीरे बाकी राज्यों में भी पहुंच गई. कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, गोवा, बिहार समेत कई राज्यों में हिंदू संगठनों और बीजेपी ने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल बंद करने को कहा है. यूपी के वाराणसी में काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन के अध्यक्ष सुधीर सिंह ने अपने घर पर लाउडस्पीकर लगा लिया है. उनका कहना है कि अजान के वक्त इससे हनुमान चालीसा का पाठ किया जाएगा.
लेकिन सवाल ये है कि क्या मंदिर या मस्जिद में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकता है? इस पर कानून क्या कहता है? लाउडस्पीकर के इस्तेमाल की मनाही नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें भी हैं. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है.
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क्या है लाउडस्पीकर को लेकर नियम?
- लाउडस्पीकर या कोई भी यंत्र का अगर सार्वजनिक स्थान पर इस्तेमाल किया जा रहा है, तो उसके लिए पहले प्रशासन से लिखित में अनुमति लेनी जरूरी है.
- रात के 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर या कोई भी यंत्र बजाने पर रोक है. हालांकि, ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसे बजा सकते हैं.
- राज्य सरकार चाहे तो कुछ मौकों पर रियायतें दे सकती है. राज्य सरकार किसी संगठन या धार्मिक कार्यक्रम के लिए लाउडस्पीकर या दूसरे यंत्रों को बजाने की अनुमति रात 10 बजे से बढ़ाकर 12 बजे तक दे सकती है. हालांकि, एक साल में सिर्फ 15 दिन ही ऐसी अनुमति दी जा सकती है.
लाउडस्पीकर की ध्वनि कितनी होगी, ये भी तय है
- लाउडस्पीकर या कोई भी यंत्र बजाने की कितनी ध्वनि होगी, ये भी इन नियमों में तय है. इन नियमों के मुताबिक, साइलेंस जोन के 100 मीटर के दायरे में लाउडस्पीकर या कोई भी शोर करने वाला यंत्र नहीं बजाया जा सकता. साइलेंस जोन में अस्पताल, कोर्ट और शैक्षणिक संस्थान आते हैं.
- इसके अलावा इंडस्ट्रियल इलाकों में ध्वनि का स्तर दिन के समय 75 डेसीबल और रात के समय 70 डेसीबल से ज्यादा नहीं होगा. कमर्शियल इलाकों में दिन में 65 डेसीबल और रात में 55 डेसीबल की लिमिट है.
- इसी तरह रिहायशी इलाकों में दिन के वक्त में ध्वनि का स्तर 55 डेसीबल और रात के वक्त 45 डेसीबल की लिमिट है. वहीं, साइलेंस जोन में दिन के समय 50 डेसीबल और रात के समय 40 डेसीबल का स्तर होगा.
अगर नियम टूटा तो क्या होगा?
इन नियमों का उल्लंघन करने पर कैद और जुर्माने दोनों सजा का प्रावधान है. इसके लिए एन्वार्यमेंट (प्रोटेक्शन) एक्ट, 1986 में प्रावधान है. इसके तहत इन नियमों का उल्लंघन करने पर 5 साल कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लग सकता है.
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लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर अदालतों के अहम फैसले
- अक्टूबर 2005: 28 अक्टूबर 2005 को सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि राज्य सरकार चाहे तो साल में 15 दिन धार्मिक या त्योहार के अवसर पर रात 12 बजे तक लाउडस्पीकर या ध्वनि यंत्र बजाने की अनुमति दे सकती है.
- अगस्त 2016: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किसी का भी मौलिक अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी धर्म संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला देकर ये नहीं कह सकता कि लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करना उसका मौलिक अधिकार है.
- जून 2018: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने लाउडस्पीकर के बजाने की लिमिट 5 डेसीबल तय कर दी. जबकि, पिन गिरने और इंसान के सांस लेने की आवाज 10 डेसीबल होती है. हाईकोर्ट ने कहा कि कोई भी व्यक्ति या संगठन बिना लिखित अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजा सकता. हाईकोर्ट ने मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारा में भी लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए अनुमति लेना जरूरी किया.
- जुलाई 2019: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर लाउडस्पीकर या कोई भी ध्वनि यंत्र के इस्तेमाल पर रोक लगा दी. कोर्ट ने कहा कि चाहे मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा ही क्यों न हो, कोई भी व्यक्ति या संगठन बिना अनुमति के लाउडस्पीकर नहीं बजा सकता.
- मई 2020: 15 मई 2020 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मस्जिद में अजान को बिना लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के भी किया जा सकता है. हाईकोर्ट ने कहा कि अजान इस्लाम का हिस्सा है, लेकिन लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है. कोर्ट ने कहा कि लाउडस्पीकर से अजान करना दूसरे लोगों के अधिकारों में दखल है.
- जुलाई 2020: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने जून 2018 में दिए अपने फैसले को 'गलती' माना. हाईकोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर लगी रोक को भी हटा लिया.
- जनवरी 2021: 11 जनवरी 2021 को कर्नाटक हाईकोर्ट ने गैर-कानूनी तरीके से लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने वाले धार्मिक स्थलों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया.