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'निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, लेकिन...,' मणिपुर पर SC में सुनवाई के दौरान CJI की सख्त टिप्पणी

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को मणिपुर में महिलाओं के साथ दरिंदगी के मामले में सुनवाई के दौरान तल्ख टिप्पणियां कीं. इस दौरान उन्होंने इस मामले में पुलिस की लारवाही पर सवाल उठाए. इसके अलावा उन्होंने केंद्र और राज्य सरकरों की कार्यवही पर भी फटकार लगाई. साथ ही कोर्ट ने मामले में एसआईटी जांच कराने से भी इनकार कर दिया है.

महिलाओं के साथ 4 मई को हुई थी हैवानियत (फाइल फोटो) महिलाओं के साथ 4 मई को हुई थी हैवानियत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 10:17 AM IST

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न कर उनकी परेड कराने के मामले में सुनवाई हुई. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों के रवैये पर नाराजगी जताई. उन्होंने पुलिस की लापरवाही पर सख्त टिप्पणी की. साथ ही वकीलों की दलीलों पर गंभीर टिप्पणियों भी कीं. उन्होंने महिलाओं से हुई हैवानियत को अभूतपूर्व करार दिया. इसके अलावा उन्होंने पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे राज्यों में भी मणिपुर जैसी कथित घटनाओं को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मणिपुर हिंसा की जांच के लिए एसआईटी नहीं करेगी.

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सीजेआई ने कहा-‘मणिपुर में सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की स्थिति है, इसलिए हम जो कह रहे हैं वह यह है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं. वर्तमान में वह मणिपुर से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं. मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराधिक घटनाओं की तुलना देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की घटनाओं से नहीं की जा सकती.

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'... इस बात का हवाला देकर पल्ला नहीं झाड़ सकते हैं कि देश के बाकी राज्यों में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं. हम पश्चिम बंगाल या किसी दूसरे सूबे में हुई वारदात को इससे नहीं जोड़ सकते. मणिपुर में जो कुछ हुआ वो मानवता को शर्मसार करने वाला है. हमारा दायित्व है कि उन दोनों महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए. हम मणिपुर में जीवन को सामान्य बनाने की आवश्यकता के बारे में भी परेशान हैं.'

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- 'हमारे हाथ से समय निकल रहा है. राज्य को मरहम लगाने वाले कदम उठाने की जरूरत है. इस मामले को तीन महीने बीत गए. इसका मतलब है कि सबूत नष्ट किए जा रहे हैं. मैंने अखबार में पढ़ा कि दो चश्मदीदों गवाहों की हत्या कर दी गई.' '...ऐसे कई मामले हैं, जो मीडिया में हैं, पब्लिक को भी पता है, लेकिन सरकार को इसकी जानकारी कैसे नहीं है. पीड़ितों के बयान हैं कि पुलिस ने उन्हें भीड़ को सौंपा था, यह काफी भयावह है. यह निर्भया जैसी स्थिति नहीं है, जिसमें एक बलात्कार हुआ था, वो भी काफी भयावह था लेकिन इससे अलग था. यहां हम सिस्टेमैटिक हिंसा से निपट रहे हैं जिसे भारतीय दंड संहिता अपराध मानता है.'

- 'क्या आप (वकील बांसुरी स्वराज) यह कह रही हैं कि भारत की सभी बेटियों के लिए कुछ करें या किसी के लिए कुछ भी न करें? पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध होते हैं. यह हमारी सामाजिक वास्तविकता का हिस्सा है. वर्तमान में हम ऐसी किसी चीज से निपट रहे हैं, जो अभूतपूर्व है.'

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- 'वायरल वीडियो मणिपुर में महिलाओं पर होने वाला एकमात्र हमला नहीं है. ऐसी कई घटनाएं हैं, इसलिए इसे इकलौती घटना नहीं मान सकते. हमें एक ऐसा मेकैनिज्म बनाने की जरूरत है, जिससे महिलाओं के खिलाफ होने वाली घटनाओं को व्यापक स्तर पर जांचा जा सके. इस मेकैनिज्म की जरूरत इसलिए है, ताकि इस तरह के सभी मामलों तक पहुंचा जा सके. मणिपुर में इस तरह की कितनी एफआईआर दर्ज हुई हैं? हमारे पास अबतक सभी तथ्य और रिकॉर्ड नहीं हैं.'

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- '4 मई को घटना हुई तो 18 मई तक पुलिस क्या कर रही थी. एफआईआर क्यों नहीं दर्ज हुई? पुलिस ने एक जीरो एफआईआर दर्ज करने के लिए 14 दिन ले लिए फिर पक्की एफआईआर कराने में एक महीने तीन दिन का समय क्यों लगा? अगर उसी पुलिस स्टेशन में 20 और ऐसी एफआईआर हैं तो उन मामलों में क्या हुआ? मैं नहीं मान सकता कि पुलिस को घटना की जानकारी नहीं हुई.' 

'मणिपुर में जो 6000 एफआईआर हुई हैं, उनमें से महिलाओं या अन्य के खिलाफ अपराध से जुड़ी कितनी हैं? क्या इसका कोई रिकॉर्ड है? इनमें से जीरो एफआईआर कितनी हैं? इन मामलों में क्या हुआ? क्या महिलाओं को निर्वस्त्र कर जुलूस निकालने का ये मामला इकलौता है? अगर नहीं, तो उन मामलों में क्या किया गया?'

- 'अगर ऐसा एक हजार मामले हैं तो क्या सीबीआई सभी की जांच करेगी? सिर्फ सीबीआई की जांच या एसआईटी से काम नहीं चलेगा. हमें इस बात पर ध्यान देना होगा कि एक 19 साल की लड़की का रेप हुआ है. जिसने अपने परिवार को भी खो दिया. इस केस में ये नहीं हो सकता कि वो लड़की मजिस्ट्रेट के पास तक जाए और बयान दे. हमें ये इन्श्योर करना पड़ेगा कि न्याय पीड़ित के दरवाजे तक पहुंचे.'

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19 जुलाई को वायरल हुआ था वीडियो

मणिपुर में 19 जुलाई को दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर सड़क पर घुमाने का एक वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा हो गया था. जांच में पता चला था कि घटना 4 मई को हुई थी. इस घटना की शिकायत 18 मई को हुई थी, लेकिन पुलिस ने 21 जून को केस दर्ज किया था. इस घटना के बाद मोदी सरकार और बीरेन सिंह की सरकार सवालों के घेरे में आ गई थी. दबाव पड़ने पर दो दिन के भीतर पांच आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. विपक्ष मणिपुर में हिंसा न रोक पाने पर पीएम मोदी, अमित शाह और एन बीरेन सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहा है.

इसके बाद 23 जुलाई को कुकी और जोमी समुदाय से जुड़े संगठनों ने सात कुकी महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने का दावा किया. उनका दावा था कि अब तक की हिंसा में 27 महिलाओं को शिकार बनाया गया. सात के साथ रेप किया गया, आठ की हत्या कर दी गई, दो को जिंदा जलाकर मार डाला गया, पांच की गोली मारकर और तीन को भीड़ ने मार डाला. हालांकि, सीएम एन. बीरेन सिंह ने इस दावे को खारिज किया है. उन्होंने दावा किया कि अब तक हिंसा से जुड़ी 6068 एफआईआर दर्ज की गई है, जिसमें से सिर्फ एक घटना रेप की है.

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