
अब वोटर आईडी कार्ड को आधार कार्ड से जोड़े जाने की कवायद शुरू कर दी गई है. इससे मतदाताओं की पहचान आसान होगी. इससे वोटर्स की पहचान करने में परेशानी नहीं होगी. इसके साथ ही वोटर सूची में प्रमाणीकरण भी सुनश्चित होना माना जा रहा है.
महाराष्ट्र के मुख्य चुनाव अधिकारी (सीईओ) श्रीकांत देशपांडे ने कहा कि मतदाता पहचान पत्र को वोटर्स की पहचान स्थापित करने और मतदाता सूची में प्रविष्टियों के प्रमाणीकरण के उद्देश्य से इसे आधार कार्ड से जोड़ा जाएगा. इससे एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में या एक ही निर्वाचन क्षेत्र में एक से अधिक बार नामों वाले व्यक्तियों की पहचान हो जाएगी. उन्होंने कहा कि एक ही व्यक्ति के नाम के पंजीकरण की पहचान करने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग 1 अगस्त से पूरे राज्य में मतदाता पहचान पत्र को आधार कार्ड से जोड़ने का अभियान शुरू करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सुरजेवाला को दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए कहा
इधर, आधार को वोटर कार्ड से लिंक करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. इस संबंध में सोमवार को SC ने कांग्रेस नेता सुरजेवाला को हाईकोर्ट जाने के लिए कहा. सुप्रीम कोर्ट ने सुरजेवाला को सक्षम हाईकोर्ट जाने के लिए कहा है. सुरजेवाला ने कोर्ट में चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम, 2021 को चुनौती दी है. याचिका में मतदाता सूची डेटा को आधार से लिंक करने पर आपत्ति जताई है.
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सुरजेवाला के वकील से पूछा कि वह पहले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए. उन्होंने पहले HC का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा. कोर्ट ने कहा- 'आप दिल्ली हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं करते? आपके पास एक ही उपाय होगा. आप 2021 के चुनाव कानून (संशोधन) अधिनियम की धारा 4 और 5 को चुनौती दे रहे हैं. आप यहां क्यों आए हैं? आप दिल्ली उच्च न्यायालय जा सकते हैं.
कांग्रेस नेता के वकील ने कहा कि अगले छह महीनों में तीन राज्यों में चुनाव होंगे. बेंच ने कहा कि यदि अलग-अलग याचिकाएं हैं तो शीर्ष अदालत मामलों को एक उच्च न्यायालय के समक्ष जोड़ सकती है. याचिका में कहा गया है कि संशोधन 'दो पूरी तरह से अलग दस्तावेजों (उनके डेटा के साथ), यानी आधार कार्ड को जोड़ने का इरादा रखता है, जो निवास का प्रमाण (स्थायी या अस्थायी) और ईपीआईसी / मतदाता पहचान पत्र है, जो नागरिकता का प्रमाण है. आधार और मतदाता पहचान पत्र का लिंक पूरी तरह से तर्कहीन है.