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मायावती बिगाड़ सकती हैं INDIA गठबंधन का गेम, एक तीर से साध दिए तीन निशाने

माना जा रहा है कि मायावती के निर्णय से विपक्षी गठबंधन का खेल बदल सकता है, क्योंकि अब देश में सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटों पर वन-टु-वन मुकाबला नहीं होगा. सभी सीटों पर त्रिकोणीय टक्कर तो होगी ही होगी. आंकड़े बताते हैं त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो उत्तरप्रदेश के परिणाम विपक्ष के लिए बहुत चौंकाने वाले होंगे. 

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने रविवार, 1 अक्टूबर, 2023 को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की। (पीटीआई फोटो/नंद कुमार)(पीटीआई10_01_2023_000067बी) लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने रविवार, 1 अक्टूबर, 2023 को लखनऊ में पार्टी कार्यालय में 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले पार्टी के पदाधिकारियों की बैठक की अध्यक्षता की। (पीटीआई फोटो/नंद कुमार)(पीटीआई10_01_2023_000067बी)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 12:00 AM IST

बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने सोमवार को अपने जन्मदिन पर दो ऐलान किए. पहला ऐलान ये कि 2024 का चुनाव वह अकेले दम पर लड़ेंगी. इसके साथ ही उन्होंने, दूसरा ऐलान ये है किया कि, चुनाव परिणाम के बाद की संभावनाओं को देखते हुए गठबंधन में शामिल होने पर फैसला वो बाद में करेंगी. मतलब India alliance में शामिल होने की चर्चाओं पर खुद मायावती ने विराम लगा दिया. अब मायावती के अकेले चुनाव के लड़ने के फैसले के बाद 2024 चुनाव को लेकर कई तरह की theories पर चर्चा शुरू हो गई है. 

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उत्तर प्रदेश में कैसा रहेगा मुकाबला?
माना जा रहा है कि मायावती के निर्णय से विपक्षी गठबंधन का खेल बदल सकता है, क्योंकि अब देश में सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश की अस्सी सीटों पर वन-टु-वन मुकाबला नहीं होगा. सभी सीटों पर त्रिकोणीय टक्कर तो होगी ही होगी. आंकड़े बताते हैं त्रिकोणीय मुकाबला हुआ तो उत्तरप्रदेश के परिणाम विपक्ष के लिए बहुत चौंकाने वाले होंगे. 

विपक्ष के बड़े दावे और बसपा की बस एक चाल...
दरअसल, अभी हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक जनसभा के दौरान कहा कि, आप ये मत सोचिए कि कांग्रेस पार्टी BJP से टक्कर नहीं ले सकती. मैं आपको गारंटी देकर कह रहा हूं कि 2024 में हम BJP को हरा देंगे. वहीं दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि, 'सारे लोगों को साथ आना होगा, ये लड़ाई राहुल गांधी की नहीं है. ये congress की नहीं है. ये इस देश को बचाने की है. वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा था कि. 'हम सब इकट्ठा आए हैं और पक्का भरोसा है की हम कामयाब रहेंगे. हो जाएँगे और देश की जनता के मन में एक डर है की अब क्या होगा तो हम इतना उनको एक एहसास दिलाना चाहते हैं की विश्वास दिलाना चाहते हैं डरो मत हम है.' 

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लेकिन, इसी बीच सोमवार को मायावती ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि, 'हमारी पार्टी लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी. 

मायावती का एक बयान, तीन सवाल
मायावती के इस एक बयान से तीन सवाल उठते हैं. 
पहला- क्या 2024 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी को रोकने के सबसे बड़े प्लान पर मायावती ने पानी फेर दिया?
दूसरा- क्या उत्तर प्रदेश में 2014 की तरह त्रिकोणीय मुकाबला होगा और टीम मोदी छप्परफाड़ सीट जीतेगी? 
तीसरा- क्या उत्तर प्रदेश में मोदी को रोकना मुमकिन था लेकिन विपक्ष की राजनीति पर मायावती का दांव भारी के अस्सी लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में हाथी की सीधी चाल से विपक्ष का चुनावी गणित बिगड़ा सकता है?

