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राकेश सिन्हा का राहुल गांधी पर वार, पूछा- नेहरू ने क्यों नहीं बढ़ाई महात्मा गांधी की सुरक्षा?

राज्यसभा सांसद ने कहा कि राहुल गांधी के पास न तो सामाजिक आधार है, न ही समर्थन है, न ही संगठन है और न ही विचार है. अब उनके पास एकमात्र रास्ता है ध्रुवीकरण की राजनीति, जो वह कर रहे हैं.

राकेश सिन्हा (File Pic) राकेश सिन्हा (File Pic)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST
  • ध्रुवीकरण की राजनीति करते हैं राहुल गांधीः सिन्हा
  • राहुल और उनके परिवार ने किया गांधी शब्द का दुरुपयोग

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की 74वीं पुण्यतिथि के मौके पर राहुल गांधी के हिंदुत्व वाले ट्वीट पर राजनीति तेज हो गई है. राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा (Rakesh Sinha) ने कहा, राहुल गांधी की हिंदुत्व की जानकारी काफी कम है और कमजोर भी है.

राकेश सिन्हा ने कहा, 'राहुल गांधी जिस तरीके से हिंदुत्व को नाथूराम गोडसे से जोड़ रहे हैं, ऐसे में उनका मुख्य उद्देश्य है कि मुस्लिम वोट को अपनी और आकर्षित करना उत्तर प्रदेश के चुनावों को देखते हुए ऐसी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. जब-जब चुनाव नजदीक आते हैं राहुल गांधी को गोडसे  याद आ जाते हैं. वह हिंदुत्व को असभ्य भाषा में परिभाषित करते हैं.

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राहुल गांधी करते हैं ध्रुवीकरण की राजनीति
राज्यसभा सांसद ने कहा कि राहुल गांधी के पास न तो सामाजिक आधार है, न ही समर्थन है, न ही संगठन है और न ही विचार है. अब उनके पास एकमात्र रास्ता है ध्रुवीकरण की राजनीति, जो वह कर रहे हैं. उन्होंने कहा, राहुल गांधी यह भी जवाब दें कि नाथूराम गोडसे द्वारा की गई हत्या से पूर्व 20 जनवरी 1948 महात्मा गांधी की हत्या की कोशिश उनकी प्रार्थना सभा में की गई थी. पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में उनकी सुरक्षा बढ़ाने का काम क्यों नहीं किया गया? जो जानकारी मिली उस पर सरकार ने क्या काम किया? क्या महात्मा गांधी की हत्या नाथूराम गोडसे द्वारा की गई थी या फिर कोई बड़ा षड्यंत्र था महात्मा गांधी को हटाने का.

राहुल गांधी से पूछे तीखे सवाल
इस दौरान राकेश सिन्हा ने राहुल गांधी से तीखे से सवाल पूछे. राकेश सिन्हा ने कहा, वास्तव में राहुल गांधी अपने दादा परदादा के सरनेम के आधार पर अपना सरनेम लगाते हैं. उनके दादा फिरोज गांधी थे. फिरोज गांधी एक पारसी थे, क्या राहुल गांधी ने फिरोज गांधी को इसलिए त्याग दिया क्योंकि चुनावी राजनीति में उनके दादा काम नहीं आते. सिर्फ चुनावी राजनीति के लिए उनके परिवार ने गांधी सरनेम लगाया है. हम कहते हैं कि गांधी शब्द का दुरुपयोग जितना इस परिवार ने किया, उतना किसी ने नहीं किया.

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