
मणिपुर के कांगपोकपी जिले में गुरुवार की सुबह सुरक्षाकर्मियों के साथ मुठभेड़ में दो उपद्रवियों की मौत हो गई और पांच घायल हो गए. अधिकारियों ने बताया कि इन लोगों ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की थी. सुरक्षाकर्मियों ने स्थिति पर काबू पाने के लिए इसका जवाब में फायरिंग की थी.
अधिकारियों के मुताबिक, इस घटना के बाद दोनों उपद्रवी जिस समुदाय से आते हैं, उसके सदस्यों ने इंफाल में मुख्यमंत्री आवास तक जुलूस निकालने की कोशिश की. जब पुलिस ने इन्हें सीएम आवास तक जाने से रोका तो जुलूस हिंसक हो गया. इसके बाद पुलिस ने भीड़ को खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया. गिरफ्तारी से बचने के लिए प्रदर्शन करने वालों ने सड़कों पर टायर भी जलाए.
अधिकारियों ने कहा, ‘‘RAF के साथ पुलिसकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े. इसके बाद वे शव को यहां जवाहरलाल नेहरू आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित मुर्दाघर ले गए.'' इस बीच, बीजेपी के एक कार्यालय पर हमला किया गया."
प्रदेश में नहीं थम रही हिंसा
इसके अलावा सेना की ओर से जानकारी दी गई कि शाम करीब चार बजे क्षेत्र में तैनात सैनिकों ने मुनलाई गांव में गोलीबारी की आवाज सुनी. इसके अलावा करीब सवा पांच बजे राष्ट्रीय खेल विश्वविद्यालय के दक्षिण में बेथेल गांव की दिशा से गोलीबारी की सूचना मिली. यह क्षेत्र राजधानी इंफाल से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित है. गौरतलब है कि मणिपुर में मैतेई और कुकी समुदाय के बीच तीन मई से भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.
तीन मई से शुरू हुई थी हिंसा
मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा देने की मैतेई समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया गया था, जिसके बाद हिंसा शुरू हो गई थी. राज्य की 53 फीसदी आबादी मैतेई समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है. वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.