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'यह लोकतंत्र की हत्या, पार्टी महुआ के साथ...', TMC सांसद के निष्कासन पर सीएम ममता ने BJP पर साधा निशाना

ममता बनर्जी का कहना है कि पार्टी महुआ के साथ है.  हम इंडिया गठबंधन को बधाई देते हैं कि वे सभी एक साथ हैं. आज मैं भारत गठबंधन को बधाई देती हूं. हमने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी है. महुआ युवा पीढ़ी की हैं. वे कैसे विश्वासघात करते हैं? उन्होंने महुआ को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी. क्या ये लोकतंत्र है?

सीएम ममता बनर्जी, महुआ मोइत्रा सीएम ममता बनर्जी, महुआ मोइत्रा
अनिर्बन सिन्हा रॉय
  • नई दिल्ली,
  • 08 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 5:15 PM IST

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का कैश फॉर क्वेरी मामले में सदन से निष्कासन के बाद पार्टी चीफ और पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. सीएम ने कहा कि, दो तीन महीने बाद चुनाव है. महुआ मोइत्रा को मौका दिया जाना चाहिए.' मैं बीजेपी पार्टी का रवैया देखकर दुखी हूं.' तथाकथित भाजपा बहुमत के नाम पर 495 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी गई. इसके बाद आधे घंटे का समय लिया और महुआ मोइत्रा को बाहर निकाला गया. उन्होंने सवाल उठाया कि कैसे वे मात्र आधे घंटे में 495 पेज पढ़ जाते हैं.

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ममता बोलीं, पार्टी महुआ के साथ
ममता बनर्जी का कहना है कि पार्टी महुआ के साथ है.  हम इंडिया गठबंधन को बधाई देते हैं कि वे सभी एक साथ हैं. आज मैं भारत गठबंधन को बधाई देती हूं. हमने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी है. महुआ युवा पीढ़ी की हैं. वे कैसे विश्वासघात करते हैं? उन्होंने महुआ को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी. क्या ये लोकतंत्र है? यह संवैधानिक अधिकारों के साथ धोखा है.' आज वे बहुमत में थे. हम भी दो तिहाई बहुमत वाले हैं. हम निष्कासित भी कर सकते हैं लेकिन हम न्याय बनाए रखने की कोशिश करते हैं.'

अखिलेश बोले- निष्कासन के लिए सलाहकार रख ले सत्ता पक्ष
कैश फॉर क्वेरी मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को शुक्रवार को सदन से निष्कासित किया गया है. इसे लेकर अब सियासत गर्मा गई है. सत्तासीन बीजेपी और केंद्र सरकार इस मामले के बाद टीएमसी समेत विपक्षी दलों के निशाने पर है. सपा मुखिया और यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने X पर लिखा कि, 'सत्ताधारी दल विपक्ष के लोगों की सदस्यता लेने के लिए किसी सलाहकार को रख ले, जिससे मंत्रीगण व सत्ता पक्ष के सासंदों और विधायकों का समय षड्यंत्रकारियों गतिविधियों में न लगकर लोकहित के कार्यों में लगे। जिन आधारों पर सांसदों की सदस्यता ली जा रही है, अगर वो आधार सत्ता पक्ष पर लागू हो जाएं तो शायद उनका एक दो सासंद-विधायक ही सदन में बचेगा. कुछ लोग सत्ता पक्ष के लिए सदन से अधिक सड़क पर घातक साबित होते हैं.'

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मैं कुछ नहीं बोलूंगाः निशिकांत दुबे
सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले में कहा कि, यह पार्लियामेंट का मैटर है मैं कुछ नही बोलूंगा. बता दें कि संसद में महुआ मोइत्रा का मामला निशिकांत दुबे ने ही उठाया था.

सीएम ममता को थी महुआ की हर बात की जानकारीः अमित मालवीय
वहीं, इस मामले में अमित मालवीय ने ट्वीट करके कहा, 'महुआ मोइत्रा संसद में अभद्रता का चेहरा बन गई थीं. संस्था की विश्वसनीयता बहाल करने के लिए उनका निष्कासन जरूरी था. लेकिन इस मामले में ममता बनर्जी पर भी सवाल उठने चाहिए कि वह क्यों एक अपराधी सांसद का समर्थन कर रही थी. राज्य की सीआईडी ​​उनकी जासूसी कर रही थी, इसलिए उन्हें महुआ मोइत्रा की हर बात के बारे में पता था. क्या उन्होंने जानबूझकर सांसद को कॉर्पोरेट घरानों पर प्रभाव डालने के लिए संसद की संस्था को कमजोर करने की अनुमति दी? बंगाल के गरीबों को क्या मिला?

'कृष्णानगर के लोगों के साथ अन्याय'
गरीबों ने ममता बनर्जी के कॉरपोरेट मित्रों के कारण अपनी जमीन और कई एकड़ आम के बगीचे खो दिए हैं. इसके साथ ही उस कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को परेशानी हुई, जहां से से महुआ मोइत्रा को चुना गया था, क्योंकि किसी ने भी उनके मुद्दे नहीं उठाए. अब यह स्पष्ट है कि कि उनकी प्राथमिकताएं क्या थीं.

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ममता बनर्जी को महुआ मोइत्रा को टीएमसी से बर्खास्त करना चाहिए, ऐसा न करने पर यह स्पष्ट होगा कि वह उनके इशारे पर काम कर रही हैं. वैसे भी, टीएमसी में ममता बनर्जी की सहमति और सक्रिय मिलीभगत के बिना कुछ भी नहीं चलता है. 

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