
मणिपुर में स्थिति सामान्य हो, ऐसी उम्मीद महीने भर से की जा रही है, लेकिन हर रोज़ नॉर्थ ईस्ट के इस राज्य से ऐसी कोई ख़बर आती है जिससे लगता है हालात बद से बदतर होती जा रही है. कल रात उपद्रवियों ने केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री आरके रंजन सिंह के घर को आग के हवाले कर दिया, गनीमत ये है कि आरके रंजन सिंह तब घर पर नहीं थे. इससे पहले बुधवार को इंफाल पश्चिम के लाम्फेल इलाके के मंत्री नेमचा किपजेन का भी घर जलाया दिया था. जब से राज्य में ये स्थिति बनी है तभी से एलेक्टेड रेप्रेज़ेंटेटिव्स के घरों पर सिलसिलेवार तरीक़े से हमले हो रहे हैं. कुकी और मैतई समुदाय की आपसी लड़ाई में अब तक सौ से ज़्यादा जानें जा चुकी हैं, 400 सौ से ज़्यादा लोगों को घायल बताया जाता है,और 80 हज़ार लोग अपना घर छोड़ कैंप में रहने के लिए मजबूर हैं.
केंद्र और राज्य सरकार लगातार इस प्रयास में लगी हुई है कि कैसे भी स्थिति पर काबू पाई जा सके, इसके लिए सेना उतारी गई, कमिटी बनाई गई, गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा किया, असम के मुख्य मंत्री और नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के ट्रबलशूटर माने जाने वाले हिमन्त बिस्वा सरमा को मणिपुर भेजा गया. बावजूद इसके हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही. तो सबसे पहले सूबे में मौजूदा हालात कैसे हैं, सुनिए 'दिन भर' में.
लोकसभा चुनाव में अब एक साल से भी कम वक़्त बचा है और इसके लिए तैयारियां ज़ोर पकड़ने लगी हैं. एक तरफ बीजेपी छोटी छोटी पार्टियों के रूप में नए पार्टनर ढूंढ़ रही है तो दूसरी तरफ ऑपोजिशन पार्टियां भी साथ मिलकर चुनाव लड़ने की कवायद में जुटी हैं. अगले शुक्रवार को पटना में नीतीश कुमार के न्यौते पर विपक्षी पार्टियों के नेताओं का जुटान भी हो रहा है. कम से कम 15 सियासी दलों के शीर्ष नेता इसमें विपक्षी एकता की छतरी तले बीजेपी को हराने के लिए मंथन करेंगे. लेकिन विपक्षी एकता का ये फॉर्मूला इतना आसान नहीं रहने वाला है. गठबंधन में जाने से पहले हर पार्टी अपना नफ़ा-नुक़सान भी देखेगी. जाहिर है पेंच सीटों के बंटवारे पर आकर फंसेगी. तो लोकसभा सीटों पर पॉलिटिकल टसल का गुना-गणित क्या है, सुनिए 'दिन भर' में
गुजरात में बिपरजॉय तूफान के दस्तक देने के बाद का सूरत-ए-हाल कुछ ऐसा ही है. आजतक रेडियो रिपोर्टर आशुतोष मिश्रा लगातार ग्राउंड पर मौजूद हैं और रिपोर्टिंग के साथ साथ लोगों की मदद भी कर रहे हैं. रात भर कहर बरपाने के बाद अब जाकर तूफानी हवाओं की रफ़्तार में कमी तो आई है हालांकि समंदर में अभी भी ऊँची ऊँची लहरें उठ रही हैं. घंटों की बारिश के बाद निचले इलाकों में पानी भरा हुआ है. सुरक्षित जगहों पर पहुंचने की जल्दी में भागते हुए लोग, सड़कों पर जहां - तहां टूटकर गिरे हुए सैकड़ों पेड़, खिलौने की तरह पलटी गाड़ियां, टूटकर गिरे बिजली के तार और खंभे. यही नज़ारा है वहां का. कच्छ और सौराष्ट्र क्षेत्र के 8 ज़िले सबसे ज़्यादा प्रभावित हैं. तकरीबन 1000 गांवों में अभी तक बिजली नहीं आई है, नेशनल हाई वे पर भी ट्रांसपोर्टेशन बाधित है. कुल मिलाकर तबाही का मंज़र है चारों तरफ. तो तूफान बिपरजॉय से जिस लेवल का नुकसान हुआ उसको लेकर प्रशासन का क्या एस्टीमेट है और चीज़ों को सुधारने में, दुरुस्त करने में कितना वक्त लगेगा, सुनिए 'दिन भर' में.