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महुआ मोइत्रा निष्कासन मामले में SC में दाखिल हलफनामा, कहा- TMC की पूर्व सांसद की याचिका सुनवाई योग्य नहीं

लोकसभा महासचिव ने हाल ही में मोइत्रा की याचिका का ये कहते हुए विरोध किया था कि लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. ये याचिका भारत के संविधान की योजना के तहत विधायी कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा के मानदंडों को पूरा नहीं करती है. 

महुआ मोइत्रा महुआ मोइत्रा
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST

तृणमूल कांग्रेस (TMC) की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के मामले में लोकसभा महासचिव ने सुप्रीम कोर्ट में जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. 

लोकसभा महासचिव ने हाल ही में मोइत्रा की याचिका का ये कहते हुए विरोध किया था कि लोकसभा से निष्कासन के खिलाफ महुआ की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है. ये याचिका भारत के संविधान की योजना के तहत विधायी कार्रवाई की न्यायिक समीक्षा के मानदंडों को पूरा नहीं करती है. 

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उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 122 एक ऐसी रूपरेखा की परिकल्पना करता है, जिसमें संसद को पहली बार में न्यायिक हस्तक्षेप के बिना अपने आंतरिक कार्यों और शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति है. संसद अपनी आंतरिक कार्यवाही के संबंध में संप्रभु है. एक प्रारंभिक धारणा ये भी है कि इस मामले में ऐसी शक्तियों का नियमित और समुचित रूप से प्रयोग किया गया है. कानून या संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन नहीं किया गया है. हमें मालूम है कि अदालतें इसके दुरुपयोग को हल्के में नहीं लेंगी.

उन्होंने कहा कि प्रक्रिया में किसी भी अनियमितता का आरोप लगाकर संसद और उसके घटकों की कार्यवाही पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है. संसद के लिए चुने जाने का अधिकार और संसद में बने रहने का अधिकार संविधान के भाग 3 के तहत दर्शाए गए किसी भी अधिकार से जुड़ा हुआ नहीं है.

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लोकसभा महासचिव के तर्क

लोकसभा महासचिव की ओर से याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद माना है कि संसद के फैसले की तथ्यों के आधार पर दोबारा जांच नहीं की जा सकती कि लगाए गए आरोप के लिए संबंधित सदस्य को निष्कासित करना उचित था या नहीं. कुल मिलाकर लोकसभा सचिवालय ने अपने निष्कासन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में महुआ मोइत्रा की याचिका का विरोध किया है.

महासचिव की ओर से याचिया में कहा गया है कि केवल सदस्यों को उपलब्ध ऐसी गोपनीय जानकारी तक पहुंच प्रदान करना प्रक्रिया के नियमों का घोर उल्लंघन है. यह कदाचार के समान है.

इसमें कहा गया है कि जब भी हीरानंदानी गोपनीय पोर्टल तक पहुंचना चाहते थे तो मोइत्रा ने ओटीपी भी शेयर किया था. इससे पता चलता है कि उन्होंने जानबूझकर एक अनधिकृत तीसरे पक्ष को विशेषाधिकार प्राप्त एमपी पोर्टल तक अवैध, अनुचित और अनुचित पहुंच की अनुमति दी थी. ये राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ-साथ संसदीय कामकाज की गरिमा और स्वतंत्रता की वैध चिंताएं हैं. लोकसभा सचिवालय को किसी भी राजनीतिक दल के आंतरिक मामलों से कोई सरोकार नहीं है.

अब छह मई को होगी सुनवाई

संसद के प्रत्येक सदन और सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और प्रतिरक्षाएं ऐसी ही होंगी जिनको परिभाषित किया जा सकता है. बता दें कि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने तय किया कि याचिका पर सुनवाई करीब दो महीने बाद यानी छह मई को होगी.

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