Advertisement

प्रभाकरण: गले में लटका कर रखता था जहर का कैप्सूल... टेरर प्लान से श्रीलंका को घुटनों पर लाने वाला LTTE चीफ

'LTTE चीफ वी प्रभाकरण जिंदा है'. सोमवार को जब एक तमिल नेता ने ये घोषणा की तो कइयों को 80-90 के दशक का वो दौर याद आ गया जब गले में साइनाइड का जहर कैप्सूल लटकाए प्रभाकरण के तमिल टाइगर्स श्रीलंका में कहर बरपाया करते थे. जिन्होंने कोलंबो में टेरर का वो दौर देखा है उनके लिए ये खबर झटके जैसी थी.

LTTE चीफ वी प्रभाकरण (फाइल फोटो) LTTE चीफ वी प्रभाकरण (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2023,
  • अपडेटेड 9:13 PM IST

वी प्रभाकरण... जाफना के जंगलों में जब तमिल राष्ट्र के लिए ये शख्स सशस्त्र संघर्ष कर रहा था तब एक बड़े तबके लिए वो आतंकवादी था. लेकिन लाखों लोग ऐसे भी थे जिनकी भावनाएं इसके साथ जुड़ी थी और वे प्रभाकरण को हीरो की तरह देखते थे. ऐसा व्यक्ति जिसने श्रीलंका में तमिलों पर हो कथित रूप से हो  रहे नस्लीय अत्याचार के खिलाफ हथियार उठा लिया था और अलग राष्ट्र हासिल करने के लिए लड़ रहा था. 

Advertisement

श्रीलंका की सरकार का दावा है कि उसने वर्ष 2009 में ही एक ऑपरेशन में LTTE चीफ वी प्रभाकरण को मार गिराया था. श्रीलंका की सरकार के अनुसार LTTE चीफ प्रभाकरण 18-19 मई, 2009 को सेना के ऑपरेशन में मारा गया था. लेकिन इस घटना के 14 साल बाद एक तमिल नेता ने अपने दावे से दक्षिण भारत, श्रीलंका और तमिल राजनीति में उबाल आ गया है. 

प्रभाकरण जिंदा है और जल्दी लौटेगा

तमिल नेता पी नेदुमारन ने दावा किया है कि लिट्‌टे चीफ जिंदा है और वे अपने परिवार से लगातार संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि इस घोषणा के साथ वी प्रभाकरण के बारे में चल रहे कई कयासों पर विराम लग जाएगा. पी नेदुमारन ने दावा किया कि वे जल्दी सार्वजनिक जीवन में वापसी करेंगे और इसकी योजना बनाई जा रही है.

Advertisement

पी नेदुमारन के इस दावे के साथ श्रीलंका और भारत में कई लोगों के अतीत के जख्म हरे हो गए हैं. 90 और 2000 के दशक में श्रीलंका वो जगह थी जहां LTTE लगातार आतंकी हमले कर रहा था. छापामार युद्ध के उस्ताद रहे LTTE ने अपने हमलों से कई बार श्रीलंका की सरकार को घुटनों पर ला दिया था. 

प्रभाकरण ने अपने टेरर प्लान से श्रीलंका को कई जख्म दिए. 1995 में श्रीलंका की राष्ट्रपति चंद्रिका कुमार तुंग लिट्टे के साथ बीतचीत को तैयार हुई तो LTTE ने श्रीलंका की नौसेना के पोत को समुद्र में डूबो दिया. 1995 से 2001 के बीच युद्ध का दायरा और बढ़ गया. इस बीच LTTE ने श्रीलंका के सेंट्रल बैंक पर हमला किया. इस हमले में 100 लोगों की मौत हो गई. जबकि LTTE के एक दूसरे हमले में राष्ट्रपति चंद्रिका कुमार तुंग घायल हो गईं. इस हमले में उनके आंखों में चोट आई थी. 2005 में LTTE ने श्रीलंका के विदेश मंत्री लक्ष्मण कादिरगमार की हत्या कर दी. 

राजीव गांधी  की हत्या में आया नाम

वी प्रभाकरण भले ही अंडरग्राउंड रहकर काम कर रहा था, लेकिन नेटवर्क और स्मगलिंग के दम पर इसने भारी रकम सैन्य ताकत जमा कर ली थी. लिट्टे (LTTE) के गुरिल्ला फाइटर्स फिदायीन हमलों से श्रीलंका में कहर मचा रहे थे. और जब बात LTTE के आत्मघाती हमलावरों की होती है तो पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या को कौन भूल सकता है.  LTTE से जुड़ी धनु नाम की एक आत्मघाती हमलावर ने  21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान पूर्व पीएम राजीव गांधी के सामने खुद को उठा लिया था. इस भीषण धमाके में राजीव गांधी की मौत हो गई थी. 

Advertisement
श्रीलंकाई सेना के ऑपरेशन में प्रभाकरण के परिवार के लोग भी मारे गए थे. (फाइल फोटो)

इससे पहले भारत ने 1987 में भारत ने श्रीलंका की सरकार और तमिल विद्रोहियों के बीच शांति स्थापित कराने की कोशिश की. इसी सिलसिले में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारत की शांति सेना श्रीलंका भेजी. भारत सरकार का उद्देश्य श्रीलंकाई तमिलों को सुरक्षा के साथ-साथ स्वायत्तता दिलाना था. इस दौरान अधिकतर विद्रोही गुटों ने भारतीय शांति रक्षक बलों के सामने हथियार डाल दिए थे, लेकिन लिट्टे इसके लिए तैयार नहीं हुआ. LTTE और शांति सेनाओं के बीच संघर्ष जारी रहा. इस मिशन में भारत के 1165 जवान शहीद हुए जबकि मारे जाने वाले LTTE लड़ाकों की 10 से 11 हजार थी. माना जाता है कि भारत के इसी मिशन का बदला लेने के लिए LTTE ने आत्मघाती हमले में राजीव गांधी की हत्या कर दी. 

