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मार्कंडेय काटजू ने SC के जजों को लिखा पत्र, संजीव भट्ट, उमर खालिद सहित इन्हें रिहा करने की मांग

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को एक खुला पत्र लिखा है. जस्टिस काटजू ने पत्र में लिखा है कि मैं आपसे आदरपूर्वक अपील करता हूं कि जेलों में बंद कुछ लोगों के मामलों पर अदालत फिर से विचार करे. इनके बारे में मेरा मानना ​​है कि वे निर्दोष हैं और मोदी सरकार की राजनीतिक प्रतिशोध भावना के कारण उन्हें गलत तरीके से कैद किया गया है.

मार्कंडेय काटजू- फाइल फोटो मार्कंडेय काटजू- फाइल फोटो
संजय शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 23 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:28 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने सुप्रीम कोर्ट के जजों को एक खुला पत्र लिखा है. उन्होंने पत्र में पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट, उमर खालिद, भीमा कोरेगांव घटना के मामले में आरोपी मानवाधिकार कार्यकर्ता समेत तमाम मुस्लिम जो जिलों में बंद है उन्हें रिहा करने की मांग की है. जस्टिस काटजू ने पत्र में लिखा है कि मैं आपसे आदरपूर्वक अपील करता हूं कि जेलों में बंद कुछ लोगों के मामलों पर अदालत फिर से विचार करे. इनके बारे में मेरा मानना ​​है कि वे निर्दोष हैं और मोदी सरकार की राजनीतिक प्रतिशोध भावना के कारण उन्हें गलत तरीके से कैद किया गया है. उनके खिलाफ लगाए गए फर्जी आरोपों को खारिज कर अदालत उन्हें रिहा करने का आदेश जारी करे. काटजू ने संजीव भट्ट, उमर खालिद, भीमा कोरेगांव के आरोपियों, प्रोफेसर साईबाबा सहित कई लोगों को जेल से रिहा करने का आग्रह किया है.

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1. मार्कंडेय काटजू ने लिखा, संजीव भट्ट एक वरिष्ठ आईपीएस पुलिस अधिकारी थे. गुजरात सरकार ने 1996 के एक पुराने मामले के झूठे आरोप में गिरफ्तार करवा दिया और दोषी ठहराया. वह 2018 से जेल में है. उन्हें पुलिस से भी बर्खास्त कर दिया गया है और उन्हें और उनके परिवार को कई तरह से परेशान किया गया है. 

2. काटजू ने लिखा कि उमर खालिद ने जेएनयू से पीएचडी को उपाधि ली है. वो सामाजिक कार्यकर्ता थे. उन्हें देशद्रोह के आरोप में यूएपीए और आईपीसी की कई अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था. मुझे लगता है कि ये सब पूरी तरह से मनगढ़ंत और फर्जी हैं. वह 2020 से जेल में हैं. उनका असली अपराध मुसलमान होना है. कन्हैया कुमार पर जेएनयू में इसी घटना में इसी तरह के आरोप लगाए गए थे. एक हिंदू होने के नाते रिहा है. 

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3. पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने पत्र में लिखा कि भीमा कोरेगांव के इन आरोपियों के खिलाफ सभी आरोप फर्जी प्रतीत होते हैं. इन्हें खारिज किया जाना चाहिए. 

4. उन्होंने लिखा कि भारत में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के खिलाफ आरोपों को तत्काल रद्द किया जाना चाहिए. मोदी सरकार अक्सर अपनी आलोचना करने वालों को गिरफ्तार कर लेती है. जबकि लोकतंत्र में सरकार की आलोचना करना लोगों का अधिकार है. 

5. काटजू ने आगे लिखा, प्रोफेसर साईबाबा के मामले पर फिर से विचार किया जाना चाहिए. उनके खिलाफ सभी आरोप हटा दिए जाने चाहिए. क्योंकि वे पूरी तरह से निर्दोष प्रतीत होते हैं और उनके खिलाफ पुलिस द्वारा बनाए गए सबूत भी गलत हैं. 

6. पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू के पत्र के अनुसार, बड़ी संख्या में निर्दोष मुसलमान आतंकवाद, देशद्रोह, यूएपीए आदि के झूठे आरोपों में लंबे समय से जेल में हैं. उनका एकमात्र अपराध यह था कि वे मुसलमान हैं , जिनसे मोदी नफरत करते हैं.

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