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'मणिपुर से वापस बुलाए जाएं केंद्रीय सुरक्षा बल...' CM बीरेन सिंह के दामाद और BJP विधायक ने अमित शाह को लिखी चिट्ठी

BJP विधायक राजकुमार इमो सिंह का कहना था कि मणिपुर में करीब 60,000 केंद्रीय बलों की मौजूदगी के बावजूद शांति बहाल नहीं हुई है, इसलिए ऐसे बलों को हटाना बेहतर है जो ज्यादातर मूकदर्शक के रूप में मौजूद रहते हैं. उन्होंने राज्य सरकार और जनता के साथ सहयोग की कमी के कारण असम राइफल्स की कुछ यूनिट्स को वापस बुलाने का भी जिक्र किया है.

BJP विधायक राजकुमार इमो सिंह. BJP विधायक राजकुमार इमो सिंह.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:38 AM IST

मणिपुर में सब कुछ ठीक नहीं है. हिंसा की घटनाओं ने राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक की परेशानियां बढ़ा दी हैं. इस बीच, बीजेपी विधायक राजकुमार इमो सिंह ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है और सरकार से आग्रह किया कि यदि वे हिंसा को प्रभावी ढंग से रोकने में असमर्थ हैं तो राज्य से केंद्रीय बलों को वापस बुला लें. राजकुमार, मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के दामाद भी हैं.

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उन्होंने पत्र में कहा, यदि केंद्रीय बल हिंसा रोकने में सफल नहीं रहते हैं तो उनका वापस बुला लिया जाए और जातीय संघर्ष प्रभावित राज्य में शांति बहाल करने की कोशिश के लिए राज्य सुरक्षा कर्मियों को कार्यभार संभालने की अनुमति दी जानी चाहिए. उन्होंने तर्क दिया कि मणिपुर में करीब 60 हजार केंद्रीय बलों की मौजूदगी के बावजूद शांति बहाल नहीं हो सकी.

केंद्रीय बलों पर उठाए सवाल

राजकुमार इमो सिंह का कहना था कि मणिपुर में करीब 60,000 केंद्रीय बलों की मौजूदगी के बावजूद शांति बहाल नहीं हुई है, इसलिए ऐसे बलों को हटाना बेहतर है जो ज्यादातर मूकदर्शक के रूप में मौजूद रहते हैं. उन्होंने राज्य सरकार और जनता के साथ सहयोग की कमी के कारण असम राइफल्स की कुछ यूनिट्स को वापस बुलाने का भी जिक्र किया है.

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उन्होंने कहा, हम असम राइफल्स की कुछ यूनिट्स को हटाने की कार्रवाई से प्रसन्न हैं जो राज्य सरकार और जनता के साथ सहयोग नहीं कर रहे थे, लेकिन अगर इन अन्य केंद्रीय बलों की उपस्थिति भी हिंसा को नहीं रोक सकती है तो उन्हें हटाना और राज्य बलों को कमान संभालने और शांति लाने के लिए अनुमति देना बेहतर है.

राजकुमार ने केंद्र के सामने रखा प्रस्ताव

विधायक ने राज्य सरकार को यूनिफाइड कमांड अथॉरिटी ट्रांसफर करने का भी प्रस्ताव रखा है. उन्होंने हिंसा को रोकने में मौजूदा व्यवस्था को अप्रभावी बताया और इसकी आलोचना की. तर्क दिया कि शांति बहाल करने के लिए यह ट्रांसफर महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, केंद्र सरकार को यूनिफाइड कमांड को सीएम के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को सौंपना चाहिए और राज्य में शांति और सामान्य स्थिति लाने के लिए कानून द्वारा तय प्रक्रियाओं के अनुसार काम करने देना होगा.

बता दें कि राज्य में हिंसा फैलने के बाद गृह मंत्रालय ने पिछले साल सीआरपीएफ के पूर्व महानिदेशक कुलदीप सिंह को मणिपुर सरकार के सुरक्षा सलाहकार के रूप में नियुक्त किया था. यूनिफाइड कमांड विभिन्न एजेंसियों और बलों की रिपोर्टों की देखरेख करती है. मणिपुर सरकार के परामर्श से परिचालन जरूरतों का समन्वय करती है.

विधायक सिंह ने केंद्र सरकार से उन उग्रवादी और विद्रोही समूहों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का भी आह्वान किया, जिन्होंने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस (एसओओ) समझौते के नियमों का उल्लंघन किया है. उन्होंने अमित शाह से इन समूहों के साथ एसओओ समझौतों को रद्द करने का आग्रह किया. उन्होंने दावा किया कि वे हिंसा को और बढ़ावा दे रहे हैं.

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इसके अतिरिक्त सिंह ने हथियारों और गोला-बारूद की फंडिंग और आपूर्ति की जांच का अनुरोध किया, जिसके बारे में उनका मानना ​​है कि इससे संघर्ष और बढ़ रहा है. सिंह ने केंद्र सरकार से स्थायी और शांतिपूर्ण समाधान प्राप्त करने के लिए सभी हितधारकों के बीच एक राजनीतिक बातचीत और सहभागिता शुरू करने का आग्रह किया है.

सीएम ने 6 महीने में शांति बहाल का किया है वादा

इससे पहले गुरुवार को एक इंटरव्यू में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने केंद्र की मदद से छह महीने में राज्य में पूरी तरह से शांति बहाल करने का वादा किया है. उन्होंने यह कहते हुए पद छोड़ने से इनकार कर दिया कि उन्होंने ना तो कोई अपराध किया है और ना ही किसी घोटाले को जन्म दिया है. सिंह ने पहली बार खुलासा किया कि उन्होंने कुकी और मैतेई नेताओं के साथ बातचीत के लिए एक मैसेंजर नियुक्त किया है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मई 2023 से कुकी और मैतेई जातीय समूहों के बीच झड़पों में 226 लोग मारे गए हैं.

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