
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि 3 मई से राज्य में फैली हिंसा के पीछे 'विदेशी हाथ' हो सकता है. समाचार एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, मुख्यमंत्री ने कहा कि जातीय झड़पों में बाहरी तत्वों का हाथ हो सकता है और यह 'पूर्व नियोजित' प्रतीत होता है.
अब शिसवेना नेता (यूबीटी) संजय राउत ने चीन का नाम लेते हुए कहा, 'मणिपुर हिंसा में चीन का हाथ है. आपने (केंद्र सरकार) चीन के खिलाफ क्या कार्रवाई की? उन्हें (मणिपुर सीएम) इस्तीफा देना चाहिए और वहां राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए.'
सीएम बीरेन सिंह ने कही ये बात
मुख्यमंत्री ने कहा, 'मणिपुर की सीमाएं म्यांमार के साथ लगती हैं. चीन भी पास में है. हमारी 398 किलोमीटर की सीमाएं असुरक्षित हैं. हमारी सीमाओं पर सुरक्षा बल तैनात हैं, लेकिन एक मजबूत और व्यापक सुरक्षा तैनाती भी इतनी बड़ी सीमा को कवर नहीं कर सकती है.. हालाँकि, जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए, हम न तो इनकार कर सकते हैं और न ही दृढ़ता से पुष्टि कर सकते हैं... यह पूर्व नियोजित लगता है लेकिन कारण स्पष्ट नहीं हैं.'
मुख्यमंत्री सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार राज्य में शांति बहाल करने के लिए सभी प्रयास कर रही है, उन्होंने अपने 'कूकी भाइयों और बहनों' से टेलीफोन पर बात की और कहा, 'आइए माफ करें और भूल जाएं.' बीरेन सिंह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मणिपुर दौरे के समय पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य में उनका दौरा "राजनीतिक एजेंडा" जैसा लग रहा है.
राहुल पर हमला
मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम किसी को नहीं रोक सकते. लेकिन समय - 40 दिन हो गए हैं वह पहले क्यों नहीं आए? वह एक कांग्रेस नेता हैं लेकिन वह किस हैसियत से दौरा कर रहे थे? मुझे नहीं लगता कि समय सही था. ऐसा लगता है कि वह एक राजनीतिक एजेंडे के साथ आए थे. वह आए और फिर बाजार में एक घटना हुई और भाजपा कार्यालय पर हमला किया गया. क्या वह राज्य की स्थिति के लिए या राजनीतिक लाभ के लिए आए थे? मैं इस तरीके का समर्थन नहीं करता वह आये.'
जातीय संघर्ष
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में अब तक 100 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. सबसे पहले हिंसा तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद भड़की थी. यह मार्च अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे के लिए मैतेई समुदाय के आह्वान की प्रतिक्रिया थी, जिसका आदिवासी कुकी समुदाय ने कड़ा विरोध किया था. इसके बाद से दोनों समूहों के बीच झड़पें बढ़ते चले गईं.