
पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही. इस बीच कांग्रेस की यूथ इकाई भारतीय युवा कांग्रेस (आईवाईसी) ने सोमवार को इस हिंसा के विरोध में प्रदर्शन किया. यूथ कांग्रेस ने बीजेपी सरकार को बर्खास्त करने की मांग की.
यह प्रदर्शन दिल्ली में शास्त्री भवन के पास हुआ. इस दौरान बड़ी संख्या में यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के विरोध में प्रदर्शन किया. इस दौरान कार्यकर्ता हाथों में प्लेकार्ड पकड़े मोदी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आए. बाद में दिल्ली पुलिस ने यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया. पुलिस ने कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने से रोकने के लिए इलाके में बैरिकेडिंग कर दी.
पीएम ने मणिपुर हिंसा पर एक शब्द ने बोला
इस दौरान आईवाईसी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मेट्रो में सफर कर सकते हैं. मध्य प्रदेश में चुनावी रैलियां कर सकते हैं, महाराष्ट्र में सरकार गिरवा सकते हैं लेकिन मणिपुर लगभग 60 दिनों से जल रहा है. वह ना तो इस हिंसा को लेकर एक शब्द बोलते हैं और ना ही मणिपुर का दौरा करते हैं. वह वहां शांति के लिए अपील भी नहीं करते. क्यों?
उन्होंने कहा कि राज्य में नफरत की आग बुझाने के बजाए हाथ पर हाथ रखकर बैठी मणिपुर की बीजेपी सरकार को कब बर्खास्त किया जाएगा? वहां पर कब राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा?
बता दें कि मई महीने से मणिपुर में मेतेई और कुकी समुदाय के बीच हिंसा जारी है. इस मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर है.
कब से जल रहा है मणिपुर
- तीन मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला. ये रैली चुरचांदपुर के तोरबंग इलाके में निकाली गई.
- इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे.
- तीन मई की शाम तक हालात इतने बिगड़ गए कि राज्य सरकार ने केंद्र से मदद मांगी. बाद में सेना और पैरामिलिट्री फोर्स की कंपनियों को वहां तैनात किया गया.
- ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है.
- 20 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने एक आदेश दिया था. इसमें राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. इसके लिए हाईकोर्ट ने सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है.
- मणिपुर हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद नगा और कुकी जनजाति समुदाय भड़क गए. उन्होंने 3 मई को आदिवासी एकता मार्च निकाला
मैतेई क्यों मांग रहे जनजाति का दर्जा?
- मणिपुर में मैतेई समुदाय की आबादी 53 फीसदी से ज्यादा है. ये गैर-जनजाति समुदाय है, जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं. वहीं, कुकी और नगा की आबादी 40 फीसदी के आसपास है.
- राज्य में इतनी बड़ी आबादी होने के बावजूद मैतेई समुदाय सिर्फ घाटी में ही बस सकते हैं. मणिपुर का 90 फीसदी से ज्यादा इलाकी पहाड़ी है. सिर्फ 10 फीसदी ही घाटी है. पहाड़ी इलाकों पर नगा और कुकी समुदाय का तो घाटी में मैतेई का दबदबा है.
- मणिपुर में एक कानून है. इसके तहत, घाटी में बसे मैतेई समुदाय के लोग पहाड़ी इलाकों में न बस सकते हैं और न जमीन खरीद सकते हैं. लेकिन पहाड़ी इलाकों में बसे जनजाति समुदाय के कुकी और नगा घाटी में बस भी सकते हैं और जमीन भी खरीद सकते हैं.
- पूरा मसला इस बात पर है कि 53 फीसदी से ज्यादा आबादी सिर्फ 10 फीसदी इलाके में रह सकती है, लेकिन 40 फीसदी आबादी का दबदबा 90 फीसदी से ज्यादा इलाके पर है.