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मायावती ने कौन से फैक्टर्स के चलते इंडिया गठबंधन से किनारा किया?

BSP सुप्रीमो मायावती ने जन्मदिन पर 2024 का क्या मंत्र दिया, स्विट्ज़रलैंड के दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में क्या हलचल है, फिर बात कोहरे की जो ट्रेन और फ्लाइट के लिए विलेन बन गया है. समाधान क्या हो सकता है इसका और सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन को लेकर हेल्थ मिनिस्ट्री की तैयारी कहां अटकी, सुनिए 'दिन भर' में नितिन ठाकुर से.

नितिन ठाकुर
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  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 9:18 PM IST

पिछले कुछ दिनों से इंडिया एलायंस के नेता बसपा प्रमुख मायावती को गठबंधन में शामिल कराने की कोशिश में लगे थे. इसी को ध्यान में रखकर कांग्रेस ने यूपी का प्रभारी अविनाश पांडेय को बनाया था क्योंकि ऐसा कहा जाता है अविनाश पांडेय के रिश्ते बसपा सुप्रीमो से नर्म हैं. उम्मीद तो पूरी थी कि मायावती देर सवेर इंडिया एलायंस में शामिल होंगी लेकिन सारी गुंजाइशों पर खुद बसपा सुप्रीमो ने अपने जन्मदिन की सुबह पानी फेर दिया. उन्होंने साफ किया कि 2024 का चुनाव बहुजन समाज पार्टी अकेले लड़ेगी. किसी गठबंधन या पार्टी के साथ एलायंस नहीं होगी. गठबंधन से फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है उनका. ये भी कहा कि गठबंधन में शामिल दलों के अपर कास्ट का वोट बसपा को नहीं मिलता. 

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 हालांकि मायावती के ये दावे कई राज्यों के विधानसभा चुनाव गलत साबित करते हैं. इसके अलावा यूपी में बसपा 2019 का लोकसभा चुनाव सपा के साथ लड़ी तो उसे 10 सीटें मिली. 2022 का विधानसभा चुनाव अकेले लड़ी तो उसे बस एक सीट हासिल हुई. 
मायावती ने आज जो कहा वो इंडिया एलायंस के लिए सेटबैक माना जाए क्या, इससे विपक्षी एकता को कितना नुकसान होगा, मायावती का एकला चलो रे का ऐलान उन्हें कितना लाभ पहुंचाएगा,अपर कास्ट वोट का नाम लेकर मायावती क्या सियासी संदेश देना चाहती हैं? सुनिए दिन भर की पहली ख़बर में

हूती संकट आपको भारी पड़ेगा!

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की सालाना बैठक आज से स्विटजरलैंड के दावोस में शुरू हुई. ये 19 जनवरी तक चलेगी. युद्ध और संकटों से बिखरती दुनिया को ध्यान में रखते हुए फोरम की थीम 'रिबिल्डिंग ट्रस्ट' (विश्वास का पुनर्निर्माण) रखी गई है. इसमें वर्ल्ड बैंक के ग्रुप प्रेसिडेंट अजय बंगा, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिनकेन, माइक्रोसॉफ्ट के CEO सत्य नडेला, स्टैंडर्ड चार्टर्ड के CEO बिल विंटर्स समेत दुनियाभर के 60 देशों के लीडर और बिजनेसमैन शामिल हो रहे हैं. भारतीय डेलीगेशन में तीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, अश्विनी वैष्णव और हरदीप सिंह पुरी के साथ तीन मुख्यमंत्री महाराष्ट्र के एकनाथ शिंदे, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी और कर्नाटक के सिद्धारमैया भी शामिल हैं. 

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वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ये बैठक उस वक्त हो रही है जब हूती विद्रोहियों के हमले से लाल सागर में तनाव की स्थिति बनी हुई है. बिजनेस टुडे के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर राहुल कंवल ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के अध्यक्ष बोर्गे (Borge Brende) ब्रेंडे से एक्सक्लूसिव बातचीत की. जिसमें बोर्गे ब्रेंडे (Borge Brende) ने इसके निगेटिव इफेक्ट के बारे में बात की है. उन्होंने कहा कि व्यापारी जहाजों पर बार-बार किए जा रहे हमलों के कारण तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं. भारत जैसे तेल आयात करने वाले देशों के लिए कीमतों में 10 से 20 डॉलर यानी लगभग 800 रुपए से 1600 रुपए तक बढ़ोतरी हो सकती है. इसका कई देशों की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF की प्रमुख क्रिस्टलीना जॉर्जीवा ने कहा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस दुनियाभर में जॉब सिक्योरिटी के लिए खतरनाक साबित होगा. 

