
मणिपुर में हिंसा अभी थमी नहीं है. यहां अब भी खूनी संघर्ष जारी है. इस बीच एक जवान आईईडी ब्लास्ट होने से जख्मी हो गया. दरअसल असम राइफल्स को बिशनपुर जिले के के सैतान गांव में आईईडी होने की सूचना मिली थी. सुबह करीब 4:15 बजे असम राइफल्स का एक जवान स्थानीय रूप से बनाए गए आईईडी को डिफ्यूज करने के दौरान जख्मी हो गया. मणिपुर में मुठभेड़ के दौरान एक कमांडो की जान चली गई, जबकि पांच घायल हो गए.
सूत्रों के अनुसार बिष्णुपुर जिले के त्रोंग्लोबी में गुरुवार सुबह करीब 10 बजे के कुछ बदमाशों ने पुलिस पार्टी पर फायरिंग कर दी थी. दरअसल मणिपुर राज्य पुलिस कमांडो को सूचना मिली थी कि कुछ बदमाश पहाड़ी इलाके में छिपे हुए हैं. पुलिस पार्टी जब वहां पहुंची तो बदमाशों ने फायरिंग कर दी.
इस हमले में हिरेन नाम के कमांडो की जान चली गई, वहीं 5 कमांडो घायल हो गए. हालांकि कितने बदमाश जख्मी हुए हैं, इसकी सूचना अभी तक नहीं मिल पाई है. पुलिस का मानना है कि उग्रवादी गुटों ने यह हमला किया था. बहरहाल हमलावरों को पकड़ने के लिए मणिपुर पुलिस ने मुठभेड़ वाले इलाके में अतिरिक्त बल भेज दिया है. मणिपुर में सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की यह दूसरी घटना है. कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने बुधवार को फायरिंग कर असम राइफल्स का एक जवान को भी जख्मी कर दिया था.
60 से ज्यादा की मौत, 1700 घर जले
सीएम एन वीरेन सिंह ने पिछले दिनों बताया था कि मणिपुर में फैली हिंसा में 60 से ज्यादा लोगों की मौत को चुकी है. वहीं 231 लोग जख्मी हो गए हैं. हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने करीब 1700 घर जला दिए.
3 मई को सुलग उठा था मणिपुर
तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा देने की मांग की जा रही है. यह रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.
रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे. तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात कर दिया गया था. सरकार ने मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया था. हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गई थी. इसके अलावा 8 जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया था.