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'सचिन तेंदुलकर ने 10 बार 99...', राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान क्यों बोले खड़गे?

संसद के चालूू शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में संविधान पर चर्चा हो रही है. विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए सत्ता पक्ष को जमकर घेरा. उन्होंने सदन में सचिन तेंदुलकर का भी जिक्र किया.

जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे जगदीप धनखड़ और मल्लिकार्जुन खड़गे
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 16 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

राज्यसभा में सोमवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत की. वित्त मंत्री ने पहले संविधान संशोधन से लेकर मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज सहनी की गिरफ्तारी, किस्सा कुर्सी का फिल्म की रिलीज पर रोक तक का उल्लेख कर कांग्रेस को घेरा. वित्त मंत्री ने संविधान पर चर्चा की शुरुआत करते हुए 79 मिनट तक अपनी बात रखी. इसके बाद विपक्ष की ओर से मल्लिकार्जुन खड़गे ने बोलना शुरू किया. खड़गे ने 1951 के पहले संविधान संशोधन से लेकर संविधान निर्माण में कांग्रेस के योगदान तक गिनाए और एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर का भी जिक्र किया.   

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मल्लिकार्जुन खड़गे जब बोल रहे थे, उन्होंने सभापति को संबोधित करते हुए कहा कि सर इधर देखिएगा. इस पर सभापति धनखड़ ने कहा कि 99 परसेंट आपको ही देख रहा हूं. खड़गे ने कहा कि  एक परसेंट से ही सब हो जाता है. राज्यसभा में विपक्ष के नेता ने सचिन तेंदुलकर का जिक्र करते हुए कहा कि सचिन ने 10 बार 99 किया लेकिन एक रन के लिए सौ नहीं हो सका. इस पर विपक्ष से लेकर ट्रेजरी बेंच तक के सदस्यों ने ठहाके लगाए और सभापति जगदीप धनखड़ भी मुस्कराते नजर आए.

उन्होंने कहा कि नेहरू, आंबेडकर की ही देन है कि मोदीजी प्रधानमंत्री बन सके और मजदूर का बेटा विपक्ष का नेता बन सका. जब देश आजाद हुआ तब यहां सुई भी नहीं बनती थी. खड़गे ने नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी से लेकर मनमोहन सिंह सरकार की उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि पीएम के असत्य आरोपों से इतिहास नहीं बदल जाएगा. असत्य बातों को सही बोलकर बताने की कोशिश की गई. हम डरने वाले नहीं हैं. उत्तर को प्रत्युत्तर देंगे और सत्यता पर आधारित देंगे.

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मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने संबोधन की शुरुआत में इंदिरा गांधी की सरकार के समय बांग्लादेश की आजादी का जिक्र किया और कहा कि एक लाख लोगों को बंदी बनाना आसान काम नहीं. लेकिन आयरन लेडी इंदिरा गांधी ने बता दिया कि हमारे करीब आए तो खैर नहीं. उन्होंने वित्त मंत्री पर तंज करते हुए कहा कि हम तो म्यूनिसिपैलिटी स्कूल में पढ़े हैं, वे जेएनयू में पढ़े हैं. अंग्रेजी भी अच्छी हो सकती है उनकी लेकिन करतूत अच्छी नहीं है. खड़गे ने अहमद फराज की शायरी 'तुम खंजर क्यों लहराते हो...' के जरिये सरकार पर तंज किया.   

यह भी पढ़ें: 'मजरूह सुल्तानपुरी और बलराज साहनी को भी जेल में डाल दिया...', नेहरू और कांग्रेस पर संसद में बरसीं निर्मला

उन्होंने कहा कि जो लोग झंडे से, अशोक चक्र से, संविधान से नफरत करते हैं, ये लोग आज हमको पाठ पढ़ा रहे हैं. संविधान जब बना, उस वक्त इन लोगों ने संविधान जलाया, रामलीला मैदान में नेहरू, बाबासाहब और महात्मा गांधी का पुतला जलाया. खड़गे ने एक किताब भी दिखाई और कहा कि संविधान बनने के बाद आप लोगों ने कैसी-कैसी बातें इसके बारे में बोली हैं. इस पर ट्रेजरी बेंच की ओर से यील्ड करने की मांग की जिसे खड़गे ने नकार दिया. फिर सभापति ने कहा कि जो किताब आपने दिखाई है, उसे मैं पढ़ूंगा. बाद में दे दीजिएगा. खड़गे ने कहा कि अभी ले लीजिए, पढ़ के दे दीजिएगा. क्योंकि ये किताब आजकल मिलती नहीं.    

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आरएसएस के नेताओं ने किया था संविधान का विरोध- खड़गे

राज्यसभा में विपक्ष के नेता खड़गे ने कहा कि ये संविधान ऐसे ही नहीं बना. आजादी की लड़ाई से बना. नेहरू ने संविधान को चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बना दिया था. महात्मा गांधी ने यह स्टेटमेंट दिया था कि पंडित नेहरू ने मुझे अन्य बातों के अलावा संविधान सभा के गठन से उत्पन्न प्रभावों का अध्ययन करने के लिए विवश किया है. उन्होंने सत्ता पक्ष पर तंज करते हुए कहा कि गांधी, नेहरू, आंबेडकर, आप नहीं सुनना चाहते तो क्या सुनना चाहते हो. आप तथ्यों को तोड़ मरोड़कर भ्रमित करना चाहते हो. खड़गे ने कहा कि आप जिस विचारधारा से हो, बार-बार क्यों बदलते हो. मैं तो 1969 से एक ही पार्टी में हूं.

यह भी पढ़ें: Parliament: 'संविधान को मजबूत करने के लिए आपने 11 साल में क्या किया', सरकार से खड़गे का सवाल

उन्होंने संविधान को लेकर बीजेपी को घेरते हुए कहा कि पता नहीं कब ये हृदय परिवर्तन हुआ इनका. 2024 के चुनावों के बाद हुआ या कब हुआ, मुझे मालूम नहीं. कम से कम इनका हृदय परिवर्तन करने का काम देश की जनता ने 2024 में किया. खड़गे ने कहा कि आरएसएस के नेताओं ने संविधान का विरोध किया था क्योंकि ये मनुस्मृति पर आधारित नहीं था. उन्होंने संविधान के खिलाफ संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में लिखे गए संपादकीय का भी जिक्र किया और कहा कि इन्होंने न तो संविधान को स्वीकार किया और ही तिरंगा झंडे को माना. कोर्ट के आदेश पर इन्हें 26 जनवरी 2002 को मजबूरी में संघ मुख्यालय पर इन्हें तिरंगा फहराना पड़ा. बाबासाहब को मुंबई रेलवे स्टेशन पर इन लोगों ने भगवा झंडा दिखाया था. सभापति ने खड़गे से कोर्ट के आदेश की प्रति रखने के लिए कहा.

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