
मणिपुर में गुस्साई भीड़ ने मुख्यमंत्री के दौरे के लिए बनाए गए मंच को आग के हवाले कर दिया. इतना ही नहीं, कार्यक्रम के लिए रखी गईं कुर्सियां और दूसरे सामानों में भी तोड़फोड़ कर दी. अब इस बात को लेकर भी सस्पेंस बढ़ गया है कि आखिर सीएम का यह कार्यक्रम होगा भी या नहीं. हालांकि, पुलिस या प्रशासन ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.
घटना मणिपुर के चुराचंदपुर जिले की है. मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शुक्रवार को यहां एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले थे. उन्हें एक जिम और खेल सुविधा केंद्र का उद्घाटन करना था. लेकिन उनके पहुंचने से एक दिन पहले यानी गुरुवार रात को ही गुस्साई भीड़ ने कार्यक्रम स्थल पर पहुंचकर जमकर उत्पात मचाया. भीड़ ने पहले तो वहां रखी कुर्सियां तोड़ी, इसके बाद लोगों ने जिम में रखे सामान को तोड़ना शुरू कर दिया. जब इससे भी लोगों का मन नहीं भरा तो उन्होंने कार्यक्रम के लिए बनाए गए मंच को ही आग के हवाले कर दिया.
आदिवासी नेता चर्च गिराए जाने के खिलाफ
बताया जा रहा है कि हिंसा को अंजाम देने वाली भीड़ का नेतृ्त्व स्वदेशी जनजातीय नेताओं का मंच कर रहा था. यह समूह बीजेपी के नेतृत्व वाली मणिपुर सरकार के एक फैसले का विरोध कर रहा है. फैसले के तहत आदिवासियों के लिए आरक्षित और संरक्षित वन क्षेत्रों का सर्वे कराया जाना है. इस आदेश के बाद जनजातीय मंच राज्य सरकार पर चर्चों को गिराने का आरोप लगा रहा है.
छात्र संगठन का भी मिल रहा सहयोग
मंच ने कह चुका है कि वह सरकार के खिलाफ कदम उठाने के लिए मजबूर हो गया है. संगठन से संबंधित लोगों ने आज जिले में बंद का आयोजन करने का ऐलान किया है. इस संगठन को छात्र संगठन का समर्थन भी मिल रहा है. इनका कहना है कि राज्य के अदिवासियों के प्रति सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.
सरकार ने कब्जाधारी बताकर गिराए 3 चर्च
दरअसल, मणिपुर सरकार ने पूर्वी इंफाल में 11 अप्रैल को तीन चर्चों को यह कहते हुए ढहा दिया था कि इन्हें अवैध रूप से बनाया गया था. ढहाए गए चर्च में इवेंजेलिकल बैपटिस्ट कन्वेंशन चर्च, इवेंजेलिकल लूथरन चर्च और कैथोलिक होली स्पिरिट चर्च शामिल था. चर्च ढहाने के आदेश के खिलाफ मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने रोक लगाने से इनकार कर दिया था. अदालत में चर्च यह साबित करने में असफल रहे थे कि उन्होंने निर्माण केलिए कानूनी मंजूरी ली थी.
चर्च बनाकर अवैध कब्जा करने का आरोप
इससे पहले ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 2021 में सरकार को एक पत्र दिया था. इसमें कहा गया था कि पूर्वी इम्फाल की आदिवासी कॉलोनी में बने 8 चर्चों को खाली कराने के आदेश को वापस ले लिया जाए. इससे पहले 24 दिसंबर, 2020 को पोरोमपत के अनुविभागीय अधिकारी सनौजम सुरचंद्र सिंह ने एक बेदखली नोटिस जारी कर आरोप लगाया था कि 13 स्थानों पर चर्च और गैरेज बनाकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया जा रहा है.