
डिजिटल अरेस्ट कर ठगी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. SGPGI की एसोसिएट प्रोफेसर से करोड़ों की ठगी के बाद अब साइबर अपराधियों ने लखनऊ में रिटायर्ड प्रोफेसर को अपना शिकार बनाया है. रिटायर्ड प्रोफेसर को लगभग 48 घंटे डिजिटल अरेस्ट कर उसके खाते से 54 लाख से अधिक की रकम हड़प ली है. रिटायर्ड महिला प्रोफेसर की तहरीर पर लखनऊ साइबर थाने में एफआईआर दर्ज हो चुकी है. अधिकारियों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है.
जानें क्या है पूरा मामला
लखनऊ में साइबर अपराधियों ने रिटायर्ड प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट कर 54 लाख 61000 की ठगी की है. जानकारी के अनुसार, इंदिरा नगर सेक्टर-16 में रहने वाली इंदिरा राय ,रिटायर्ड प्रोफेसर के पास बीते 12 सितंबर को अनजान नंबर से एक कॉल आई. कॉल करने वाले शख्स ने खुद को दिल्ली पुलिस का इंस्पेक्टर नेहरा बताया. उस पुलिस अफसर ने कहा कि उनके आधार कार्ड से एचडीएफसी में एक बैंक अकाउंट खोला गया है जिसमें मिलियन डॉलर का ट्रांसफर हुआ है. उस अकाउंट से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है. आधार कार्ड से एक सिम खरीदा गया है जिससे ड्रग्स सप्लाई हो रही है. इस मामले में दिल्ली में एफआईआर भी दर्ज हुई है.
जालसाज ने बुजुर्ग महिला को दिल्ली आकर बयान दर्ज करने के लिए कहा. महिला ने असमर्थता जताई तो कॉल करने वाले शख्स ने कहा मैं अपने सीनियर अधिकारी से बात करवा रहा हूं.
फिर आ गई वीडियो कॉल...
घबराई बुजुर्ग महिला के मोबाइल पर एक वीडियो कॉल भी आ गई जिसमें सामने एक शख्स पुलिस की वर्दी में बैठा था और कहा कि आपके बयान दर्ज होंगे, इस दौरान किसी से फोन पर बात नहीं करनी है अगर ऐसा किया तो ड्रग्स स्मगलिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में जेल भेज दिया जाएगा. हमने एक संदीप कुमार को पकड़ा है जो संदिग्ध कार्यों के लिए आपका नाम और पता बता रहा है.
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महिला से पूछताछ के नाम पर बैंक खातों की पूरी जानकारी ली गई. महिला की FD तुड़वाकर बचत खातों में ट्रांसफर करवा दी. इसके बाद जलसाजों ने एसबीआई का एक अकाउंट देकर कहा कि इसमें पैसे ट्रांसफर कर दें जिसे इन्वेस्टिगेट करके वो वापस कर देंगे. अगले दिन महिला ने अपने अकाउंट से कुल 54 लाख 61000 जलसाजों के बताएं अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए. महिला को जानकारी तब हुई जब अगले दिन बैंक से कॉल आई कि उसके साथ धोखाधड़ी हो गई है और उसे एफआईआर दर्ज करवानी चाहिए.
क्या है डिजिटल अरेस्ट
कानून की भाषा मे डिजिटल अरेस्ट नाम की कोई चीज नहीं, लेकिन ठगों की भाषा मे यह बेहद महत्वपूर्ण हो है. डिजिटल अरेस्ट के मामले में स्कैमर्स एक वर्चुअल लॉकअप भी बना देते हैं और अरेस्ट मेमो पर दस्तखत भी डिजिटल कराया जाता है. डिजिटल अरेस्ट में ये फेक फॉर्म भी भरवाते हैं. सब कुछ डिजिटल होता है लेकिन ये इतना डरा देते हैं कि पीड़ित घर के बाहर तक नहीं निकलता. इसके लिए स्कैमर्स बड़ी एजेंसियों और अधिकारियों के शामिल होने, सालों जेल में रहने जैसी बातों से डराते हैं.