
उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में हिंसक घटनाओं का दौर शांत नहीं हो रहा है. 120 लोगों की जान जा चुकी है, हजारों घायल हैं. इस बीच शनिवार को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है. इसमें विपक्ष के तमाम नेता मणिपुर में भड़की हिंसा को रोकने पर मंथन कर रहे हैं. कोशिशें जारी हैं कि मणिपुर में हालात सुधर जाएं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है. यहां रीलीफ कैंपों यानी राहत शिविरों में रह रहे पीड़ितों का एक ही सवाल है कि आखिर मणिपुर में हालात कब सुधरेंगे?
राजधानी इंफाल में जहां-तहां प्रदर्शन हो रहे हैं और लोग सरकार से शांति बहाली के लिए कदम उठाने की मांग कर रहे हैं. राजधानी की सड़कों पर चारों तरफ सुरक्षा का पहरा है. इंफाल में सुबह के 5:00 बजे से लेकर शाम के 6:00 बजे तक कर्फ्यू में ढील दी गई है ताकि सड़कों पर लोग उतर सकें और जरूरत की चीजें बाजार से खरीद सकें.
यहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी हो रही है तो महिलाओं का समूह अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को चेतावनी दे रहा है कि बिना समाधान लिए दिल्ली से ना लौटें. प्रदर्शन कर रही महिलाओं का कहना है कि समाधान के लिए म्यानमार से आने वाले आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई हो और उग्रवादी कुकी संगठनों पर सख्ती की जाए. महिलाओं की मांग है कि असम राइफल्स की जगह किसी दूसरी एजेंसी को तत्काल प्रभाव से मणिपुर में तैनात किया जाए ताकि वह निष्पक्ष होकर उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई कर सकें.
रिलीफ कैंपों में दिन गिन रहे मासूम
उधर, इंफाल के रिलीफ कैंपों में मासूम बच्चे और बेगुनाह महिलाएं अपने घर वापसी के दिन गिन रहे हैं. गर्भावस्था में कई महिलाएं हिंसा के चलते अपना घर और गांव जलता देख भागने पर मजबूर हो गए. इंफाल पूर्व, विष्णुपुर चुरा चंद्रपुर जैसे कई घाटी के इलाकों से मासूम महिलाएं और बच्चे अपने परिवार सहित रिलीफ कैंपों में दिन गुजार रहे हैं.
पुराने दिन याद कर रो पड़ीं विक्टोरिया
रिलीफ कैंप में समय काट रही विक्टोरिया उस दिन को याद करके रो पड़ती हैं. विक्टोरिया कहती हैं कि लोग हमारा गांव जला रहे थे और हमें वहां से भागना पड़ा. आजतक से बातचीत करते हुए विक्टोरिया ने नम आंखों से कहा कि जल्दी ही मणिपुर में शांति बहाल हो ताकि वह अपने घर लौट सके, क्योंकि मणिपुर को ऐसे दिन नहीं चाहिए.
रिलीफ कैंप चलाने वाले बीजेपी के स्थानीय नेता राजकुमार कहते हैं कि हालात पहले के मुकाबले बेहतर हो रहे हैं और जल्दी ही सब कुछ पटरी पर लौट आएगा.
रिलीफ कैंपों में हुआ कई बच्चों का जन्म
इन रिलीफ कैंपों में भागकर आई गर्भवती महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है. जन्म के छठवें दिन षष्टिपूर्ति समारोह जिस धूमधाम से मनाया जा सकता था, अब वह नहीं हो सकता. जिस खुशी से घर और गांव को सजाने की तैयारी थी, अब वह नसीब नहीं होगी. लेकिन इंफाल शहर के रिलीफ कैंपों में स्थानीय लोगों ने इतनी कोशिश जरूर की है कि बच्चों की षष्टिपूर्ति का समारोह हिंदू धर्म के रीति रिवाज के मुताबिक पूरा हो जाए ताकि गम और दर्द से जूझ रहे कई परिवारों को खुशियों के कुछ पल मिल सकें.
खाने में परोसे जा रहे राजमा चावल और खीर
रिलीफ कैंप के बाहर बड़े भंडारे में राजमा चावल खीर बनाई जा रही है ताकि डर और तकलीफ से बेपरवाह मासूम बच्चों को कुछ खुशी के पल नसीब हो सकें. स्थानीय पंडित अंगद कहते हैं कि हिंदू धर्म और रीति रिवाज से इन बच्चों का षष्टिपूर्ति समारोह बनाना चाहते हैं क्योंकि परंपराएं और धर्म इनके लिए महत्वपूर्ण है.
कब सुधरेंगे हालात?
उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर शांति की गुहार लगा रहा है. सिर्फ राजधानी में ही नहीं बल्कि पूरा राज्य इस समय ठप पड़ा है. हजारों बेघर हो चुके हैं और हिंसा अभी भी जारी है. सड़कों पर सुरक्षाबलों का पहरा है लेकिन सबके जेहन में सवाल इतना है कि हम घर कब लौटेंगे? मणिपुर मैं हालात सामान्य कब होंगे.
3 मई से जल रहा मणिपुर
बता दें कि मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में 3 मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' आयोजित किए जाने के बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुईं. इसके बाद से स्थिति बिगड़ती चली गई. अब तक करीब 120 लोगों की जान जा चुकी है और 3,000 से ज्यादा लोग घायल हैं. मणिपुर में हिंसा इस कदर बढ़ चुकी है कि हाल ही में भीड़ ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन का घर तक फूंक डाला था. शांति बहाल करने के लिए कई बार प्रयास किए जा चुके हैं लेकिन हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. केंद्रीय सशस्त्र बल की 84 कंपनियों को राज्य में तैनात किया गया है, असम राइफल्स के भी 10 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं.
सर्वदलीय नेताओं का प्रतिनिधि मणिपुर भेजा जाए: टीएमसी
TMC पार्टी द्वारा सर्वदलीय बैठक के दौरान ये मांग किया गया है की मणिपुर में सर्वदलीय नेताओं के प्रतिनिधि को भेजा जाए,जो वहां के तत्कालीन हालत को बेहतर तरीके से समझ सकें. टीएमसी द्वारा केंद्र सरकार पर बड़ा सवाल करते हुए बड़ा सवाल उठाया गया कि क्या मणिपुर को कश्मीर बनाने की कोशिश की जा रही है? मणिपुर हिंसा के बाद कई हजार प्रभावित हुए हैं, काफी स्टूडेंट भी इससे प्रभावित हुए हैं. इसके साथ ही कई स्टूडेंट राष्ट्रीय स्तर के प्रतियोगिता परीक्षा नहीं दी. मणिपुर हिंसा से काफी अस्पताल, मरीज और स्वस्थ सेवाएं प्रभावित हुई हैं. स्टॉक मार्केट, कमोडिटी बाजार इत्यादि भी इस हिंसा वाले घटना से प्रभावित हुई है. मणिपुर हिंसा के बाद से करीब चार हजार घर हमले में बर्बाद हो गए और करीब 60 हजार लोग विस्थापित भी हुए हैं.
(श्रेया और सूर्याग्नि के इनुपट के साथ)