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'महुआ को लोकसभा से निष्कासित करने की योजना बनाई जा रही', कैश फॉर क्वेरी केस में पहली बार बोलीं ममता

नेताजी इंडोर स्टेडियम में टीएमसी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की योजना बनाई जा रही थी, लेकिन अंततः इससे उन्हें चुनाव से पहले मदद मिलेगी.

ममता बनर्जी ने महुआ से जुड़े कैश फॉर क्वेरी मामले में पहली बार टिप्पणी की ममता बनर्जी ने महुआ से जुड़े कैश फॉर क्वेरी मामले में पहली बार टिप्पणी की
अनुपम मिश्रा
  • कोलकाता,
  • 23 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और TMC सुप्रीमो ममता बनर्जी ने महुआ मोइत्रा से जुड़े कैश फॉर क्वेरी मामले में पहली बार टिप्पणी की. ममता ने कहा कि उनकी पार्टी की सांसद महुआ मोइत्रा को निष्कासित करने की योजना बनाई जा रही है. लेकिन ऐसी किसी भी कार्रवाई से उन्हें ही मदद मिलेगी.

नेताजी इंडोर स्टेडियम में टीएमसी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि विभिन्न मामलों में उनकी पार्टी के नेताओं की गिरफ्तारी के बाद सांसद महुआ मोइत्रा के निष्कासन की योजना बनाई जा रही थी, लेकिन अंततः इससे उन्हें चुनाव से पहले मदद मिलेगी. उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि वर्तमान में विपक्षी नेताओं को निशाना बना रही केंद्रीय एजेंसियां 2024 के चुनावों के बाद भाजपा के पीछे पड़ जाएंगी. साथ ही कहा कि केंद्र में बीजेपी सरकार तीन महीने और रहेगी.

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ममता ने कहा कि अब वे (बीजेपी) महुआ को (संसद से) बाहर निकालने की योजना बना रहे हैं, परिणामस्वरूप वह और अधिक लोकप्रिय हो जाएंगी. जो कुछ वह (संसद) के अंदर कहती थीं, अब वह वही बातें बाहर कहेंगी. क्या कोई तीन चुनाव के तीन महीने पहले ऐसा कुछ करेगा. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कई हफ्तों तक महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपों पर चुप्पी साध रखी थी. उनकी यह टिप्पणी लोकसभा की एथिक्स कमेटी द्वारा इस महीने की शुरुआत में कैश-फॉर-क्वेरी केस की जांच के बाद महुआ को लोकसभा से अयोग्य ठहराने की सिफारिश के बाद आई है. इससे पहले इंडिया टुडे के साथ एक स्पेशल इंटरव्यू में TMC सांसद ने कहा था कि उनके प्रस्ताव की सिफारिश उनके लिए "सम्मान का प्रतीक" थी. उन्होंने पैनल की आलोचना करते हुए इसे कंगारू कोर्ट और शुरू से अंत तक बंदरबांट भी कहा था.

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महुआ मोइत्रा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें झूठा और आधारहीन बताया था. सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राई के पत्र का हवाला देते हुए बीजेपी निशिकांत दुबे ने उन पर आरोप लगाए थे, जिसमें दावा किया गया था कि टीएमसी सांसद ने संसद में सवाल पूछने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत ली थी.

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