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पब्लिक इमरजेंसी, ड्रोन-ग्रेनेड अटैक और हर कंधे पर हथियार... ताजा हिंसा पर मणिपुर से ग्राउंड रिपोर्ट

मणिपुर में हिंसा के एक साल बाद भी शांति बहाली की उम्मीदें कम होती जा रही हैं. इंफाल घाटी में ड्रोन बमबारी और आरपीजी के साथ हमले बढ़ रहे है. स्थानीय संगठन और सुरक्षा एजेंसियों की शांति बहाली की कोशिशें जारी है, लेकिन स्थायी समाधान अभी नहीं निकल सका है.

मणिपुर में ताजा हिंसा पर ग्राउंड रिपोर्ट मणिपुर में ताजा हिंसा पर ग्राउंड रिपोर्ट
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:11 PM IST

हिंसा के एक साल बाद भी मणिपुर में शांति बहाली की उम्मीद पर पानी फिरता जा रहा है. 1 सितंबर सितंबर से मणिपुर की घाटी में हिंसक घटनाएं बढ़ गई हैं. हालात इस कदर भयाव है कि अब इन हमलों में ड्रोन के जरिए बमबारी की जा रही है तो आरपीजी का इस्तेमाल करके भी रिहायशी इलाकों को निशाना बनायाजा रहा है. आज तक लगातार हिंसाग्रस्त मणिपुर की हर एक रिपोर्ट आप तक पहुंचता रहा है और एक बार फिर आजतक संवाददाता आशुतोष मिश्रा मणिपुर में ग्राउंड जीरो पर हैं.

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मणिपुर में शांति बहाली की उम्मीदों को टूटता देख इंफाल घाटी में स्थानीय संगठन ने पब्लिक इमरजेंसी घोषित कर दी है. इस पब्लिक इमरजेंसी में केंद्रीय सुरक्षा बलों को चेतावनी दी गई है कि अगर वह कुकी संगठनों पर कार्यवाही नहीं करते हैं और शांति बहाली नहीं हो पाती तो उन्हें मणिपुर छोड़कर जाना होगा. पब्लिक इमरजेंसी का असर इंफाल के व्यस्तता इलाकों में भी देखा जा रहा है, जहां दुकान मकान बंद हैं और सड़कों पर आवाजाही थम सी गई है.

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'मणिपुर में शांति क्यों नहीं हो रही है?'

इंफाल की रहने वाली रतन पूछ रही हैं कि तमाम कोशिशें के बाद भी मणिपुर में शांति क्यों नहीं हो रही है? और राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार क्या कर रही है. रतन कहती हैं कि हिंसा बढ़ने की वजह से लोगों ने पब्लिक इमरजेंसी जारी कर दी है.

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आजतक की टीम इंफाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर उस गांव में भी पहुंची, जहां हिंसा के इस आक्रामक दौर की शुरुआत 1 सितंबर को हुई. पश्चिमी इंफाल जिले के कोत्रूक गांव में ड्रोन के जरिए बमबारी हुई थी.  1 सितंबर को दोपहर 2 बजे के बाद पहाड़ी इलाकों से आए ड्रोन ने बम बरसाने शुरू किया, तो कई घरों में आग लग गई और गाड़ियां-संपत्तियां जलकर राख हो गईं.

कई घरों के छत पर रॉकेट गिरने के निशान ताजा हैं तो दीवारों पर स्प्रिंटर ने निशाना बना दिए हैं. मकान जल गए हैं तो लोग गांव छोड़कर भाग गए हैं. उस दिन और उस घटना के चश्मदीब लांघम बताते हैं कि कैसे 3 से 4 ड्रोन ने अनेक संख्या में बम बरसाए, जिससे इलाके में दहशत फैल गई.