 

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के एजेंडे में क्या-क्या है, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से भारत को क्या हासिल होगा, और भारत वहां से क्या पाना चाहेगा. हूती विद्रोहियों के हमले से लाल सागर में तनाव की स्थिति बनी हुई है. क्या इस फोरम से इसका कोई समाधान निकलकर आएगा? सुनिए ‘दिन भर’ की दूसरी ख़बर में.

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इंडिया में “फॉग” चल रहा है

प्लेटफॉर्म पर इस एनाउंसमेट को सुनते ही आपको थोड़ा गुस्सा और बेबसी तो महसूस होती होगी.. ऐसा ही हुआ दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर.. यहां इंडिगो की फ्लाइट में कल एक पैसेंजर ने पायलट को थप्पड़ मार दिया. पैसेंजर उड़ान में हो रही देरी से नाराज था. जहाज़ को दिल्ली से गोवा जाना था. सुबह 7.40 बजे जिस फ्लाइट को उड़ना था वो 13 घंटे लेट थी तो गुस्सा समझा जा सकता है. मगर कारण है कोहरा. अब कोहरे पर भला किसका बस चलता है. ऐसे में थप्पड़ मारना तो हर लिहाज़ से गलत है.. पर सवाल उठता है कि कोहरे की वजह से हर साल फ्लाइट और ट्रेन लेट होती हैं... सरकारें आश्वासन भी देती रहीं कि कोई ना कोई हल निकलेगा.. फिर भी निकलता क्यों नहीं...‘फॉग पास’ कितना कारगार साबित हुआ है या हमारी परेशानी इस साल्यूशन से ज्यादा बड़ी है? सुनिए ‘दिन भर’ की तीसरी ख़बर में.

 

 

कब जागेंगे हुज़ूर?

मेडिकल साइंस जितनी तेज़ी से विकास कर रहा है उससे कई ज़्यादा तेज़ी से बीमारियां और उनके स्वरूप भी evolve हो रहे हैं. कोरोना को ही देख लीजिए, बढ़ते - बढ़ते आज बात JN.1 वेरिएन्ट तक आ पहुंची.  

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खैर, आज हमारी खबर कोरोना नहीं लेकिन उसके जितनी ही खतरनाक बीमारी सर्वाइकल कैंसर से जुड़ी है. कई मीडिया रिपोर्ट्स का दावा था कि सरकार 2024 के सेकंड क्वाटर में सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन कैम्पेन शुरु करेगी. लेकिन यूनियन हेल्थ मिनिस्ट्री ने इन सारी सुगबुगाहटों पर फुलस्टॉप लगाते हुए बताया कि अभी इस तरह के किसी भी कैम्पेन की तैयारी नहीं है.  

सर्वाइकल कैंसर, जैसा इसके नाम ही पता चलता है, महिलाओं के सर्विक्स में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है. सर्विक्स, वो कैनल है जो फ़ीमेल बॉडी में यूटेरस को वेजाइना से जोड़ता है. सर्वाइकल कैंसर Human papillomavirus के कारण होता है. WHO  बताता है कि 2020 में दुनिया भर से इसके लगभग 90 प्रतिशत नए मामले सिर्फ लोअर और मिडल इनकम कंट्रीज़ से आए थे.  

भारत में सर्वाइकल कैंसर का मौजूदा स्टेटस क्या है, हमारे देश में ये किस तरह से बढ़ रहा, सर्वाइकल कैंसर वक्त के साथ कितना गंभीर होता जा रहा है. हमारे लिए इसकी वैक्सीन जल्द से जल्द उपलब्ध न होना कितना कंसर्निंग है? सुनिए दिन भर की आखिरी ख़बर में.

 
 

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