
मणिपुर में जारी राजनीतिक संकट के बीच राज्य के 10 कुकी विधायकों ने एक बयान जारी कर केंद्र सरकार के फैसले का समर्थन किया है. विधायकों ने कहा कि वे केंद्र द्वारा उठाए गए कदम 'राजनीतिक संकट के समाधान के लिए समयबद्ध वार्तापूर्ण समझौते' की प्रक्रिया शुरू करने का स्वागत करते हैं.
मणिपुर के कुकी विधायकों ने राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद केंद्र सरकार से शांति और न्याय के लिए एक व्यापक राजनीतिक रोडमैप तैयार करने की उम्मीद जताई है. संयुक्त बयान में 10 विधायकों- 7 बीजेपी विधायक, 2 कुकी पीपुल्स अलायंस (KPA) के विधायक और एक निर्दलीय विधायक ने कहा कि हम जातीय संघर्ष से प्रभावित लोगों और विस्थापित व्यक्तियों की पीड़ा खत्म करने के लिए केंद्र की ओर से जल्द से जल्द प्रभावी कदम उठाए जाने की उम्मीद करते हैं.
पीटीआई के मुताबिक मणिपुर के 10 कुकी विधायकों ने अपने बयान में कहा कि हम केंद्र सरकार द्वारा विधानसभा को निलंबित रखने के फैसले को स्वीकार करते हैं और आशा करते हैं कि भारत सरकार शांति और न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक राजनीतिक रोडमैप तैयार करेगी, जो वार्तापूर्ण समाधान के तहत लागू किया जाएगा. विधायकों ने कहा कि हम ये भी उम्मीद करते हैं कि संघर्ष प्रभावित और विस्थापित लोगों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए समयबद्ध कदम उठाए जाएंगे.
बता दें कि मणिपुर में गुरुवार को राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था और राज्य विधानसभा को निलंबित कर दिया गया, यह कदम मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के कुछ दिनों बाद आया. मई 2023 में शुरू हुए जातीय संघर्ष में इम्फाल घाटी में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और आसपास के पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले कुकी समुदाय के बीच भीषण झड़पें हुईं, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं.