
तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद और पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी उम्मीदवार महुआ मोइत्रा की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही. लोकपाल ने 'पैसे लेकर सवाल पूछने' के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को महुआ मोइत्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है.
ऐसे में कहा जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही इस मामले में एफआईआर दर्ज करेगी. लोकपाल ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि महुआ मोइत्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज कर जांच की जाए. इसके साथ ही लोकपाल ने जांच एजेंसी को छह महीने के भीतर रिपोर्ट देने को कहा है.
इसके बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया पोस्ट कर बताया कि मेरी शिकायत को सही मानते हुए लोकपाल ने महुआ मोइत्रा के खिलाफ सीबीआई को जांच करने का आदेश दिया है.
क्या कहता है लोकपाल का फैसला?
इस मामले में लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद पूरी जानकारी का सावधानी से मूल्यांकन करने के बाद कोई संदेह नहीं रह जाता है कि महुआ के खिलाफ लगाए गए आरोप, जिनमें से अधिकांश में ठोस सबूत हैं, बेहद गंभीर प्रकृति के हैं, खासकर उनके पद को देखते हुए. इस वजह से हमारी राय में सच को स्थापित करने के लिए गहन जांच जरूरी है. प्रासंगिक समय पर आरपीएस (प्रतिवादी लोक सेवक) की स्थिति को देखते हुए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि एक लोक सेवक अपने पद पर रहने के दौरान कर्तव्यों के निर्वहन में ईमानदारी बरतें.
कैश फॉर क्वेरी मामले की पूरी टाइमलाइन:-
14 अक्टूबर- सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्रई ने महुआ के खिलाफ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने की शिकायत की थी.
15 अक्टूबर- बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को चिट्ठी लिखकर शिकायत की थी कि मुंबई के एक बिजनेसमैन के कहने पर महुआ मोइत्रा ने लोकसभा में सवाल पूछे. इसके लिए उन्हें कैश और गिफ्ट दिए गए. निशिकांत दुबे ने मोइत्रा को सस्पेंड करने की मांग की थी.
16 अक्टूबर- बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव से महुआ मोइत्रा के संसद अकाउंट का लॉग-इन आईडी और आईपी की जांच कराने की मांग की थी.
17 अक्टूबर- लोकसभा स्पीकर ने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत एथिक्स कमिटी को सौंप दी थी. महुआ ने दिल्ली हाईकोर्ट में मानहानि का मामला दायर किया.
18 अक्टूबर- लोकसभा एथिक्स कमिटी ने 26 अक्टूबर को निशिकांत दुबे को कमिटी के सामने पेश होने को कहा. इस संबंध में नोटिस जारी किया गया था.
19 अक्टूबर- कारोबारी दर्शन हीरानंदानी ने स्वीकार किया कि महुआ मोइत्रा ने उन्हें अपने लोकसभा अकाउंट का लॉग-इन आईडी दिया था ताकि वे सवाल पोस्ट कर सकें.
20 अक्टूबर- महुआ मोइत्रा के मानहानि मामले की सुनवाई हुई लेकिन अगली तारीख 31 अक्टूबर निर्धारित की गई.
21 अक्टूबर- निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया कि महुआ मोइत्रा की लोकसभा की आईडी दुबई से 47 बार लॉग-इन की गई थी. लेकिन इस समय वो भारत में थीं.
27 अक्टूबर- लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने महुआ मोइत्रा को 31 अक्टूबर को पेश होने को कहा. महुआ ने पेशी के लिए 5 नवंबर के बाद की तारीख मांगी. महुआ ने स्वीकार किया कि उन्होंने हीरानंदानी को अपने संसद अकाउंट का लॉग-इन आईडी और पासवर्ड दिया था.
28 अक्टूबर- महुआ के अनुरोध पर लोकसभा की एथिक्स कमिटी ने उन्हें दो नवंबर को पेश होने को कहा. पहले उन्हें 31 अक्टूबर को पेश होना था.
1 नवंबर- एथिक्स कमिटी को आईटी मंत्रालय की रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में बताया गया कि महुआ का संसद अकाउंट दुबई से एक ही आईपी एड्रेस से 47 बार लॉग-इन हुआ था.
2 नवंबर- महुआ मोइत्रा संसद की एथिक्स कमिटी के सामने पेश हुईं. इस दौरान महुआ ने आरोप लगाया कि एक महिला के तौर पर उनकी गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले सवाल पूछे गए. कमिटी ने इन आरोपों को खारिज किया.
9 नवंबर- महुआ पर लगे आरोपों की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने के लिए VQ नवंबर को एथिक्स कमिटी की बैठक हुई. कमिटी ने महुआ को पेश होने को कहा.
8 दिसंबर: कैश फॉर क्ववेरी मामले में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द की गई.
11 दिसंबर: महुआ मोइत्रा ने लोकसभा सदस्यता रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.
22 जनवरी: महुआ मोइत्रा से जुड़े गोपनीय सूचना लीक मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा.
23 जनवरी: महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाईकोर्ट से झटका लगा है. रिश्वतखोरी के आरोपों पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज
12 मार्च: लोकसभा महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा. हलफनामें में कहा गया कि महुआ की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है.
क्या है मामला?
बता दें कि महुआ मोइत्रा पर पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप लगे थे. जांच के बाद एथिक्स कमेटी ने अपनी रिपोर्ट स्पीकर को सौंपी थी. इस पूरे मामले की शुरुआत भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के आरोपों से हुई. निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए रियल स्टेट कारोबारी हीरानंदानी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था.
निशिकांत दुबे ने ये आरोप महुआ के पूर्व दोस्त जय अनंत देहाद्रई की शिकायत के आधार पर लगाए. निशिकांत की शिकायत पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कमेटी का गठन किया. निशिकांत दुबे ने बिरला को लिखे लेटर में गंभीर 'विशेषाधिकार के उल्लंघन' और 'सदन की अवमानना' का मामला बताया था.
कमेटी ने महुआ मोइत्रा, निशिकांत दुबे समेत कई लोगों के बयान दर्ज किए थे. विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने 9 नवंबर को एक बैठक में 'कैश-फॉर-क्वेरी' के आरोप पर महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट तैयार की थी. कमेटी के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था. और दिंसबर 2023 में उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई.