
मणिपुर में बीते तीन मई से शुरू हुई हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. बीते 14 जून को कुछ उपद्रवियों ने इंफाल वेस्ट के लाम्फेल क्षेत्र में राज्य मंत्री नेमचा किपगेन के घर को आग लगा दी. यह घटना शाम करीब साढ़े छह बजे की है.
इससे पहले 13 जून को कांगपोकपी जिले में देर रात हिंसा भड़की थी. इसमें आधुनिक हथियारों से लैस उपद्रवियों की गोलीबारी और आगजनी में नौ लोग मारे गए, जबकि 10 लोग गंभीर रूप से घायल भी हुए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. खबरों के मुताबिक, मैतेई समुदाय के लोगों ने कुकी समुदाय के गांव को घेर लिया और पूरे गांव में घंटो-गोलीबारी और आगजनी हुई. उपद्रवियों ने कई घरों को आग के हवाले कर दिया था.
पूर्वोत्तर राज्य में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं. कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सुरक्षाकर्मी लगातार प्रभावित इलाकों में गश्त कर रहे हैं. इस बीच बीते 24 घंटों में टेंग्नौपाल और इंफाल ईस्ट जिलों से कई फायर आर्म्स और 63 गोला-बारूद बरामद किए गए हैं.
इंफाल ईस्ट में कर्फ्यू का समय घटाया गया
मणिपुर के सुरक्षा सलाहकार कुलदीप सिंह के मुताबिक, अब तक कुल 1040 हथियार, 13,601 गोला बारूद और 230 तरह के बम बरामद किए गए हैं. इस बीच इंफाल ईस्ट के जिला प्रशासन ने 14 जून को एक नोटिस भी जारी किया है, जिसके मुताबिक, कर्फ्यू का समय घटाकर सुबह पांच बजे से नौ बजे कर दिया गया है. इससे पहले कर्फ्यू का समय सुबह पांच बजे से शाम छह बजे तक था.
तीन मई को शुरू हुई थी हिंसा
बता दें कि मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पहाड़ी जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के आयोजन के बाद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा भड़क उठी थी. एक महीने पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से अब तक लगभग 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और 300 से अधिक लोग घायल हो चुके हैं. आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने पर तनाव से पहले झड़पें हुईं, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए.
मैतेई समुदाय आबादी का 53 फीसदी
गौरतलब है कि मैतेई मणिपुर की आबादी का लगभग 53 प्रतिशत हैं और ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं. जनजातीय नागा और कुकी की संख्या 40 प्रतिशत है, जो पहाड़ी जिलों में निवास करते हैं. राज्य में शांति बनाए रखने के लिए सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवानों को तैनात किया गया है.
(इनपुट- अफरीदा)