
मणिपुर में करीब 2 साल बाद शनिवार को कुकी और मैतेई बहुल इलाकों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच फ्री ट्रैफिक मूवमेंट शुरू हुई. हालांकि, इंफाल, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, विष्णुपुर और सेनापति को जोड़ने वाली सड़कों पर फ्री ट्रैफिक मूवमेंट के तहत कमर्शियल वाहनों, राज्य परिवहन निगम की बसों और गैस और तेल के टैंकरों की आवाजाही शुरू की गई.
इंफाल से चुराचांदपुर वाले रास्ते में किसी भी तरीके की दिक्कत नहीं आई पर कांगपोकपी के रास्ते को कुकी समुदाय के लोगों ने बाधित किया. उनका कहना था कि वे अपने इलाकों में मैतेई लोगों को नहीं आने देंगे. उन्होंने जगह-जगह पर पत्थर लगाकर रास्ते को बाधित किया. सुरक्षाबलों के काफिले को भी कुछ जगहों पर रोका गया. कुछ जगहों पर भीड़ हिंसक हुई, जिसे काबू करने के लिए सुरक्षाबलों ने लाठीचार्ज किया और आंसूगैस के गोले दागे.
सुरक्षाबलों की निगरानी में खोला गया ट्रैफिक
इंफाल, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, विष्णुपुर और सेनापति इलाकों में जा रही सरकारी बसों को CRPF और स्थानीय पुलिस की सुरक्षा में चलाया जा रहा है. इसके अलावा रेड जोन वाले इलाकों में जगह-जगह सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है. हालांकि, चुराचांदपुर में अभी बफर जोन बरकरार रखा गया है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 8 मार्च से मणिपुर में प्रमुख मार्गों फ्री ट्रैफिक मूवमेंट सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था. उन्होंने सड़कें ब्लॉक करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे.
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सुरक्षाबलों की निगरानी में फ्री मूवमेंट के पहले दिन सड़कों पर कर्मशियल वाहन, सरकारी बसें और तेल-गैस के टैंकर तो दिखे, लेकिन मैतेई और कुकी समुदाय के लोगों ने एक दूसरे के प्रभाव वाले क्षेत्रों में आने-जाने से परहेज किया. इस बारे में पूछे जाने पर सीआरपीएफ के डीआईजी संजय कुमार ने आजतक से बातचीत में कहा, 'काफी दिनों से आवागमन बंद है. इससे पब्लिक को काफी असुविधा हुई है. भारत सरकार की ओर से जो आदेश प्राप्त हुआ है, उसके मुताबिक सीआरपीएफ को इंफाल से चुराचांदपुर और चुराचांदपुर से इंफाल के बीच फ्री मूवमेंट सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है. हमें उम्मीद है कि हमारी व्यवस्था से लोगों में आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे आना जाना सुनिश्चित करेंगे.'
कुकी और मैतेई दोनों को CRPF दे रही सुरक्षा
उन्होंने कहा, 'लोगों में भय तो है. घाटी के लोग पहाड़ी जिलों में और पहाड़ी जिलों के लोग घाटी में आने से डर रहे हैं. सीआरपीएफ ने जो व्यवस्था की है, लोग उसे देखेंगे कि कैसे उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाएगी. इसके बाद वे आवाजाही शुरू करेंगे. सीआरपीएफ घाटी और पहाड़ी दोनों जगहों पर रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर रही है. हम मैतेई और कुकी दोनों समुदायों को आपस में मिलजुलकर रहने के लिए समझा रहे हैं कि अब पहले वाली स्थिति नहीं है. हमें उम्मीद है कि लोगों में कॉन्फिडेंस आएगा और वे एक दूसरे के क्षेत्रों में आनाजाना शुरू करेंगे.'
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बता दें कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने 9 फरवरी को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया. राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने उपद्रवियों से सभी लूटे गए हथियार सरेंडर करने को कहा था. अब तक 500 से ज्यादा हथियार सरेंडर किए जा चुके हैं. बता दें कि मैतेई समुदाय को एसटी दर्जा देने को लेकर मणिपुर हाई कोर्ट के एक फैसले के बाद राज्य में 3 मई, 2023 से हिंसा की शुरुआत हुई थी, जो अब भी जारी है. मणिपुर हिंसा में अब तक 300 से अधिक लोग मारे गए हैं, 1500 से अधिक घायल हुए हैं और लाखों लोग बेघर हुए हैं.