ड्रोन के अलावा आरपीजी से भी किया जा रहा अटैक

सिर्फ ड्रोन ही नहीं बल्कि आरपीजी का भी इस्तेमाल हुआ. पिछले साल तक ऐसी घटनाओं में देसी पाइप के जरिए पंपी गण बनाकर रॉकेट दागे जाते थे, जिनका डेरा बेहद कम होता था लेकिन इस इस बार के हमले में तकनीक का इस्तेमाल करते हुए. आधुनिक रॉकेट लांचर गन तैयार किए गए जिनकी मारक क्षमता काफी दूर तक है. आरपीजी से आए रॉकेट के गोलों ने गांव में कई घर बर्बाद कर दिए. हमले का असर गांव में बने आईआरबी के कैंपों पर भी हुआ. केंद्रीय बल के जवान ने आज तक को उन जगहों को दिखाया, जहां रॉकेट के टुकड़े गिरे.

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हालांकि, घाटी और पहाड़ से लगने वाले इलाकों में पिछले 1 साल से बंकर बने हुए हैं, जहां दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के सामने हथियार तानकर खड़े हैं. आज भी यह बंकर बने हुए हैं और कोई नहीं जानता कब कौन किसकी तरफ गोलियों की बरसाना शुरू कर देगा. ग्रामीण रक्षक दल के एक वॉलंटियर ने आज तक को पहचान छुपाते हुए कहा कि वह अपने गांव की हिफाजत करने के लिए इन बकरों में ठहरे हुए हैं. इस युवा का आरोप है कि हमला पहाड़ों से किया गया, जबकि यह हिफाजत के लिए खड़े हैं.

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एक-दूसरे के सामने हथियार तानकर खड़े लोग!

मिलिट्री ग्रेड दूरबीन एक हिस्से पर तैनात की गई है, जो सपोर्टर का काम करती है जिसके जरिए यह पता चल जाए कि उनके दुश्मन पहाड़ के किस हिस्से से फायर कर रहे हैं. बंकरों में वॉकी-टॉकी रेडियो सेट है, तो खुद के बचाव के लिए मिलिट्री ग्रेड बुलेट प्रूफ जैकेट हेलमेट भी रखे हैं. मणिपुर के सामुदायिक हिंसा में अत्याधुनिक हथियारों का भी इस्तेमाल हो रहा है, लेकिन कैमरे के सामने उन हथियारों को छुपा दिया जाता है और सामने दिखाई देती हैं देसी बोर राइफल और ढेर सारे देसी कारतूस. 

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इन गांव में जगह-जगह विलेज डिफेंस फोर्स के नाम पर हथियारबंद युवाओं ने मोर्चा संभाला है, तो कंधों पर मिलट्री ग्रेड स्नाइपर राइफल भी दिखाई दे जाएगी. सुरक्षा एजेंसियां कॉम्बिंग ऑपरेशन चलाकर जगह-जगह हथियार जब्त कर रही हैं, जिसमें आरपीजी ग्रेनेड और अत्यधिक एसॉल्ट राइफल शामिल है.

मुख्यमंंत्री ने मांगी सुरक्षा की जिम्मेदारी

उधर मणिपुर के मुख्यमंत्री राज्यपाल से मुलाकात कर चुके हैं और मांग कर रहे हैं कि राज्य में सुरक्षा की जिम्मेदारी और शक्तियां उन्हें वापस दे दी जाए, क्योंकि फिलहाल कानून व्यवस्था और सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने गृह मंत्रालय द्वारा नियुक्त किए गए सुरक्षा सलाहकार को सौंपी‌ है.

ड्रोन के खतरे को देखते हुए मणिपुर में केंद्रीय एजेंटीयों ने एंटी ड्रोन सिस्टम भी तैनात कर दिए हैं, लेकिन हिंसा का दौर जो शुरू हुआ है. इसपर लगाम कब लगेगा इसका जवाब फिलहाल किसी के पास नहीं है. आज तक लगातार ग्राउंड जीरो पर है और हर रिपोर्ट आप तक पहुंचाते रहेंगे.

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