
इंग्लैंड के एक म्यूजियम में रखे छत्रपति शिवाजी के एक बेहद ही खतरनाक हथियार 'वाघ नख' को मुंबई लाया गया है. इसे अगले सात महीने के लिए सतारा स्थित शिवाजी म्यूजियम में रखा जाएगा. इस 'वाघ नख' को जब से सतारा म्यूजियम लाने की बात शुरू हुई है, तब से इसको लेकर लोगों के मन में कई सारे सवाल हैं.
खासतौर पर शिवाजी के बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को अंजाम तक पहुंचाने की बात की खूब चर्चा है, जिसके खिलाफ उन्होंने इसी 'वाघ नख' का इस्तेमाल किया था. वर्ष 1659 में मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज और बीजापुर सल्तनत के बीच तनाव बढ़ गया था.
यह भी पढ़ें: छत्रपति शिवाजी का 'वाघ नख' लंदन से मुंबई आया, सात महीने सतारा के म्यूजियम में रहेगा
अफजल खान ने जब शिवाजी को भेजा मीटिंग का प्रस्ताव
बीजापुर के एक शक्तिशाली सेनापति अफजल खान ने शिवाजी की बढ़ती ताकत को एक खतरे के रूप में देखा. उन्हें खत्म करने के लिए, अफजल खान ने एक चालाक योजना बनाई. अफजल खान ने शिवाजी को उनके गढ़ प्रतापगढ़ किले में शांति बैठक का एक प्रस्ताव भेजा. इस प्रस्ताव को लेकर शिवाजी को संदेह हुआ.
एक चतुर महाराज के रूप में शिवाजी ने अफजल खान के विश्वासघात की संभावनाओं को पहचान लिया. हालांकि, बैठक से इनकार करना एक कमजोरी की निशानी हो सकती थी और इसलिए उन्होंने बड़ी चतुराई के साथ मीटिंग के लिए हामी भरी.
अफजल खान की विश्वासघाती योजना को जानते हुए पोशाक के नीचे शिवाजी ने लोहे की जालीदार कवच पहनी, जिसे 'बावन' कहा जाता था. बाईं तरफ बाजू के नीचे अपना खतरनाक हथियार 'वाघ नख' भी छिपा लिया. 'वाघ नख' बाघ के पंजे जैसा दिखने वाला एक छोटा हथियार होता है, जो तलवार से भी छोटा होता है.
जैसे ही अफजल खान झपटा, शिवाजी ने 'वाघ नख' से सीना चीर दिया
बैठक का दिन आया. अफजल खान, एक लंबे कद का शख्स मीटिंग के लिए टेंट में दाखिल हुआ. शिवाजी, हालांकि कद में छोटे थे, लेकिन उन्होंने बाहरी शिष्टाचार के साथ उनका स्वागत किया. हालांकि, उनकी हरकतों पर छिपे हुए मराठा सैनिकों की नजर थी.
जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, अफजल खान, अपनी विश्वासघाती योजना के मुताबिक, शिवाजी की ओर झपटा और उन्हें दोस्ताना तरीके से गले लगाया. यही वो क्षण था जिसकी शिवाजी को उम्मीद थी.
यह भी पढ़ें: क्या भारत को 3 साल के लिए उधार में मिल रहा है शिवाजी का 'वाघ नख'? इतिहासकार का दावा
'वाघ नख' की धारदार पंजे से शिवाजी ने अफजल खान के सीने को चीर दिया. उन्होंने न सिर्फ अफजल खान की चालबाजी से खुद को बचाया बल्कि उसके द्वारा उत्पन्न खतरे को भी बेअसर कर दिया.
'वाघ नख' बन गया क्षमता का प्रतीक
अफजल खान की मृत्यु और उसके बाद प्रतापगढ़ की लड़ाई में बीजापुरी सेना की हार ने शिवाजी और मराठों के लिए एक बड़ी जीत की वजह बनी. शिवाजी की बहादुरी और उनकी रणनीतिक प्रतिभा इस घटना के बाद और मजबूत हुई. इसके साथ ही मुश्किल के समय में 'वाघ नख' शिवाजी की क्षमता का प्रतीक बन गया.