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मैनपुरी के साथ गुजरात में भी सपा ने गाड़ा झंडा, इस लेडी डॉन के बेटे ने साइकिल को दिलाई जीत

मैनपुरी के साथ-साथ गुजरात में भी समाजवादी पार्टी ने एक सीट पर एंट्री मारी है. सपा ने यहां कुटियाना विधानसभा से जीत हासिल कर भाजपा को शिकस्त दी है. भाजपा के गढ़ में साइकिल से एंट्री मारने वाले कांधलभाई सरमनभाई जडेजा दूसरी बार विधायक बने हैं. जडेजा दबंग छवि के नेता रहे हैं. इससे पहले वे शरद पवार की पार्टी एनसीपी से चुनाव लड़े थे.

मैनपुरी के साथ गुजरात में भी सपा ने गाड़ा झंडा. मैनपुरी के साथ गुजरात में भी सपा ने गाड़ा झंडा.
अतुल कुशवाह
  • नई दिल्ली,
  • 09 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 1:24 AM IST

भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में प्रचंड जीत हासिल की है, लेकिन राज्य में एक सीट ऐसी है, जहां से अखिलेश यादव की पार्टी सपा ने भी एंट्री मारी है. सपा ने मैनपुरी के साथ-साथ गुजरात की पोरबंदर जिले की कुटियाना विधानसभा में झंडा गाड़ा है. इस इकलौती सीट पर जीत हासिल करने वाली सपा ने भाजपा को 26 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. दरअसल, सपा को जीत गुजरात की 'लेडी डॉन'  संतोकबेन जडेजा के बेटे कांधलभाई सरमनभाई जडेजा ने दिलाई है.

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गुजरात में कुटियाना-84 विधानसभा पर सपा प्रत्याशी कांधलभाई सरमनभाई जडेजा ने जीत दर्ज की है. जडेजा को 60163 वोट मिले हैं. कांधलभाई का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार ढेलिबेन मालदेभाई ओदेदारा और आम आदमी पार्टी के भीमाभाई दानाभाई मकवाना और कांग्रेस के नाथाभाई भूराभाई ओदेदरा से था.

भारतीय जनता पार्टी के ढेलिबेन मालदेभाई ओदेदारा के इस सीट पर 33532 वोट मिले हैं. यहां कांग्रेस के नाथाभाई भूराभाई ओदेदरा को 8672 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी  के भीमाभाई दानाभाई मकवाना को 1023 वोट मिले.

गुजरात चुनाव में किसे कितनी सीटें मिलीं?

गुजरात में इस चुनाव भारतीय जनता पार्टी को 156 सीटें हासिल हुई हैं. वहीं कांग्रेस को इस चुनाव में सिर्फ 17 सीटों से संतोष करना पड़ा है. आम आदमी पार्टी को पांच सीटें मिली हैं. यहां समाजवादी पार्टी ने कुटियाना सीट पर फतह हासिल की है. इसी के साथ तीन सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं.

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2017 में भी भाजपा को हरा चुके हैं कांधल जडेजा

कुटियाना विधानसभा सीट गुजरात के पोरबंदर जिले में आती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में कुटियाना में 50.39 प्रतिशत वोट पड़े थे. 2017 में कांधलभाई जडेजा ने भारतीय जनता पार्टी के ओडेदरा लखमणभाई भीमाभाई को 23,709 वोटों के अंतर से हराया था. कांधल जडेजा, पोरबंदर की लेडी डॉन संतोक बेन जडेजा के बेटे हैं. माना जाता है कि कुटियाना में कांधल जाडेजा किसी भी पार्टी से चुनाव लड़े. उनकी जीत तय है. इससे उनके दबदबे का साफ अंदाजा लगाया जा सकता है.

राज्यसभा और राष्ट्रपति चुनाव में हमेशा पार्टी के विरोध में की वोटिंग

वर्ष 2017 से कांधल जाडेजा चाहे राज्यसभा का चुनाव हो या राष्ट्रपति का चुनाव, वह हमेशा पार्टी के विरोध में वोटिंग करते रहे हैं. 2017 में राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता अहमद पटेल (अब दिवंगत) के खिलाफ खुलकर विरोध करते हुए बीजेपी कैंडिडेट को वोट दिया था.

इसके बाद हर राज्यसभा चुनावों में वह बीजेपी प्रत्याशी को वोट देते रहे हैं. हालिया राष्ट्रपति चुनाव में भी उन्होंने पार्टी लाइन से अलग NDA की राष्ट्रपति पद की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया था. इस बार चुनाव से पहले कांधल जडेजा के बीजेपी में शामिल होने की भी चर्चा थी.

