
मणिपुर में भड़की हिंसा शांत होने का नाम नहीं ले रही है. अधिकारियों के मुताबिक, दो जगहों पर अभी भी रुक-रुक कर गोलीबारी हो रही है. अधिकारियों ने बताया कि मणिपुर पूर्व के थंगजिंग में मंगलवार रात 11 बजकर 45 मिनट पर स्वचालित हथियारों से करीब 15-20 राउंड फायरिंग की आवाज सुनी गई. वहीं गेलजैंग और सिंगडा से भी छिटपुट गोलीबारी की सूचना मिली है. इस बीच भाजपा के नौ विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा कि लोगों का मुख्यमंत्री बीरेन सिंह पर से विश्वास उठ गया है.
प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका रवाना होने से एक दिन पहले उन्हें सौंपे गए ज्ञापन विधायकों ने कहा, 'वर्तमान में, सरकार और प्रशासन में कोई विश्वास नहीं रह गया है. जनता का राज्य सरकार पर से पूरी तरह विश्वास उठ गया है. कानून का पालन करते हुए समुचित प्रशासन और कार्य के लिए कुछ विशेष उपायों का सहारा लिया जा सकता है ताकि आम जनता का विश्वास और विश्वास बहाल हो सके.' गौर करने वाली बात ये है कि ये ज्ञापन विपक्षी विधायकों ने नहीं, बल्कि भाजपा के ही विधायकों ने प्रधानमंत्री को दिया है.
जिन नौ विधायकों ने दावा किया कि मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जनता का समर्थन खो दिया है, वे सभी मणिपुर के भाजपा विधायक हैं और इनमें करम श्याम सिंह,राधेश्याम सिंह, निशिकांत सिंह सपम, रघुमणि सिंह, एस. ब्रोजेन सिंह, टी रोबिन्द्रो सिंह, एस राजेन सिंह, एस केबी देवी, और डॉ. वाई. राधेश्याम शामिल हैं. ये सभी मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. राज्य में मैतेई और कूकी के बीच चल रहे जातीय संघर्ष में मुख्यमंत्री पर अक्सर अपने ही समुदाय मैतेई का समर्थन करने का आरोप लगाया जाता रहा है.
बीरेन सिंह-सरकार को विफल करार देने वाले इस ज्ञापन को मणिपुर भाजपा के भीतर असंतोष के एक और प्रकरण के रूप में देखा जा रहा है. कहानी में उस समय ट्विस्ट आ गया जब 20 मई को, नौ हस्ताक्षरकर्ताओं में से आठ विधायक, भाजपा के उन 30 विधायकों के एक समूह में शामिल हो गए, जो मुख्यमंत्री के कट्टर समर्थक माने जाते हैं, जिनमें उनके दामाद राजकुमार इमो सिंह भी शामिल थे. सभी एकजुटता दिखाते हुए मीडियाकर्मियों के सामने पेश हुए. उनमें से एक, करम श्याम सिंह ने यहां तक बयान दिया कि कुछ लोग पार्टी को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं और मणिपुर के मुद्दों को हल करने के लिए हर कोई एकजुट है.
अप्रैल में, करम श्याम ने मणिपुर पर्यटन निगम के अध्यक्ष पद से यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि उन्हें अपने कार्य में कोई जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई थी. सिर्फ करम श्याम ही नहीं, ज्ञापन के तीन अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं- राधेश्याम सिंह, एस ब्रोजेन सिंह और रघुमणि सिंह ने अप्रत्यक्ष रूप से बीरेन सिंह के खिलाफ असंतोष व्यक्त करते हुए सरकार में विभिन्न प्रशासनिक और सलाहकार पदों से इस्तीफा दे दिया था.
प्रधानमंत्री को उसी दिन ज्ञापन सौंपा गया था जब बीरेन सिंह के वफादार मैतेई विधायकों ने दिल्ली में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की थी. उन्होंने सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) के तहत कुकी उग्रवादी समूहों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की थी. अधिकांश मैतेई समूहों का दावा है कि उनके खिलाफ वर्तमान हिंसा के पीछे कुकी सोओ उग्रवादियों का हाथ है. अगले दिन, 20 जून को, आठ हस्ताक्षरकर्ता दूसरे खेमे में शामिल हुए और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बीएल संतोष से मिले. इमो सिंह ने इंडिया टुडे को बताया, 'उन्हें गुमराह किया गया था. हम सभी सहमत थे कि हम राजनीति को पीछे छोड़ सकते हैं और राज्य में शांति वापस लाने के लिए काम करना चाहिए.'
हालाँकि, नौ हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक राधेश्यासम सिंह ने बीएल संतोष से मुलाकात नहीं की. अप्रैल में राधेश्याम सिंह ने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के सलाहकार पद से इस्तीफा दे दिया था. इंडिया टुडे एनई से बात करते हुए, राधेश्याम सिंह ने कहा कि दो युद्धरत समुदायों को किसी तीसरे पक्ष से संपर्क करना चाहिए और राज्य में समाधान तथा शांति के लिए दोनों समुदायों के विधायकों को बातचीत करनी चाहिए. उन्होंने कहा, हिंसा शुरू होने के बाद से दो कुकी मंत्री इंफाल नहीं गए हैं। अगर वे इंफाल नहीं जा सकते हैं, तो सरकार का कामकाज ठप हो जाएगा. क्या हम कुकी को शामिल किए बिना शांति और समाधान प्राप्त कर सकते हैं?'
पांच सूत्री ज्ञापन में विधायकों ने कुकी विधायकों और मैतेई विधायकों के बीच बैठक कराने का अनुरोध किया है. उन्होंने मणिपुर के सभी हिस्सों में केंद्रीय बलों की भारी और समान तैनाती की भी मांग की. ज्ञापन में इस बात पर भी जोर दिया गया कि राज्य की अखंडता से समझौता नहीं किया जाना चाहिए और किसी भी समुदाय द्वारा अलग प्रशासन के अनुरोध पर किसी भी कीमत पर विचार नहीं किया जाना चाहिए.