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बैन के बावजूद धड़ल्ले से चल रहा महादेव बेटिंग ऐप, स्टिंग में खुलासा

महादेव बेटिंग ऐप पर खुलासे के बाद राजनीतिक घमासान मचा है. केंद्र सरकार एक्शन में आते हुए महादेव बेटिंग ऐप को बैन भी कर चुकी है. लेकिन अब इससे जुड़ी नई और बड़ी जानकारी सामने आई है.

महादेव बेटिंग ऐप से जुड़े दो लोगों का पर्दाफाश पहले ही आजतक कर चुका है महादेव बेटिंग ऐप से जुड़े दो लोगों का पर्दाफाश पहले ही आजतक कर चुका है
मो. हिज्बुल्लाह/अरविंद ओझा/दिव्येश सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:42 PM IST

केंद्र सरकार के बैन के बावजूद महादेव बेटिंग ऐप धड़ल्ले से चल रहा है. ये ऐप कैसे काम करता है, इससे जुड़ा खुलासा आजतक पहले ही कर चुका है. अब बैन के बावजूद ये ऐप चल रहा है, इससे जुड़े सबूत आजतक के हाथ लगे हैं.

महादेव ऐप के संडिकेट से जुड़े सदस्य से आजतक की स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम ने बात की. पढ़ें इसमें क्या सामने आया 

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रिपोर्टर: महादेव ऐप को सरकार ने बैन कर दिया है. क्या अब बेटिंग हो रही है, क्या सब सुरक्षित है?
महादेव ऐप का सदस्य: सर, कोई दिक्कत नहीं है. आप बेटिंग कर सकते हैं. बैन की वजह से कोई दिक्कत नहीं है.
रिपोर्टर: ऐप चल ही नहीं रहा है. इसको बैन कर दिया गया है. हम लोग अब कैसे खेल सकते हैं.
महादेव ऐप का सदस्य: सर आपके पास आईडी पर एक लिंक आया है. आप उस आईडी को खोलकर बेखौफ खेलिए.

आगे आजतक के रिपोर्टर को बैंक डिटेल्स भेजी गईं. ये जानकारियां मुस्कान बानो नाम के किसी अकाउंट की थी. इतना ही नहीं, प्रमोटर्स के कुछ मेसेज भी सामने आए हैं. इसमें लिखा है कि सिर्फ डोमेन बदला है, ऐप पर काम अब भी पहले की तरह चल रहा है.

बता दें कि इससे पहले आजतक ने जो स्टिंग ऑपरेशन किया था, उसमें बेटिंग ऐप से जुड़े शोभित हिमांशू तिवारी का पर्दाफाश किया था. दोनों ने बताया था कि ये महादेव ऐप किस तरह से काम कर रहा है.

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क्या है महादेव बेटिंग ऐप

महादेव बेटिंग ऐप ऑनलाइन सट्टेबाजी के लिए बना ऐप था. इस पर यूजर्स पोकर, कार्ड गेम्स, चांस गेम्स नाम से लाइव गेम खेलते थे. ऐप के जरिए क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों और चुनावों में अवैध सट्टेबाजी भी की जाती थी. अवैध सट्टे के नेटवर्क के जरिए इस ऐप का जाल तेजी से फैला और सबसे ज्यादा खाते छत्तीसगढ़ में खुले. इस ऐप से धोखाधड़ी के लिए एक पूरा खाका बनाया गया था.

महादेव बेटिंग ऐप कई ब्रांच से चलता था. हर ब्रांच को सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल फ्रेंचाइजी के रूप में बेचते थे. यूजर को सिर्फ शुरुआत में फायदा और बाद में नुकसान होता. फायदे का 80% हिस्सा दोनों अपने पास रखते थे. सट्टेबाजी ऐप रैकेट एक ऐसी मशीन की तरह काम करता है, जिसमें एल्गोरिदम यह तय करता है कि ऐप में अपना पैसा लगाने वाले केवल 30% ग्राहक ही जीतें.

इस मामले में जांच कर रही ईडी ने बताया था कि सौरभ और रवि के डॉन दाऊद इब्राहिम से संपर्क हैं. ऐप के ये दोनों प्रमोटर फिलहाल फरार हैं. माना जाता है कि ये UAE में छिपे हुए हैं और इन्होंने दाऊद के भाई इब्राहिम कासकर के साथ मिलकर 'खेलोयार' नाम से दूसरा ऐप बना लिया है. ये भी महादेव ऐप जैसा है. इसे कासकर के खास साथी पाकिस्तान के सिंध से ऑपरेट कर रहे हैं.

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Kheloyar ऐप ने श्रीलंका की टी20 क्रिकेट लीग लंका प्रीमियर लीड (LPL) को स्पॉन्सर भी किया था.

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