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बजट में सस्टेनेबल डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम घोषणाएं, पर्यावरणविदों में उत्साह

इस बजट में सरकार ने क्लीन एनर्जी, घरेलू उत्पादन और कृषि को मजबूती देने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. इस बजट को करदाताओं के अनुकूल बताया जा रहा है, जिसमें ऐसे कई प्रावधान हैं जो क्लीन एनर्जी और परिवहन व्यवस्था को गति देंगे.

बजट में सस्टेनेबल डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम घोषणाएं बजट में सस्टेनेबल डेवलपमेंट को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम घोषणाएं
आशुतोष मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 03 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:07 AM IST

मोदी सरकार के इस बजट में जहां मध्यम वर्ग को बड़ी राहत देने का ऐलान किया गया है तो वहीं बजट में पर्यावरण से जुड़ी घोषणाओं पर पर्यावरणविद भी बेहद उत्साहित हैं. पर्यावरणविदों का कहना है कि बजट 2025 हरित विकास की दिशा में एक और कदम है क्योंकि केंद्रीय बजट 2025-26 में भारत की सस्टेनेबल डेवलपमेंट यात्रा को आगे बढ़ाने के लिए कई अहम घोषणाएं की गई हैं.

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इस बजट में सरकार ने क्लीन एनर्जी, घरेलू उत्पादन और कृषि को मजबूती देने के लिए बड़े कदम उठाए हैं. इस बजट को करदाताओं के अनुकूल बताया जा रहा है, जिसमें ऐसे कई प्रावधान हैं जो क्लीन एनर्जी और परिवहन व्यवस्था को गति देंगे.

इनोवेशन और घरेलू निर्माण को बढ़ावा

महुआ आचार्य, संस्थापक, CEO, INTENT, कहती हैं कि बजट 2025 में क्लीन टेक निर्माण पर विशेष ध्यान दिया गया है, जो भारत को हरित विकास की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाने में मदद करेगा. ग्रिड-स्केल बैटरियों, EV बैटरियों और सोलर PV निर्माण को समर्थन देना सही दिशा में उठाया गया कदम है.

इस बार के बजट में घरेलू उद्योगों को सशक्त बनाने पर खास जोर दिया गया है. खासतौर पर, सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरियां, विंड टरबाइन, हाई-वोल्टेज ट्रांसमिशन उपकरण और ग्रीन हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में विनिर्माण क्षमता बढ़ाने की योजना बनाई गई है. सरकार ने कई महत्वपूर्ण खनिजों- जैसे कोबाल्ट पाउडर, लिथियम-आयन बैटरी स्क्रैप, लेड और जिंक- पर कस्टम ड्यूटी हटा दी है. इसका मतलब है कि इन उद्योगों में कच्चे माल की लागत कम होगी, जिससे स्थानीय स्तर पर उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और नई नौकरियों के अवसर बनेंगे. हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग, जो कर संरचना में राहत की उम्मीद कर रहा था, उसे इस बजट में खास जगह नहीं मिली.

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छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए राहत

एमएसएमई, स्टार्टअप और निर्यातकों के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम का विस्तार किया गया है, जिससे अगले पांच साल में 1.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त ऋण सुविधा उपलब्ध होगी. इससे क्लीन एनर्जी और रिन्यूबल एनर्जी जैसे क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा. छोटे और मझोले उद्यमियों के लिए यह राहत देने वाली खबर है, क्योंकि इससे उन्हें वित्तीय मदद मिल सकेगी.

कृषि में जलवायु परिवर्तन से लड़ने की तैयारी

कृषि क्षेत्र में क्लाइमेट एडाप्टेशन को लेकर सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. ‘नेशनल मिशन ऑन हाई यील्डिंग सीड्स’ के तहत क्लाइमेट टोलरेंट और कीट-प्रतिरोधी बीजों पर शोध को बढ़ावा दिया जाएगा. किसानों के लिए ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ की सीमा 3 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई है, जिससे 7.7 करोड़ ग्रामीण उद्यमियों को अपनी आजीविका मजबूत करने का अवसर मिलेगा. साथ ही, 'प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना' के तहत 100 कम उत्पादकता वाले जिलों पर फोकस किया जाएगा, जिससे जलवायु अनुकूल खेती को बढ़ावा मिलेगा.

न्यूक्लियर एनर्जी में बड़ा निवेश

क्लीन एनर्जी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 20,000 करोड़ रुपये के 'न्यूक्लियर एनर्जी मिशन' की घोषणा की है. इस मिशन का लक्ष्य 2033 तक पांच स्वदेशी स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMR) को चालू करना है. इससे भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन को कम करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने में मदद मिलेगी.

