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'सैनिक मरते नहीं हैं, लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं', शहीद बेटे को याद कर भावुक हुईं मेजर मुस्तफा बोहरा की मां

फातिमा ने कहा कि किसी तरह उन्हें अपने बेटे के निधन का 'पूर्वाभास' हो गया था. उन्होंने कहा, 'कहते हैं, एक मां को अपने बच्चे के बारे में एहसास हो जाता है. किसी तरह मुझे इसका अंदाजा था. घटना से दो दिन पहले, मैं रोने लगी और मैंने खाना नहीं खाया. फिर खबर (मौत की) आ गई.'

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 252 सेना विमानन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया (फोटो: पीटीआई) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 252 सेना विमानन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र प्रदान किया (फोटो: पीटीआई)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 6:44 AM IST

देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद मेजर मुस्तफा बोहरा की मां फातिमा बोहरा ने कहा कि सैनिक मरते नहीं हैं, बल्कि वे लोगों के दिलों में 'एक और जिंदगी' जीते हैं. शहीद मेजर मुस्तफा बोहरा को असाधारण साहस दिखाने के लिए मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है.

राष्ट्रपति ने प्रदान किए 10 कीर्ति चक्र

अशोक चक्र और कीर्ति चक्र के बाद शौर्य चक्र भारत का तीसरा सबसे बड़ा शांतिकालीन वीरता पुरस्कार है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को ड्यूटी के दौरान अदम्य साहस और असाधारण वीरता प्रदर्शित करने के लिए आर्मी और पैरामिलिट्री बलों के कर्मियों को 10 कीर्ति चक्र प्रदान किए गए, जिनमें सात कीर्ति चक्र मरणोपरांत दिए गए हैं.

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राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह के दौरान सशस्त्र बलों, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश पुलिस के कर्मियों को सात मरणोपरांत सहित 26 शौर्य चक्र भी प्रदान किए हैं.

'सम्मान मायने रखता है'

राष्ट्रपति भवन ने 'एक्स' पर एक पोस्ट शेयर कर कहा, 'राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 252 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन के मेजर मुस्तफा बोहरा को मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया. अक्टूबर 2022 में, उन्होंने राष्ट्र के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और असाधारण साहस का प्रदर्शन किया.'

रविवार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता की ओर से 'एक्स' पर शेयर किए गए एक वीडियो में फातिमा बोहरा ने अपने बेटे और उसके राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के दिनों की यादें शेयर कीं. उन्होंने कहा, 'जब उन्होंने एनडीए में पहला कदम रखा, तो उनका संकल्प देश की सेवा करने का था. भौतिक संपत्ति उतनी मायने नहीं रखती, जितना सम्मान रखता है.'

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बेटे को याद कर भावुक हुईं फातिमा

क्लिप में फातिमा भावुक हो गईं और उन्होंने याद किया कि कैसे उनका बेटा अक्सर अपने सीनियर्स से मिलने वाले सपोर्ट के बारे में बात करता था. उन्होंने बेटे की तरफ से आने वाली फोन कॉल्स और पत्रों को याद किया. समारोह के दौरान मेजर बोहरा का शौर्य चक्र उनके माता-पिता को प्रदान किया गया. 

मां को हो गया था पूर्वाभास

फातिमा ने कहा कि किसी तरह उन्हें अपने बेटे के निधन का 'पूर्वाभास' हो गया था. उन्होंने कहा, 'कहते हैं, एक मां को अपने बच्चे के बारे में एहसास हो जाता है. मुझे भी कुछ ऐसा ही अंदाजा हो गया था. घटना से दो दिन पहले, मैं रोने लगी और मैंने खाना नहीं खाया. फिर खबर (मौत की) आ गई.' उन्होंने गर्व के साथ कहा, 'लेकिन, सैनिक मरते नहीं हैं. वे अपने परिवार के सदस्यों और अपने देश के लोगों के दिलों में जिंदा रहते हैं.'

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