
बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने पुणे के एक 21 वर्षीय छात्र को जमानत दे दी है, जिस पर युवक की हत्या करने का आरोप लगा था. आरोपी छात्र पर एक गिरोह का सदस्य है. उसने सोशल मीडिया रील के लिए दूसरे प्रतिद्वंद्वी गिरोह के सदस्य की हत्या कर दी थी. 2022 में पुणे के पिंपरी चिंचवाड़ में अचानक खतरनाक हथियारों की नुमाइश, प्रतिद्वंद्वियों को धमकाने वाले स्टेटस मैसेज और ऑनलाइन पोस्ट के जरिए इलाके में दबदबा बनाने वाले गैंगस्टर्स का चलन बढ़ गया था.
इसके बाद, 19 वर्षीय युवक की हत्या और 15 वर्षीय लड़के की हत्या के प्रयास के बाद, पिंपरी चिंचवाड़ पुलिस ने इन गिरोहों पर नकेल कसनी शुरू की थी.
'सरकार' और 'बाबा' ग्रुप में सोशल मीडिया वॉर
पुणे जिले के तालेगांव दाभाड़े कस्बे में दो प्रतिद्वंद्वी गिरोह हैं, जिन्हें सरकार ग्रुप और बाबा ग्रुप के नाम से जाना जाता है. इनके सोशल मीडिया स्टेटस और रील्स में देखा गया कि ये ग्रुप ऑनलाइन पोस्ट के जरिए अपने प्रभुत्व का दावा करने की कोशिश कर रहे थे.
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, 6 नवंबर 2022 को पीड़ित प्रणव मांडेकर उर्फ जय अपनी गैंग के साथ बैठा था, तभी अचानक प्रतिद्वंद्वी गैंग ने उस पर हमला कर दिया.
इसके बाद मांडेकर के गिरोह के बाकी लोग भाग गए, लेकिन वह पकड़ा गया और मारा गया. घटना के एक घंटे से भी कम वक्त के बाद, 10वीं के एक छात्र पर भी हमला किया गया, लेकिन वह भागने में सफल रहा. इसलिए बाबा गिरोह के आरोपियों के खिलाफ हत्या और हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया. पुणे पुलिस ने करीब 30 लोगों को गिरफ्तार किया और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (MCOCA) लगाया गया.
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जानकारी के मुताबिक, 6 नवंबर की घटना से करीब डेढ़ महीने पहले सरकार ग्रुप के लोगों ने बाबा ग्रुप के एक सदस्य की पिटाई की थी और इससे संबंधित रील बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड की गई थी. इसके जवाब में बाबा ग्रुप के लोगों ने सरकार ग्रुप के एक सदस्य पर अटैक किया और इसकी रील बनाई. इस सोशल मीडिया वॉर के चलते 6 नवंबर की रात झड़प हुई.
'ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं...'
हाई कोर्ट में आरोपी तेजस पवार की ओर से पेश हुए वकील गणेश गुप्ता ने जमानत की मांग करते हुए कहा कि आरोपी का नाम एफआईआर में नहीं है और न ही गवाहों ने उसका नाम बताया है. उन्होंने आगे बताया, "ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं है, जिससे पता चले कि पवार गिरोह का सदस्य है या उसने गिरोह के साथ मिलकर पहले कोई अपराध किया है. इसलिए पवार के खिलाफ मकोका लगाना गैरकानूनी है. पवार जेल में है. जांच पूरी हो चुकी है और आरोप-पत्र दाखिल हो चुका है, इसलिए आगे हिरासत की जरूरत नहीं है."
पुलिस की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक वीरा शिंदे ने जमानत याचिका का विरोध किया और कहा कि अपराध बहुत गंभीर है और मकोका के प्रावधान लागू हैं, इसलिए अदालत पवार को जमानत नहीं दे सकती.
जस्टिस अनिल किलोर की बेंच ने कहा कि एक ही दिन पवार के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गईं, जिससे पता चलता है कि इससे पहले उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं रहा है.
जस्टिस किलोर ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष ने गैंग के साथ पवार की सांठगांठ या संबंध के बारे में कुछ भी नहीं बताया है. जस्टिस किलोर ने जमानत देते हुए कहा, "इन परिस्थितियों में, मामले में जांच अधिकारी द्वारा एकत्र की गई सामग्री पर विचार करते हुए, यह मानने का उचित आधार है कि पवार कथित अपराध का दोषी नहीं है और इस बात की कोई संभावना नहीं है कि अगर उसे जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह अपराध को दोहराएगा."
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