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मणिपुर हिंसा पर बनी कमेटी ने SC को 3 रिपोर्ट सौंपी, मुआवजा राशि बढ़ाने समेत दिए कई सुझाव

7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों की राहत और पुनर्वास और उन्हें मुआवजे की निगरानी के लिए हाईकोर्ट की 3 पूर्व महिला जजों की एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया, इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए कहा था.

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
कनु सारदा/संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:27 PM IST

मणिपुर हिंसा मामले में पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की देखरेख के लिए बनी जस्टिस (रिटायर) गीता मित्तल की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में तीन रिपोर्ट पेश कीं. इनमें से एक रिपोर्ट में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा योजना को अपग्रेड करने की सिफारिश की गई है. सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार कर शुक्रवार को आदेश जारी करेगा. 

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दरअसल, 7 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों की राहत और पुनर्वास और उन्हें मुआवजे की निगरानी के लिए हाईकोर्ट की 3 पूर्व महिला जजों की एक कमेटी गठित करने का आदेश दिया, इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस प्रमुख दत्तात्रेय पडसलगीकर को आपराधिक मामलों की जांच की निगरानी करने के लिए कहा था. कोर्ट ने कहा था कि कमेटी सीधे रिपोर्ट पेश करेगी. 

बेंच ने कहा था कि कमेटी की अध्यक्षता जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस मित्तल करेंगी. जबकि कमेटी में बॉम्बे हाईकोर्ट की रिटायर जस्टिस शालिनी पी जोशी और दिल्ली हाईकोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन शामिल होंगी. 

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने कहा कि तीन रिपोर्ट्स सभी संबंधित वकीलों को देने को कहा है. बेंच ने कहा कि जस्टिस मित्तल की अगुवाई वाली कमेटी ने दस्तावेजों के नुकसान और राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण नीति की तर्ज पर मणिपुर मुआवजा योजना को अपग्रेड करने की जरूरत जैसे मुद्दों पर तीन रिपोर्ट दायर की हैं. बेंच ने कहा, रिपोर्ट से पता चलता है कि जरूरी दस्तावेजों को फिर से जारी करने की आवश्यकता है और मणिपुर पीड़ित मुआवजा योजना को अपग्रेड करने और एक नोडल प्रशासन एक्सपर्ट नियुक्त करने की जरूरत है. 

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10 याचिका पर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट

मणिपुर में 3 मई से हिंसा जारी है. सुप्रीम कोर्ट में हिंसा को लेकर करीब 10 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. मणिपुर में हिंसा में अब तक 160 लोगों की मौत हुई है. जबकि सैकड़ों लोग जख्मी हुए हैं. 50 हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में रहना पड़ रहा है. 

मणिपुर में कैसे फैली हिंसा?

मणिपुर में फैली हिंसा के मध्य में मैतेई और कुकी समाज है. मैतेई समुदाय लंबे समय से अनुसूचित जनजाति यानी एसटी का दर्जा मांग रहा है. मणिपुर हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस एमवी मुरलीधरन ने 20 अप्रैल को इस मामले में एक आदेश दिया था. इस आदेश में हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई को भी अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग पर विचार करने को कहा था. 

कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ 3 मई को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर (ATSUM) ने 'आदिवासी एकता मार्च' निकाला था. ये रैली मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ निकाली गई थी. इसी रैली के दौरान आदिवासियों और गैर-आदिवासियों के बीच हिंसक झड़प हो गई. - इसके बाद से राज्य में लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं. अब तक 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, हजारों घरों को जला दिया गया. हिंसा में अब तक 50 हजार से ज्यादा लोग बेघर हुए हैं. ये लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं.

 

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