
मणिपुर में शांति बहाली के लिए केंद्र सरकार ने कोशिशें तेज तक दी हैं. यहां कुकी और मैतेई समुदाय में जारी संघर्ष को खत्म करने के लिए दोनों को बातचीत की टेबल पर लाने के प्रयास किए जा रहे हैं. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अब तक कुकी और मैतेई समुदाय के नेताओं से 6 राउंड की बातचीत भी हो चुकी है. इतना ही नहीं गृह मंत्री अमित शाह ने भी कुकी और मैतेई समुदाय के नेताओं से बातचीत की है.
दरअसल, मणिपुर में 3 मई को कुकी समुदाय की ओर से निकाले गए 'आदिवासी एकता मार्च' के दौरान हिंसा भड़की थी. इस दौरान कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसक झड़प हो गई थी. तब से ही वहां हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. अब तक 160 से ज्यादा लोग हिंसा में अपनी जान गंवा चुके हैं.
मणिपुर में शांति के लिए सरकार की कोशिशें तेज
मणिपुर में हिंसा को लेकर संसद में भी जमकर हंगामा हो रहा है. इसी बीच केंद्र सरकार ने भी पूर्वोत्तर राज्य में बातचीत के जरिए हालत सामान्य करने के लिए कोशिशों को और तेज कर दिया है. दोनों समुदायों के कुछ वरिष्ठ रिटायर सरकारी अधिकारी दोनों पक्षों को बातचीत की मेज पर लाने की कोशिश कर रहे हैं. अब तक दोनों समुदाय के बीच 6 राउंड की बैठक हो चुकी है.
मणिपुर में 57000 लोग राहत शिविरों में
मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए 361 राहत शिविर बनाए गए हैं. इनमें 57000 लोग रह रहे हैं. हालांकि, अब स्थिति ठीक होती जा रही है. राज्य के स्कूलों में 82% तक बच्चे पहुंच रहे हैं. इसके अलावा सरकारी दफ्तर भी खुल रहे हैं. इनमें 72% तक उपस्थिति दर्ज की जा रही है.
'अलग-अलग छह दौर की बात हो गई'
मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय आमने सामने है. मैतेई मुख्य रूप से हिंदू हैं. जबकि कुकी मुख्य रूप से ईसाई हैं. सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकारी एजेंसियां मैतेई और कुकी समूहों के साथ अलग-अलग बातचीत कर रही हैं ताकि उनकी बात सुनी जा सके और शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मदद के लिए सभी पक्षों के एक साथ बैठने से पहले उनकी मांगों पर काम किया जा सके. उन्होंने कहा, अब तक प्रत्येक पक्ष के साथ अलग-अलग छह दौर की बातचीत हो चुकी है. उन्होंने कहा, 35,000 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात करके सरकार मैतेई और कुकी आबादी वाले क्षेत्रों के बीच एक बफर जोन बनाने में सफल रही है.
मणिपुर में क्यों फैली हिंसा?
मणिपुर में फैली हिंसा के मध्य में मैतेई समाज है. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है. मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने 20 अप्रैल को इस मामले में एक आदेश दिया था. इस आदेश में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था.
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कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.