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Exclusive: अडानी ग्रुप पर US में लगे घूस के आरोपों पर महेश जेठमलानी बोले- कोई ठोस सबूत नहीं

अडानी ग्रुप पर अमेरिकी कोर्ट में घूस देने के आरोप लगाए गए हैं. इस पर महेश जेठमलानी ने कह है कि इन आरोपों का कोई ठोस सबूत नहीं है. यह भारत सरकार और अडानी ग्रुप की छवि खराब करने का षड्यंत्र है.

गौतम अडानी (फाइल फोटो) गौतम अडानी (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:52 PM IST

अडानी ग्रुप के खिलाफ अमेरिका में लगाए गए घूस के आरोपों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने स्थिति स्पष्ट की है. आजतक के साथ एक खास बातचीत में उन्होंने आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा कि इन आरोपों का उद्देश्य अडानी ग्रुप और भारत सरकार की छवि को धूमिल करना है. 

'अडानी के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं'

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महेश जेठमलानी ने आरोपों पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि अमेरिकी अभियोग (इंडिक्टमेंट) में अडानी ग्रुप के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया है. उन्होंने कहा, 'इंडिक्टमेंट में जिन तथ्यों का जिक्र है, वे सिर्फ साजिश की बातें हैं, जो साबित करना बेहद कठिन है. इसमें कहा गया है कि 'घूस दी गई' या 'घूस देने का वादा किया गया', लेकिन घूस देने की बात पूरी तरह साफ नहीं है.'

उन्होंने आगे बताया कि आरोपों में 2019 से 2024 के बीच एक 'विदेशी सरकारी अधिकारी' का जिक्र है, जो आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन रेड्डी की ओर इशारा करता है. लेकिन अगर यह आरोप सही है, तो उनका नाम साफ तौर पर क्यों नहीं लिया गया? 

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'स्मियर कैंपेन का हिस्सा'

महेश जेठमलानी ने इन आरोपों को एक 'स्मियर कैंपेन' (छवि खराब करने का अभियान) करार दिया. उन्होंने कहा कि अमेरिकी अभियोग में आरोपों को 'बहुत ही चतुराई से' तैयार किया गया है ताकि यह दिखाया जा सके कि घूस दी गई या इसका वादा किया गया. लेकिन इस संबंध में कोई ठोस सबूत नहीं दिया गया है. 

उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, 'अगर आपके पास सबूत हैं, तो उन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? यह सब अडानी ग्रुप और भारत सरकार को बदनाम करने के लिए किया जा रहा है.'

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हिंडनबर्ग विवाद का जिक्र

बातचीत में महेश जेठमलानी ने अडानी ग्रुप के खिलाफ इससे पहले हुए हिंडनबर्ग विवाद का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि यह पूरी योजना अडानी ग्रुप को निशाना बनाने के लिए बनाई गई थी. उन्होंने दावा किया, 'हिंडनबर्ग सिर्फ एक मोहरा था. असली साजिशकर्ता वे लोग थे, जिनका उद्देश्य भारत के इस प्रमुख औद्योगिक समूह को कमजोर करना था.'

उन्होंने आगे बताया कि यह आरोप ऐसे समय पर लगाए गए जब संसद सत्र शुरू होने वाला था. 'हर बार संसद सत्र से ठीक पहले इस तरह की खबरें लाना क्या सिर्फ संयोग है? यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है.'  

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'राजनीति से प्रेरित हैं आरोप'

जब उनसे पूछा गया कि इन आरोपों का राजनीतिक असर क्या हो सकता है, तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष इन आरोपों को बिना किसी सबूत के बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस पार्टी एक ऐसे दस्तावेज पर भरोसा कर रही है, जिसमें कोई ठोस सबूत नहीं है. यह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है, जिसे आधार बनाकर अडानी ग्रुप की छवि खराब की जा रही है.' 

अमेरिकी कोर्ट के फैसले पर सवाल

महेश जेठमलानी ने अमेरिकी कोर्ट के फैसले की टाइमिंग पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह अभियोग पिछले महीने ही दायर किया गया था, लेकिन इसे संसद सत्र से ठीक पहले सार्वजनिक किया गया. उन्होंने कहा, 'यह जानबूझकर किया गया है ताकि भारतीय बाजारों में उथल-पुथल पैदा हो और सरकार की छवि खराब हो.'

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अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया

इस बीच, अडानी ग्रुप ने भी इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. कंपनी ने स्पष्ट किया कि उनके चेयरमैन गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, और विनीता जैन के खिलाफ अमेरिकी फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेस एक्ट (FCPA) के तहत कोई आरोप नहीं लगाए गए हैं. अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, जो इन आरोपों के केंद्र में है, ने कहा, 'अडानी ग्रुप इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करता है और कानूनी उपायों के जरिए अपनी रक्षा करेगा.'

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