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लबन्या जेना, सस्टेनेबल फाइनेंस विशेषज्ञ का मानना है कि 'भारत का न्यूक्लियर एनर्जी की ओर बढ़ना साहसिक कदम है, लेकिन उच्च पूंजी लागत और जोखिमों को देखते हुए सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसका वित्तपोषण कौन करेगा? सरकार का 10,000 करोड़ रुपये का फंड ऑफ फंड्स यदि जलवायु समाधान और स्वच्छ तकनीकों के लिए समर्पित किया जाए, तो यह भारत को क्लाइमेट टेक हब बनाने में मदद कर सकता है.'

शहरी बुनियादी ढांचे का कायाकल्प

शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने और आधुनिक बनाने के लिए 'अर्बन चैलेंज फंड' का ऐलान किया गया है. इस योजना के तहत 1 लाख करोड़ रुपये तक की राशि शहरी विकास परियोजनाओं में लगाई जाएगी, जिनमें 'Cities as Growth Hubs', 'Creative Redevelopment of Cities' और 'Water & Sanitation' जैसी पहलें शामिल हैं. शहरों को गर्मी से बचाने, जल संसाधन प्रबंधन को सुधारने और जलवायु अनुकूल बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए यह योजना अहम साबित हो सकती है.

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा

'रूरल प्रॉस्पेरिटी एंड रेजिलियंस प्रोग्राम' के तहत ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर सृजित करने की योजना है. खासतौर पर, ग्रामीण महिलाओं, युवा किसानों और भूमिहीन परिवारों को इसका लाभ मिलेगा. वैश्विक बेहतरीन प्रथाओं और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को शामिल करके इस योजना को अधिक प्रभावी बनाया जाएगा.

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ऋषभ जैन, वरिष्ठ कार्यक्रम लीड, CEEW कहते हैं, 'घरेलू निर्माण और निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाने पर यह बजट सही दिशा में बढ़ा है, जिससे नौकरियां और आर्थिक विकास को बल मिलेगा. हालांकि, क्लीन एनर्जी उपकरणों के निर्माण में कच्चे माल की कमी, तकनीकी कौशल की सीमाएं और व्यापार बाधाएं अभी भी भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता को सीमित कर रही हैं. नई पहलें अच्छी हैं, लेकिन इन्हें प्रभावी बनाने के लिए अंतर-मंत्रालयी समन्वय और उद्योगों में अधिक R&D निवेश आवश्यक है.'

क्लीन एनर्जी, कृषि सुधार और शहरी विकास पर जोर देने से यह स्पष्ट होता है कि सरकार दीर्घकालिक आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता दे रही है. हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को कर राहत न मिलने और कुछ अन्य क्षेत्रों को अपेक्षित समर्थन न मिलने से कुछ निराशा भी देखी जा सकती है.

फिर भी, इस बजट की कई घोषणाएं भारत को आत्मनिर्भर और जलवायु के प्रति अधिक संवेदनशील अर्थव्यवस्था बनाने में मददगार साबित हो सकती हैं. अब देखना यह होगा कि इन योजनाओं को ज़मीन पर कितनी कुशलता से लागू किया जाता है.

आरती खोसला, निदेशक, क्लाइमेट ट्रेंड्स कहती हैं कि 'राष्ट्रीय निर्माण मिशन के तहत 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देने के साथ यह बजट क्लीन एनर्जी बदलाव के लिए एक महत्वाकांक्षी रूपरेखा प्रस्तुत करता है. PM सूर्य घर योजना के तहत रूफटॉप सोलर को प्राथमिकता देना स्वागतयोग्य है. साथ ही, 2047 तक 100 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा का लक्ष्य रखते हुए न्यूक्लियर मिशन की घोषणा भारत के ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा संकेत देती है. हालांकि, परमाणु ऊर्जा की सुरक्षा को लेकर चिंताएं अभी भी बनी हुई हैं.'

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वहीं श्रुति शर्मा, लीड एनर्जी प्रोग्राम, IISD का कहना है कि 'इस बजट ने बिजली वितरण सुधारों और ट्रांसमिशन क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया है, जिससे DISCOMs की वित्तीय सेहत बेहतर होगी. लेकिन बिजली उपभोग पर दी जाने वाली 93% सब्सिडी को नियंत्रित किए बिना ये सुधार टिकाऊ नहीं होंगे. साथ ही, PM-KUSUM योजना पर कोई ठोस संकेत नहीं दिया गया, जबकि यह कृषि क्षेत्र में सोलर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण जरिया बन सकता था.'

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