श्रीलंका के राष्ट्रपति की हत्या की

यहीं नहीं कोलंबो एयरपोर्ट पर हमला हो, राष्ट्रपति प्रेमदासा की हत्या हो या फिर पूर्व राष्ट्रपति चंद्रिका कुमार तुंग पर किया गया जानलेवा अटैक. वी प्रभाकरण ने श्रीलंका में खून-खराबा का दौर कायम रखा. 

2009 में प्रभाकरण पर हुआ आखिरी प्रहार

प्रभाकरण के खिलाफ श्रीलंका की सरकार ने साल 2009 में आखिरी प्रहार शुरू किया. प्रभाकरण अबतक श्रीलंका के दो राष्ट्रपतियों पर हमला कर चुका था. एक बार उसे कामयाबी भी मिल चुकी थी. मई 2009 के महीने में श्रीलंका सैन्य कमांडर सरथ फोन्सेका प्रभाकरण और उसके सहयोगियों को घेर लिया था. प्रभाकरण  को सहयोगियों के साथ Mullaitivu के जंगलों में छिपना पड़ा. 

Advertisement

जहर का कैप्सूल लटकाकर रखते थे प्रभाकरण समेत LTTE के लड़ाके

अंतिम दिनों में श्रीलंका की सेना और प्रभाकरण के टाइगर्स के बीच भीषण युद्ध हुआ. प्रभाकरण के तमिल गुरिल्लाओं को पहले भी आदेश था कि किसी भी स्थिति में वे पकड़े न जाएं, ऐसा कोई भी मौका आने पर वे साइनाइड की कैप्सूल खाकर जान दे दें. इसी आदेश का नतीजा था कि LTTE का हर गुरिल्ला फाइटर जहर के कैप्सूल की माला गले में रखते थे. स्वयं प्रभाकरण के गर्दन में भी काले धागे से एक साइनाइड कैप्सूल टंगा रहता था. प्रभाकरण इसे अपनी शर्ट की जेब में एक आईडेंटिटी कार्ड की तरह रखता था. 

LTTE चीफ प्रभाकरण अपने सहयोगियों के साथ (फाइल फोटो-AFP)

अंतिम जंग और प्रभाकरण का सफाया

18 मई 2009 को सुबह 3 बजे प्रभाकरण के बेटे चार्ल्स एंथनी ने सेना का घेरा तोड़ने की कोशिश की लेकिन नाकाम रहा और मारा गया. इस दौरान 100 LTTE के लड़ाके भी मारे गए. 18 मई को शाम को नंदीकादल लैगून में झड़पें हुई. प्रभाकरण के 30 सबसे विश्वासमंद साथी और खुद प्रभाकरण ने नंदीकादल लैगून यहां से निकलने की कोशिश की. लेकिन श्रीलंकाई सेना चप्पे चप्पे पर मौजूदगी बनाई हुई थी. श्रीलंका की सेना के कर्नल जी वी रविप्रिया लगातार आगे बढ़ रहे थे. 

Advertisement

अगले दिन यानी कि 19 मई को आखिरी लड़ाई का वक्त आ गया. प्रभाकरण खुद मोर्चा संभाले हुए था. दोनों ओर से घनघोर लड़ाई हुई. धीरे धीरे LTTE का मोर्चा कमजोर पड़ने लगा. और उधर से गोलियां चलनी बंद हो गई. श्रीलंका की सेना वहां घुसी तो लिट्टे टाइगर्स के शव बिखरे पड़े हुए थे. श्रीलंका सेना का दावा है कि इसी दौरान उसके एक सौनिक सार्जेंट मुथु ने एक ऐसी बॉडी देखी जो मीडिया में मौजूद प्रभाकरण की तस्वीरों से मेल खाती थी. बाद में कर्नल जी वी रविप्रिया ने पुष्टि करते हुए कहा कि ये डेडबॉडी प्रभाकरण की ही है. 19 मई को सवा बारह बजे आर्मी कमांडर  सरथ फोन्सेका ने वी प्रभाकरण के मौत की आधिकारिक घोषणा की. बाद में LTTE ने भी माना कि उनके 'अतुलनीय नेता' शहीद हो गए हैं.

अफवाहों में जिंदा रहा प्रभाकरण

श्रीलंका की सेना का भले ही कहना हो कि प्रभाकरण मारा गया है. लेकिन ये व्यक्ति अफवाहों में जिंदा रहा.  कुछ संगठन और कुछ मीडिया ग्रुप ये दावा करते रहे हैं कि प्रभाकरण युद्ध क्षेत्र से भागने में कामयाब रहा. 2009 में एक तमिल वेबसाइट ने एक इमेज जारी किया. जिसमें वी प्रभाकरण अपनी ही मौत की खबर टीवी पर देख रहा है. इस फोटो को बाद में सबूत के तौर पर फ्रांस-24 नाम के संगठन को भेजा गया.

Advertisement

 2010 में एक तमिल वेबसाइट ने दावा कि श्रीलंका की सेना ने जिस फोटो को प्रभाकरण का बताया था वो श्रीलंका के एक सैनिक की थी. अब तमिल नेता पी नेदुमारन ने भी ऐसा ही दावा किया है. 

 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement