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नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को खुली शौच के आरोपों पर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया है. यह नोटिस 14 फरवरी को जारी किया गया था, जिसमें प्रयागराज मेला प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपी पीसीबी) को भी नोटिस भेजा गया है.
मामला उत्तर प्रदेश के महाकुंभ मेले से जुड़ा है. उस समय अनुमान था कि 45 करोड़ लोग पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने आएंगे. इस संबंध में एनजीटी के सामने एक आवेदन दाखिल किया गया जिसमें खुली शौच के आरोप लगाए गए हैं.
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गंगा तट पर खुले में शौच करने का मामला
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि स्थानीय अधिकारियों ने यह दावा किया कि उन्होंने ह्युमन वेस्ट को निपटाने के लिए अनेकों अत्याधुनिक बायो-टॉयलेट्स लगाए हैं, लेकिन इन सुविधाओं की कमी या साफ-सफाई की कमी की वजह से बहुत से लोग विशेषकर साधारण जनता, गंगा नदी के तट पर खुले में शौच करने के लिए मजबूर हैं.
साफ-सफाई की सख्त जरूरत पर जोर
आरोपों के मुताबिक, लाखों लोग और परिवार पर्याप्त सुविधाओं की कमी के कारण खुले में शौच कर रहे हैं. इस समस्या के समाधान के लिए न सिर्फ बायो-टॉयलेट्स की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि उनकी उचित सफाई और देखरेख का भी खास ध्यान रखा जाना चाहिए.
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एनजीटी में मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को
एनजीटी ने इस मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को तय की है, जहां उत्तर प्रदेश सरकार, प्रयागराज मेला प्राधिकरण और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को अपना पक्ष रखना होगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि इस पर सरकार और संबंधित प्राधिकरण क्या कदम उठाते हैं.