
मराठा समुदाय के आरक्षण की मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने सोमवार को फिर से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू करने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इस हड़ताल की तारीख का ऐलान वे मंगलवार को करेंगे. महाराष्ट्र के जालना जिले के अंतर्वाली सराटी गांव में मीडिया से बात करते हुए जरांगे ने कहा कि मराठा समुदाय के लोग इस हड़ताल में शामिल हो सकते हैं.
42 वर्षीय जरांगे इससे पहले भी 6 बार भूख हड़तालें कर चुके हैं. जरांगे अब जब ये ऐलान किया है तो महाराष्ट्र में भाजपा नीत महायुति सरकार है. एक दिन पहले ही इसके कैबिनेट का विस्तार हुआ है. जरांगे ने स्पष्ट किया कि यह भूख हड़ताल पूरी तरह स्वैच्छिक होगी और इसमें शामिल होने का कोई दबाव नहीं होगा. उन्होंने कहा, "समुदाय के जो भी लोग इस हड़ताल में शामिल होना चाहते हैं, वे इसका हिस्सा बन सकते हैं. इसमें किसी पर कोई दबाव नहीं है."
मराठा आरक्षण पर जरांगे का जोर
मनोज जरांगे की मुख्य मांग है कि मराठा समुदाय को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के तहत नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण दिया जाए. उनका कहना है कि सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए, खासकर नागपुर में चल रहे राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान. उन्होंने कहा, "सरकार ने मराठा समुदाय की मांगों को लेकर अपनी प्रतिबद्धता तो जताई है, लेकिन अब हमें उनसे यह उम्मीद है कि वे अपनी ईमानदारी और समर्पण दिखाते हुए इस सत्र के दौरान ठोस कदम उठाएंगे."
जरांगे ने सरकार से यह भी अपील की कि वह मराठा समुदाय को कुनबी (Kunbi) के रूप में मान्यता देने के लिए तैयार ड्राफ्ट नोटिफिकेशन को लागू करे. उन्होंने Sage Soyare (रिश्तेदारी से जुड़े) सिद्धांत और हैदराबाद, बॉम्बे तथा सतारा गजटों के आधार पर मराठाओं को कुनबी घोषित करने की मांग की.
मनोज जरांगे की प्रमुख मांगों में यह भी शामिल है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे समिति का तेजी से कार्य करे. यह समिति महाराष्ट्र सरकार द्वारा मराठा समुदाय को कुनबी प्रमाणपत्र जारी करने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए बनाई गई है. यह प्रमाणपत्र समुदाय को OBC आरक्षण का लाभ पाने के लिए पात्र बनाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को समिति के कामकाज को जल्द से जल्द पूरा करना चाहिए ताकि मराठा समुदाय को उनका हक मिल सके.
फरवरी में हुआ था 10% आरक्षण का प्रावधान
इस साल फरवरी में महाराष्ट्र विधानसभा ने मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अलग श्रेणी के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण देने का विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया था. हालांकि, मनोज जरांगे ने इस आरक्षण को अस्वीकार करते हुए इसे OBC श्रेणी के तहत आरक्षण में शामिल करने की मांग की है.
हड़ताल के लिए अंतर्वाली सराटी बना मुख्य केंद्र
जरांगे की पिछली सभी भूख हड़तालें जालना जिले के अंतर्वाली सराटी गांव में ही हुई हैं, जो मराठा आरक्षण आंदोलन का प्रमुख केंद्र बन गया है. उनके आंदोलनों ने महाराष्ट्र में मराठा समुदाय की आरक्षण मांग को लेकर एक बड़ा जन समर्थन खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ मराठा आरक्षण की मांग तक सीमित नहीं है, बल्कि मराठा समाज के सम्मान और उनके हकों को सुरक्षित करने के लिए भी है.
जरांगे ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि शीतकालीन सत्र में सरकार इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाती, तो आंदोलन और तेज होगा. उन्होंने कहा, "यह केवल मराठा समाज की लड़ाई नहीं है, बल्कि हमारे आने वाली पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने का संघर्ष है." जरांगे ने मराठा समुदाय के लोगों को इस हड़ताल में शामिल होने का खुला निमंत्रण दिया है. उन्होंने कहा कि यह आंदोलन मराठा समाज की एकता और उनके अधिकारों की लड़ाई को मजबूती देगा.