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मणिपुर: मां और पत्नी पर तानी बंदूक, सिंगर को किडनैप कर ले गए बदमाश

मणिपुर में जारी हिंसा की घटनाओं के बीच एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है. यहां एक सिंगर और गीतकार को बदमाशों ने किडनैप कर लिया है. बताया जा रहा है कि बंदूकधारी बदमाश सिंगर को अपने साथ ले गए हैं.

aajtak.in
  • इंफाल,
  • 29 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 1:53 PM IST

मणिपुर के एक सिंगर और गीतकार को बदमाशों ने किडनैप कर लिया है. जानकारी के मुताबिक हथियारबंद बदमाशों ने सिंगर की पत्नी और मां पर बंदूक तान दी. इसके बाद हमलावर सिंगर को किडनैप करके अपने साथ ले गए.

पुलिस के मुताबिक घटना शुक्रवार (29 दिसंबर) की है. बंदूकधारी बदमाशों ने मणिपुर के सिंगर अखू चिंगंगबम (Akhu Chingangbam) को बंदूक की नोक पर किडनैप कर लिया. जिस सिंगर अखू चिंगंगबाम को बदमाशों ने किडनैप किया है, वो इंफाल ईस्ट के खुरई के रहने वाले हैं. चिंगंगबम एक गीतकार-गायक और इंफाल टॉकीज नामक स्थानीय रॉक बैंड के संस्थापक हैं. बताते चलें कि मणिपुर में 3 मई से मैतेई और कुकी समुदाय के बीच जातीय हिंसा देखी जा रही है.

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कैसे हुई हिंसा की शुरुआत?

तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई. रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग हो रही है. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.

मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?

मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसापास है. राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.

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मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं. पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.

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