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कुटियाना सीट पर एनसीपी का रहा दबदबा

गुजरात का सियासी इतिहास देखें तो चुनावों में अक्सर बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर होती रही है, लेकिन पोरबंदर की कुटियाना ऐसी विधानसभा सीट है, जहां पिछले कुछ वर्षों से एनसीपी का दबदबा रहा है. साल 2012 में इस सीट पर एनसीपी उम्मीदवार कांधल जाडेजा ने जीत हासिल की थी. इसके बाद साल 2017 में भी एक बार फिर कांधल जाडेजा यहां से जीतने में कामयाब रहे.

कांधल जडेजा को कोर्ट ने सुनाई थी सजा

इसी साल अप्रैल में कांधल जडेजा को 15 साल पुराने मामले में राजकोट कोर्ट ने दोषी करार दिया था. अदालत ने 2007 में पुलिस की हिरासत से भागने के मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें डेढ़ साल कैद की सजा सुनाई. कोर्ट ने उन पर 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. हालांकि उनके वकील अंश भारद्वाज ने कहा था कि वे पहले ही एक साल 7 महीने की सजा काट चुके हैं, इसलिए उन्हें जेल नहीं जाना होगा.

'गॉडमदर' भी कही जाती हैं कांधलभाई की मां संतोकबेन

कांधलभाई सरमनभाई जडेजा की मां संतोकबेन जडेजा को 'गॉडमदर' भी कहा जाता है. संतोकबेन पोरबंदर की पहली महिला विधायक रह चुकी हैं. साल 1960 के दशक के अंत से लेकर 90 के दशक के मध्य तक पोरबंदर में अलग-अलग गिरोह के बीच लड़ाइयां होती रहती थीं. कुटियाना की संतोकबेन जडेजा से लेकर इकु गगन, नरेन सुधा और भीमा दुला ओदेदरा जैसी गैंगस्टर सुर्खियों में रहीं.

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संतोकबेन क्यों बनीं थीं लेडी डॉन?

संतोकबेन जडेजा शुरू से लेडी डॉन नहीं थीं. वर्ष 1986 तक संतोकबेन एक गृहणी और एक मां की भूमिका में थीं. उनके पति को लोग रॉबिनहुड बोलते थे, जिन्होंने स्वाध्याय आंदोलन के दिवंगत पांडुरंग शास्त्री से प्रभावित होकल अपराध की दुनिया को अलविदा कह दिया था. इसके बाद दिसंबर 1986 की सर्द रात में बखरला गांव में काला केशव गिरोह ने उनकी हत्या कर दी. इस घटना के बाद संतोकबेन बदला लेने की कसम खाकर निकल पड़ीं.

पोरबंदर से पहली महिला विधायक थीं संतोकबेन
 
बॉलीवुड फिल्म 'गॉडमदर' संतोकबेन के जीवन पर बनी थी. इसमें शबाना आजमी ने संतोकबेन और मिलिंद गुनाजी ने सरमन का किरदार निभाया था. संतोकबेन साल 1990 से 1995 तक विधायक रहीं. इसके बाद साल 1989 में राज्य विधानसभा के लिए चुनी गईं.

हालांकि, चिमनभाई पटेल के निधन के साथ उनका राजनीतिक करियर रुक गया. इसके बाद दिसंबर 2002 में उन्होंने कुटियाना सीट के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया, लेकिन बाद में कांग्रेस के समर्थन में नाम वापस ले लिया. 

संतोकबेन के गिरोह के सदस्यों के खिलाफ 500 से अधिक गंभीर आपराधिक मामले दर्ज थे. इनमें से नौ मामले, जिनमें हत्या के मामले भी शामिल हैं, खुद गॉडमदर के खिलाफ थे. संतोकबेन पर टाडा भी लगा था. 

संतोकबेन के जीवन से प्रेरित थी शबाना आजमी की फिल्म

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महिला गैंगस्टर संतोकबेन जडेजा ने 1980 और 90 के दशक में पोरबंदर के लोगों में दहशत पैदा कर दी थी. संतोकबेन ने अंडरवर्ल्ड और राजनीति दोनों में पुरुष सत्ता को चैलेंज किया. इसके बाद साल 1999 में शबाना आजमी की फिल्म 'गॉडमदर' विधायक रह चुकी संतोकबेन से प्रेरित थी. हालांकि साल 2011 में उनकी मृत्यु हो गई. अब उनके बेटे कांधलभाई ने विरासत संभाली है.

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