
मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. इस हिंसा में 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. हिंसा के दौरान मणिपुर के अलग अलग थानों से लगभग 4600 हथियार लूटे गए. लेकिन अभी तक सिर्फ 1200 के आसपास ही लूटे हुए हथियार वापस आए हैं. जबकि 3400 हथियारों का अब तक कोई अता-पता नहीं है. बताया जा रहा है कि ये लूटे हुए हथियार कुकी और मैतेई समुदाय के पास हैं.
इससे पहले गृह मंत्रालय ने भी अपील की थी कि जो भी हथियार जिन लोगों के पास मौजूद हैं, वे अगर वापस नहीं किए जाएंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. हालांकि, सवाल ये है कि राज्य और केंद्र सरकार की अपील के बाद भी 3400 से ज्यादा हथियार वापस नहीं मिले हैं.
कहां से कितने हथियार लूटे गए?
आजतक के पास मौजूद डेटा के मुताबिक, मणिपुर के अलग अलग थानों से 4600 हथियार लूटे गये. इसमें से 1200 रिकवर हुए हैं. 3-4 मई को सबसे ज्यादा हथियार लूटे गए. इसके बाद 28 मई को भी हथियारों की लूट हुई.
पूरे मणिपुर में 37 जगह पर हथियारों की लूट हुई . पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मणिपुर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज से 446 हथियार लूटे गये. 7 मणिपुर रायफल से 1598 हथियार लूटे गए. 8 IRB से 463 हथियार लूटे गए. लूटे हथियार में LMG, MMG, AK, INSAS, Assault Rifle, MP5, Sniper, Pistol, Carbine शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक 10 जगह से कुकी समुदाय ने हथियार लूटे और 27 जगह से मैतेई ने. पुलिस रेड में कई देसी स्टाइल के हथियार भी मिले हैं.
लूट के हथियार नहीं मिले
सूत्रों के मुताबिक, मणिपुर में पुलिस द्वारा हथियारों की बरामदगी के लिए अभियान के तहत कई जगहों पर छापेमारी भी की गई. लेकिन इस दौरान लूटे हुए हथियार नहीं मिले. पुलिस अभियान के दौरान कई ऐसे देसी चौंकाने वाले हथियार मिले जो काफी खतरनाक हैं. इन्हें बिजली के पोल और गैल्वनाइज्ड लोहे की पाइपों से बनाया गया. एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि चूड़चंदपुर जिले में बिजली के पोल और पानी के पाइप गायब मिले हैं. ऐसे में संकेत मिलता है कि इनका इस्तेमाल हथियारों को बनाने में किया गया है.
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मणिपुर के पहाड़ी समुदाय परंपरागत रूप से तलवार, भाले, तीर- धनुष का इस्तेमाल करता था. बाद में आत्मरक्षा के लिए देसी बंदूकों और गोलियों का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया, जिन्हें 'थिहनांग' भी कहा जाता है. उखाड़े गए बिजली के पोल का इस्तेमाल तोप बनाने में किया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा मे यहां पर 'बंपी' गन भी कहा जाता है. यह आयरन स्प्लिनटर्स और अन्य धातु की वस्तुओं से भरी होती है, जो गोलियों या छर्रों के रूप में कार्य करती हैं.
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क्या 'बेकार' हो जाएंगे लूटे हुए हथियार?
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अभी भी लूटे हुए सभी हथियारों की रिकवरी नहीं हुई है. 3400 से ज्यादा हथियार रिकवर नहीं हुए हैं. पुलिस को ऐसा लगता है कि लूटे हुए हथियार कुछ दिन बाद डंडे की तरह हो जाएंगे क्योकि हथियारों के लिए गोलियां नहीं मिलेंगी. तो वे फायर कैसे करेंगे? पुलिस अभी लूटे हथियार की पीछे से मिलने वाली गोलियों की चेन को काटने में जुटी है. ये चेन जब कट जाएगी तो लूटे हुए हथियार किसी काम के नहीं बचेंगे.