क्या घोषणा की है मायावती ने?
मायावती ने कहा कि, 'हमारी party देश में जल्दी ही घोषित होने वाले लोकसभा के आम चुनाव यहां गरीबों एवं उपेक्षित वर्गों में से विशेषकर दलितों, आदिवासियों, अति वर्गों, मुस्लिम व अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के लोगों के बलबूते पर ही पूरी तैयारी व दमदारी के साथ अकेले ही हमारी party लोकसभा के आम चुनाव अकेले ही तथा देश की जातिवादी पूंजीवादी संकीर्ण व सांप्रदायिक सोच रखने वाली सभी विरोधी पार्टियों से अपनी दूरी बना के रखेगी.'उन्होंने आगे कहा कि, 'अर्थात हमारी party यहाँ किसी भी गठबंधन या पार्टी के साथ मिलकर ये चुनाव नहीं लड़ेगी.'

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मायावती ने 2024 के लिए बिछाई सियासी बिसात
मायावती ने 2024 के लिए अपनी सियासी बिसात बिछा दी. दावा यही है की दो चौबीस का चुनाव अकेले लड़ेगी. गठबंधन का फैसला चुनाव परिणाम आने के बाद करेंगे यानि pre poll alliance नहीं post poll alliance करेंगे. मायावती के इस दाव में उनका सियासी संदेश भी है.

क्या मायावती ने एक तीर से तीन निशाने लगाए हैं?
पहला निशाना-
समाजवादी party के प्रमुख अखिलेश यादव जो गठबंधन में मायावती की एंट्री का विरोध कर रहे थे. 
दूसरा निशाना- congress party जो 2024 के आम चुनाव में एक साथ दो नाव पर पैर रखना चाहती थी, यानि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी को साथ मिलाकर.
तीसरा निशाना- 2024 चुनाव परिणाम के बाद विपक्षी गठबंधन और NDA दोनों के लिए अपने दरवाजे खुले रखना, यानि poll से किसी गुट का हिस्सा नहीं बनना.

बता दें कि, मायावती ने जब अपनी बात कहनी शुरू की, तो पहले उन्होंने बीजेपी को निशाने पर लिया. मायावती के संबोधन की शुरुआत में इंडिया गठबंधन के लिए पॉजिटिव साइन था लेकिन उनकी बात जैसे-जैसे आगे बढ़ी, तस्वीर उलटी होती चली गई. बसपा प्रमुख ने बीजेपी के साथ ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) पर भी निशाना साधा और यह ऐलान भी कर दिया कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में किसी पार्टी से गठबंधन किए बगैर अकेले ही मैदान में उतरेगी. 

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अखिलेश को कहा गिरगिट 
इंडिया गठबंधन की दिल्ली बैठक में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा के साथ बातचीत को लेकर तल्ख तेवर दिखाते हुए यह तक कह दिया था कि अगर मायावती की पार्टी गठबंधन में आई तो उनकी पार्टी को भी अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ेगा. अखिलेश ने इंडिया गठबंधन से सपा के बाहर जाने तक की बात कह दी थी. मायावती ने इंडिया गठबंधन की इस बैठक का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव को गिरगिट तक बता दिया. मायावती ने कहा कि कांग्रेस, बीजेपी और इनकी सभी सहयोगी पार्टियों की सोच पूंजीवादी, सामंतवादी और सांप्रदायिक है. यह पार्टियां इन्हें (दलित और अति पिछड़े) अपने पैरों पर खड़ा होते नहीं देख सकती हैं. आरक्षण का भी पूरा लाभ नहीं मिल पा रहा है.

'हर वर्ग को बसपा से जुड़ने की जरूरत'
उन्होंने आरोप लगाया कि सभी पार्टियां अंदर ही अंदर एक होकर साम-दाम-दंड-भेद का इस्तेमाल कर दलितों को सत्ता से दूर रखना चाहती हैं. इनसे सावधान रहने और हर वर्ग को बसपा से जुड़ने की जरूरत है. मायावती ने इंडिया गठबंधन की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि सपा प्रमुख ने जिस तरह बसपा प्रमुख को लेकर गिरगिट की तरह रंग बदला है, इससे भी सावधान रहना है. 
 

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