
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने मलेरिया की एक ऐसी बूस्टर वैक्सीन बना ली है, जो इस बीमारी में 80 फीसदी तक असरकारी मानी जा रही है. द लैंसेट इंफेक्शियस डिसीज जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में शोधार्थियों ने यह दावा किया है. शोधकर्ताओं ने वैक्सीन का नाम R21/मैट्रिक्स-एम दिया है. उन्होंने 2बी फेज के अध्ययन के नतीजों के बाद यह दावा किया है.
पिछले साल अफ्रीका के बच्चों में हुए इस अध्ययन में पाया गया कि करीब 12 महीने तक उनमें 77 फीसदी से ज्यादा तक असर रहा, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के मलेरिया वैक्सीन प्रौद्योगिकी रोडमैप लक्ष्य को पूरा करता है.
बुरकिना फासो के 409 बच्चों को दी गई बूस्टर डोज
वैक्सीन के ट्रायल के लिए बुरकिना फासो के नानोरो में 17 महीने की उम्र के कुल 450 प्रतिभागियों को भर्ती किया गया था. इस दौरान 409 बच्चों को बूस्टर डोज दिया गया था.
जून 2020 में किए गए इस परीक्षण में प्रतिभागियों को तीन ग्रुप में बांट दिया गया था. इसमें पहले दो समूहों को बूस्टर के रूप में R21 / मैट्रिक्स-एम वैक्सीन दी गई जबकि तीसरे ग्रुप को रेबीज का टीका दिया गया था.
अध्ययन में जिस ग्रुप को हाई डोज दी गई थी उनमें 80 प्रतिशत और जिस ग्रुप के लोगों को कम खुराक दी गई थी, उनमें 70 प्रतिशत की वैक्सीन का असर दिखा. शोधकर्ताओं ने 12 महीने तक नजर रखने के बाद अपनी रिपोर्ट तैयार की है.
वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं मिला
शोधकर्ताओं ने कहा कि बूस्टर खुराक दिए जाने के 28 दिनों के बाद शुरुआती वैक्सिनेशन के बाद एंटीबॉडी सामान्य स्तर पर पहुंच गई थी. इतना ही नहीं वैक्सिनेशन के बाद किसी में कोई गंभीर प्रतिकूल असर देखने को नहीं मिला.
प्रमुख शोधकर्ता हलीदौ टिंटो ने कहा- वैक्सीन की एक बूस्टर खुराक लेने के बाद भी इतना ज्याद असर दिखाई देना काफी शानदार है. उन्होंने कहा कि अभी तक तीसरे चरण का भी ट्रायल करेंगे इसके बाद अगले साल बड़े पैमाने पर वैक्सीन का लाइसेंस देंगे.